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World Rhino Day: 2,500 गैंडे के सींग जलाने का असम ने क्यों लिया फैसला, वह भी इस खास मौके पर ? जानिए

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गुवाहाटी, 22 सितंबर: आज विश्व गैंडा दिवस मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर एक सींग वाले गैंडे के लिए मशहूर असम की सरकार ने 2,500 गैंडे के सींग को सार्वजनिक समारोह में जलाकर खाक करने का फैसला लिया है। यह बहुत ही हैरान करने वाली बात लग रही है। लेकिन, आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस खूबसूरत जंगली जानवर के संरक्षण के लिए काम करने वाले लोग भी हिमंत बिस्वा सरमा सरकार के इस कदम की सराहना कर रहे हैं। सरकारी भंडारों में दशकों से सुरक्षित रखे गए गैंडों के इन सींगों को जलाने की घोषणा पिछले हफ्ते हुई राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद ही हुई थी। उससे पहले वन विभाग ने उन सींगों की फिर से पड़ताल और गिनती का काम पूरी किया था।

जन-समारोह में गैंडों के सींग को नष्ट करने का फैसला

जन-समारोह में गैंडों के सींग को नष्ट करने का फैसला

असम सरकार ने 22 सितंबर यानी विश्व गैंडा दिवस पर एक सींग वाले गैंडों के करीब 2,500 सींगों को एकसाथ जलाकर राख करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन गैंडों के सुरक्षित ठिकाने काजीरंगा नेशनल पार्क के ही बोकाखाट में किया है। इसमें खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा चीफ गेस्ट के तौर पर और दूसरे कई राजनीतिज्ञों को खास निमंत्रण देकर बुलाया गया। असम सरकार और वन विभाग की ओर से इस कदम को 'गैंडा संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर' कहकर प्रचारित किया गया है।

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World Rhino Day: 2,500 Rhino Horns जलाने का Assam ने क्यों लिया फैसला ? | वनइंडिया हिंदी
क्यों लिया गैंडों के सींग जलाने का फैसला ?

क्यों लिया गैंडों के सींग जलाने का फैसला ?

असल में लोगों के सामने गैंडों के सींगों को जलाने जैसा कदम इसलिए उठा गया है, ताकि शिकारियों और तस्करों को यह संदेश दिया जा सके कि इन चीजों का कोई भी मोल नहीं है। इसके बारे में असम के चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन एमके यादवा ने कहा है, '(इसका मकसद) गैंडे के सींगों के बारे में मिथकों को तोड़ना है।........यह शिकारियों और तस्करों के लिए एक सीधा और स्पष्ट संदेश है कि ऐसी चीजों का कोई मूल्य नहीं है।' गौरतलब है कि गैंडों के सींगों के अवैध कारोबार में लगे लोग इन बेजुबानों की जान से भी खेलने को तैयार रहते हैं।

गैंडों के सींग की क्यों रहती है डिमांड ?

गैंडों के सींग की क्यों रहती है डिमांड ?

सींग के लिए गैंडों का शिकार इसलिए होता है, क्योंकि गैरकानूनी बाजारों में कई तरह के मिथकों के चलते इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है। वन विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 'गैंडों के सींग के पाउडर का इस्तेमाल कई तरह की पारंपरिक चीनी चिकित्सा में, जैसे कि कैंसर से लेकर हैंगओवर और कामोत्तेजक से लेकर कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।' वियतनाम में तो गैंडे के सींग रखना प्रतिष्ठा का प्रतीक समझा जाता है। इसके अनुसार, 'इन देशों से मांग के कारण गैंडों के शिकारी हमेशा सक्रिय रहते हैं, और उनपर हमेशा नजर रखनी पड़ती है।'

क्या गैंडों के सींग को जलाना सही है ?

क्या गैंडों के सींग को जलाना सही है ?

