NSG में शामिल होने के लिए चीन क्यों बन रहा है भारत के लिए अड़ंगा
नई दिल्ली। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का सदस्य बनने के लिए चीन कई सालों से भारत के लिए अड़ंगा बना हुआ है। चीन हमेशा NSG का सदस्य बनने के लिए भारत का विरोध करते हुए आया है और इसको लेकर बीजिंग के रवैया में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। NSG को लेकर रूस ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया था कि वो भारत का समर्थन करेगा। रूस के अनुसार पाकिस्तान की तुलना भारत से नहीं की जा सकती है। नई दिल्ली पहुंचे रूस के उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि परमाणु परीक्षण के मामले में भारत का परमाणु अप्रसार का शानदार रिकॉर्ड है, जबकि पाकिस्तान के बारे में ऐसा नहीं का जा सकता है।
NSG में भारत की सदस्यता को लेकर चीन के रुख में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया है। चीन के विदेश मंत्री गेंग शुआंग ने कहा था कि इस विषय में चीन का दृष्टिकोण जस-का-तस है। चीन इसके पक्ष में है कि इस मामले में सरकारों के बीच पारदर्शी और निष्पक्ष बातचीत के जरिए आम सहमति के सिद्धांत का पालन किया जाए।
चीन का विरोध करने का कारण भारत का एनपीटी (Nuclear Non-Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर नहीं करना है। चीन का कहना है कि जब तक भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करेगा, तब तक विरोध जारी रहेगा। चीन के इस रवैये का कारण भारत और चीन के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी कई बार विपरित असर पड़ा है। चीन की दलील है कि जो भी नॉन-एनपीटी देश इस ग्रुप का हिस्सा बनना चाहते हैं वो देश परमाणु हथियारों से मुक्त होना जरूरी है।
चीन को लगता है कि एनएसजी में भारत को सदस्यता मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख बढ़ेगी। एनएसजी का सदस्य बनने के बाद भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत अपनी बात रखेगा। बता दे कि भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्री नई दिल्ली में इसी माह एक बैठक करने वाले हैं, जिसमें NSG पर चर्चा होने की पूरी संभावना है।