सुरक्षा के लिए चुनौती बनता जा रहा है कश्मीर का पंपोर
श्रीनगर। सोमवार को कश्मीर के पंपोर में एक और आतंकी हमला हुआ। पंपोर में हमला करने आए आतंकियों ने एक बार फिर से उसी ईडीआई बिल्डिंग का सहारा लिया जिसमें छिपकर इस वर्ष फरवरी में आतंकी हमला किया था। पंपोर में एक वर्ष के अंदर यह तीसरा आतंकी हमला है।
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झेलम किनारे बसा पंपोर
पंपोर या पमपुर झेलम नदी के पूर्वी किनारे पर बसा एक ऐसा कस्बा जो श्रीनगर जम्मू नेशनल के बीच में पड़ता है। दुनिया भर में अपने केसर के लिए मशहूर पंपोर को 'कश्मीर का केसरिया इलाका' भी कहा जाता है।
श्रीनगर शहर के केंद्र लाल चौक से सिर्फ 11 किलोमीटर और दक्षिण कश्मीर के त्राल से सिर्फ 26 किमी की दूरी पर है। त्राल जिसे 'कश्मीर का कंधार' कहते हैं, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए एक खास गढ़ बन चुका है।
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लश्कर और हिजबुल का गढ़
दक्षिण कश्मीर के त्राल से आतंकी संगठन लश्कर और हिजबुल को काफी मदद मिलती है। जून में यहां जो आतंकी हमला हुआ था उसमें सीआरपीएफ के आठ जवान शहीद हुए थे। इस हमले को लश्कर ने अंजाम दिया था।
इसके दो दिन बाद ही आतंकियों ने एक और आतंकी हमले की साजिश रची थी। लेकिन सुरक्षाबलों की चौकसी के चलते वह हमला नाकाम हो गया।
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कश्मीर के साथ ही परेशान दिल्ली भी
श्रीनगर से सिर्फ 11 किलोमीटर पर स्थित पंपोर में आतंकी हमले का मकसद पूरे कश्मीर के साथ ही साथ दिल्ली के माथे पर भी बल डालना रहता है। फरवरी में जब यहां आतंकी हमला हुआ तो इंडियन आर्मी ने अपने दो आफिसर खोए थे।
यहां पर किसी आतंकी हमले के सफल होने का मतलब आतंकी अपनी पहुंच को लेकर एक कड़ा संदेश देना चाहते हैं।
इसके अलावा विशेषज्ञ माने हैं कि अगर पंपोर में आतंकी अपने मकसद में कामयाब हो गए तो फिर दक्षिण कश्मीर के बाकी युवाओं को भी आकर्षित कर सकेंगे।