गैंडों के सींग को जलाने की प्रक्रिया वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) ऐक्ट, 1972 के तहत संपन्न हो रही है। अधिकारियों के मुताबिक गुवाहाटी हाई कोर्ट में पिछले महीने इसपर सुनवाई के दौरान जनता की ओर से कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई। इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ नेचर्स के एशियन राइनो स्पेशलिस्ट ग्रुप के चेयरमैन और एनजीओ आरण्यक के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल बिभब तालुकदार ने कहा है, भारत सीआईटीईएस (कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पेसीज ऑफ वाइल्ड फ्लोरा एंड फउना) में हस्ताक्षर कर चुका है। उनका कहना है कि 'वैसे भी देश में सींग बेचना गैरकानूनी है, तो भंडारों में सड़ रहे सींगों के बजाय, इसे जलाने के निर्णय से एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि यह दवा नहीं है।'

अभी तक कहां रखे हुए थे इतनी बड़ी तादाद में सींग ?

अभी तक कहां रखे हुए थे इतनी बड़ी तादाद में सींग ?

असम सरकार के भंडारों में दशकों से ये सींग पड़े हुए थे। जब भी किसी गैंडे की मौत होती है (किसी भी तरह से) उसके सींगों को वन विभाग राजकीय भंडारों में सुरक्षित रखता है। अगस्त-सितंबर में वन विभाग ने सातों वाइल्ड लाइफ जोन के भंडारों में सींगों का सत्यापन करने के बाद 2,500 से ज्यादा सींग पाए थे। इस कार्य में विशेषज्ञों की पूरी टीम लगी थी, जिन्होंने इनकी गिनती के साथ ही उनके सत्यापन का काम किया है। इनमें से ज्यादातर सींगों को जला देने का फैसला किया गया और सिर्फ 5 फीसदी सींगों को उसकी खास विशेषताओं के लिए सुरक्षित रखा गया है। यह पुष्टिकरण अभियान बीते 12 सितंबर को ही पूरा हुआ है। कुल 2,623 सींग मिले, जिनमें से 2,479 जलाने के लिए चुने गए और 94 को सुरक्षित रख लिया गया है। सबसे लंबा सींग 51.5 सेंटीमीटर और 2.5 किलो का मिला और सबसे भारी 3.05 किलो और 36 सेंटीमीटर का था। 15 सींग अफ्रीकी गैंडों के थे और 21 नकली सींग भी भंडारों में पड़े हुए थे।

क्या पहले भी जलाए गए हैं गैंडे के सींग ?

क्या पहले भी जलाए गए हैं गैंडे के सींग ?

जिस तरह से इसबार सींग जलाकर उसे खत्म करने का फैसला लिया गया है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। अलबत्ता, 2016 में एक आरटीआई ऐक्टिविस्ट दिलीप नाथ ने आरोप लगाया था कि वन विभाग के कर्मचारी भंडारों से गैरकानूनी ढंग से सींग निकालकर उसे नकली सींगों से बदलने के फर्जीवाड़ें में शामिल हैं। तब इनकी जांच की गई थी और पाया गया था कि सिर्फ 5 सींग ही नकली थे।

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कितना गंभीर है गैंडों के शिकार का खतरा ?

कितना गंभीर है गैंडों के शिकार का खतरा ?

2013-14 में गैंडों के शिकार का मामला काफी तूल पकड़ा था। दोनों साल 27-27 गैंडों का सींगों के लिए शिकार किया गया था। बाद के वर्षों में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन वन विभाग इसे रोकने के लिए पूरी तरह अलर्ट रहता है। तालुकदार ने बताया कि '2020-21 में, यह थोड़ा कम हुआ है, 2-3 गैंडों का शिकार किया गया है - फिर भी, यह एक सुव्यवस्थित अपराध है और हम इसे ढीला नहीं छोड़ सकते।' एक सींग वाला गैंडा, जो पहले आईयूसीएन की रेड लिस्ट के अनुसार 'खतरे' में था, अब 'असुरक्षित' के रूप में सूचीबद्ध है।

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English summary
On World Rhinoceros Day, the Assam government has organized a public program to burn more than 2500 Rhino horns
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