अयोध्या: SC के फैसले के बाद कांग्रेस कभी नहीं पूरा कर पाएगी ये वादा
नई दिल्ली- कांग्रेस ने अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस का यह स्टैंड 27 साल पहले किए गए उसके एक वादे से पूरी तरह उलट है। कांग्रेस अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'आस्था और विश्वास' का आदर बता रही है और उसने भगवान राम की मंदिर बनाए जाने के फैसले का समर्थन भी किया है। लेकिन, 1992 में उसने भरोसा दिलाया था कि वह उसी स्थान पर दोबारा मस्जिद बनवाएगी, जहां उसे गिराया गया था। आइए समझते हैं कि इन ढाई दशक से ज्यादा वक्त में कांग्रेस का स्टैंड कैसे और क्यों बदला है ?
उसी स्थान पर मस्जिद बनाने का किया था वादा
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का समर्थन करना कांग्रेस के ढाई दशक से भी ज्यादा पुरानी नीति में बदलाव माना जा सकता है। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद पार्टी ने जो रुख अपनाया था, वह उसके वर्तमान रवैये से पूरी तरह अलग था। ढांचा गिराए जाने के बाद कांग्रेस ने वादा किया था कि गिराई गई मस्जिद का पुनर्निमाण करवाएगी। क्योंकि, जब ये घटना घटी थी, तब कांग्रेस नेता पीवी नरसिम्हा राव ही प्रधानमंत्री थे। लेकिन, बाद में इस केस में चली मुकदमेबाजी और ध्रुवीकरण की राजनीति ने कांग्रेस को अपने वादे के मुताबिक कदम बढ़ाने से सचेत कर दिया। समय के साथ हिंदुत्व की सियासत पर सवार बीजेपी का उत्थान होता गया और कांग्रेस के रुख में भी परिवर्तन आता गया। बीजेपी की बढ़त ने कांग्रेस को ये स्टैंड लेने को मजबूर किया कि इस मसले में जो अदालत तय करेगी, वह उसी के साथ रहेगी। हालांकि, इस चक्कर में कांग्रेस को काफी सियासी नुकसान भी उठाना पड़ा और अल्पसंख्य समुदाय ने खासकर हिंदी हार्टलैंड में उसकी बजाय क्षेत्रीय दलों की ओर देखना शुरू कर दिया। अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला वहां मंदिर बनाने के पक्ष में आ गया है तो भविष्य के लिए भी कांग्रेस के वादे पर हमेशा-हमेशा के लिए विराम लग गया है।
अब कांग्रेस ने राम मंदिर बनाने का समर्थन किया
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में इसका स्वागत किया गया और राम मंदिर के निर्माण का समर्थन किया गया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है...आज सुप्रीम कोर्ट ने आस्था और विश्वास का सम्मान किया है..... हम राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं। इस फैसले ने न केवल मंदिर निर्माण के लिए दरवाजे खोल दिए हैं, साथ ही इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा और दूसरे लोगों के लिए दरवाजे भी बंद कर दिए हैं।' जाहिर है कि कांग्रेस की ओर से आया बयान 27 साल पहले वाले उसके रुख का पूरा यू-टर्न है। सबसे बड़ी बात ये है कि अब सीडब्ल्यूसी के कुछ सदस्य भी अब सार्वजनिक तौर पर पार्टी को हमेशा से वहां राम मंदिर का समर्थक होने की बात साबित करने में जुट गए हैं। मसलन पार्टी एक नेता ने एक अखबार से कहा है कि राजीव गांधी के कार्यकाल में ही अयोध्या परिसर का ताला खुला और गैर-विवादित जमीन पर शिलान्यास भी उन्हीं के शासनकाल पर कराया गया।
अयोध्या में अब आगे क्या-क्या होगा?
यूपी की आदित्यनाथ सरकार या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में प्रमुख और उपयुक्त स्थान पर 5 एकड़ जमीन की पहचान करनी है। राम मंदिर निर्माण के लिए औपचारिकाताओं को तेजी से पूरा करना होगा। संभावना है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में 2 से 3 साल लग जाएं। यह भी संभावना है कि राम मंदिर ट्रस्ट का गठन कुछ उसी तर्ज पर हो, जैसा कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट या श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड काम करता है।
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