CJI गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला ने किए कई सनसनीखेज खुलासे, जांच में हिस्सा लेने से किया इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की महिला कर्मचारी जिसने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया था, उसका कहना है कि वह मामले की जांच में शामिल नहीं होना चाहती है। महिला का कहना है कि उसे इस मामले की जांच के दौरान खुद की पैरवी के लिए ना तो कोई वकील और ना ही किसी कानूनी जानकार की मदद लेने दी गई। पिछली सुनवाई से नाखुश पीड़िता का कहना है कि उसे न्याय नहीं मिलेगा। महिला ने कहा, 'मुझसे कई बार कमेटी ने पूछा कि मैंने आखिर क्यों इतनी देर से यह यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराई।'
विसाखा गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन
पीड़िता का कहना है कि तीन जजों का पैनल विसाखा गाइडलाइन के अनुसार तय नियमों का पालन नहीं कर रहा है। कमेटी के भीतर का माहौल काफी डरावना है, मैं काफी डरी हुई थी क्योंकि मुझसे सुप्रीम कोर्ट के जज सवाल पूछ रहे थे और वह भी बिना मेरे वकील की मौजूदगी में, मेरी मदद के लिए वहां कोई भी नहीं था। महिला ने यह भी दावा किया है कि कमेटी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। मुझे इस बात की उम्मीद थी कि कमेटी का रवैया मेरे प्रति संवेदनशील होगा और जिसकी मदद से मैं अपनी आप बीती उनके सामने रख पाउंगी। लेकिन कमेटी का रवैया ऐसा नहीं है जिससे कि मुझे डर नहीं लगा, घबराहट ना हो या मैं सदमे में ना जाऊं।
इसे भी पढ़ें- शिवसेना की पीएम मोदी से अपील, पूरे देश में बुर्के पर लगाएं पाबंदी
मुझे मेरे बयान की प्रति तक नहीं दी गई
महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि उसे उसके पुराने बयान की कॉपी तक नहीं दी गई, जिसकी वजह से वह इस केस को सही से फॉलो नहीं कर पाई। यही नहीं महिला का कहना है कि मुझे सुनने में दिक्कत होती है, एक समय मुझे यह तक समझने में दिक्कत हो रही थी कि मेरे बयान को किस तरह से सामने रखा गया है। मुझे 26 और 29 अप्रैल की सुनवाई के दौरान मेरे बयान की कोई प्रति नहीं दी गई।
सुनवाई में हिस्सा नहीं लेगी
30 अप्रैल को महिला अपने लिखित पत्र के साथ कमेटी के सामने पहुंची और उसने बताया था कि आखिर क्यों उसने यौन शोषण की शिकायत सात महीने के बाद की है। महिला का कहना है कि बिना वकील के कमेटी के भीतर मुझे अपना पक्ष रखना काफी मानसिक पीड़ा दे रहा था। महिला ने बयान जारी करके कहा है कि वह अब कमेटी की सुनवाई में हिस्सा नहीं लेगी, जिसमे जस्टिस एसए बोबडे, इंदू मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी शामिल हैं।
मेरा पीछा किया जाता था
इसके अलावा महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह कोर्ट जाती थी तो उसका पीछा किया जाता था। आपको बता दें यह मामला उस वक्त सामने आया था जब 20 अप्रैल को एक न्यूज पोर्टल ने यह मामला प्रकाशित किया था। इस मामले के सामने आने के बाद महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि जस्टिस रंजन गोगोई ने उसका यौन शोषण किया था।