आखिर क्यों कश्मीर के युवा आर्मी के एनकाउंटर में करते हैं आतंकवादियों का समर्थन?
इंडियन आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने एनकाउंटर के दौरान पत्थर फेंकने और पाकिस्तान का झंडा लहराने को लेकर दी चेतावनी। पिछले कुछ समय से कश्मीर में एनकाउंटर के समय पत्थर फेंकने के ट्रेंड में आई तेजी।
श्रीनगर। बुधवार को इंडियन आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कश्मीर के उन तमाम युवाओं को चेतावनी दी है जो एनकाउंटर के समय बाधा डालते हैं। जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि अगर किसी ने एनकाउंटर के समय आतंकियों का समर्थन किया जो फिर उन्हें राष्ट्र-विरोधी माना जाएगा।
वानी की मौत से पहले पनप रहा था ट्रेंड
कुछ दिनों पहले बांदीपोर के हाजिन में जो एनकाउंटर चल रहा था वहां पर कुछ लोगों ने सेना और सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंके जिसकी वजह से आतंकवादी बच निकलने में कामयाब हो सके। इसी तरह की एक घटना साउथ कश्मीर के कुलगाम के फ्रिसाल इलाके में जब एनकाउंटर चल रहा था तो कश्मीर के युवा पत्थरबाजी करने लगे। इस बार भी आतंकवादी बच निकलने में कामयाब हो गए थे। पिछले कुछ समय से कश्मीर में यह एक तरह का ट्रेंड बन गया है जहां पर युवा आतंकवादियों के बच निकलने में उनकी मदद करते हैं। पिछले वर्ष जुलाई में जब हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत हुई थी उसके पहले से यह ट्रेंड शुरू हो गया था। इंटेलीजेंस ब्यूरों (आईबी) के अधिकारियों की मानें तो कश्मीर में इस तरह के कई युवा हैं जो हिजबुल मुजाहिद्दीन की विचारधारा का समर्थन करते हैं। समस्या यह है कि लोकल आतंकवादियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और कई आतंकियों के स्थानीय लोग अच्छे से पहचानते हैं। इसकी वजह से ही ऑपरेशंस के दौरान स्थानीय लोग बाहर आ जाते हैं और मुश्किलें पैदा करने लगते हैं।
राज्य सरकार की गलती
आईबी अधिकारियों का अनुमान है कि कम से कम 226 आतंकवादी घाटी में मौजूद हैं जिनमें से 175 स्थानीय हैं और 51 विदेशी हैं। 66 स्थानीय आतंकवादी नॉर्थ कश्मीर और 109 आतंकवादी साउथ कश्मीर से हैं। विदेश आतंकवादियों में भी 44 आतंकवादी नॉर्थ कश्मीर में हैं और सात साउथ कश्मीर में हैं। अधिकारियों के मुताबिक आतंकियों ने कई युवाओं का हिजबुल मुजाहिद्दीन में आने के लिए लालच दिया है। अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर संगठन की ओर से अपील की जाती है कि वे सामने आकर इंडियन आर्मी और स्थानीय पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ें। ये युवा लगता है अब संगठन की बातों को मानने लगे हैं और ऑपरेशंस में बाधा डालने लगे हैं। इस बीच सेना की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से आतंकवादियों के सार्वजनिक अंतिम संस्कार की अनुमति दी जाती है जिसकी वजह से युवाओं को प्रोत्साहन मिलता है। उनका मानना है कि बुरहान वानी के अंतिम संस्कार को सार्वजिनक तौर पर करने की मंजूरी दी गई थी तो वह सरकार की गलती थी और यहां से एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है। पढ़ें-एनकाउंटर के समय फेंके पत्थर तो माना जाएगा आतंकियों का मददगार