क्यों गैंगस्टर बन रहे हैं पंजाब के युवा?
एक गैंगस्टर से सुनिए कि वो क्या है जिसने उसे ग़ुनाह की दुनिया छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
सेना में जाने का सपना देखने वाले लखबीर सिंह सरन, लक्खा सिधाणा नाम के गैंगस्टर कैसे बन गए?
पंजाब पुलिस का कहना है कि बंदूक के ज़रिए शोहरत और पैसे कमाने का ख़्वाब देखने वाले युवाओं के लिए यह आम बात है.
लखबीर के घर हुई एक मुलाक़ात में उन्होंने बीबीसी पंजाबी के संवाददाता अरविंद छाबड़ा को बताया कि उनकी शुरुआत कैसे हुई.
बच्चे को गोद में खिलाते हुए 32 साल के लखबीर सिंह ने कहा, ''मैंने कॉलेज में छोटे-मोटे अपराध करने शुरू किए. मुझे इस ज़िंदगी से प्यार हो गया. हम ताक़त और शोहरत के नशे में चूर थे. हमें इस बात से ख़ुशी मिलती थी कि लोग हमसे डरते हैं, उन्हें डरता देखकर हम और ताक़तवर महसूस करते थे.''
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क़िले जैसा घर
साल 2004 से अब तक लखबीर कई बार जेल जा चुके हैं. उन पर क़त्ल का इल्ज़ाम है और फ़िलहाल वह ज़मानत पर हैं.
लखबीर बठिंडा के पास सिधाणा गांव में रहते हैं. सीसीटीवी और ऊंची दीवारों से घिरा उनका घर किसी क़िले से कम नहीं.
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पंजाब में अपराध का नया दौर
पुलिस के मुताबिक़ इस वक़्त पंजाब में 15-20 आपराधिक गैंग सक्रिय हैं जिनमें तक़रीबन 300 से 400 लोग शामिल हैं.
अस्सी और नब्बे के दशक में चरमपंथ की मार झेल चुके पंजाब के लिए यह अपराध की नई लहर है.
राज्य के जवान क़त्ल, फ़िरौती के लिए अपहरण और बाक़ी तरह के ग़ुनाहों में मुब्तिला हो रहे हैं.
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सोशल मीडिया पर तस्वीरें, हथियारों की नुमाइश
वे अपनी पोस्ट और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं, अपने हथियारों की ट्रॉफ़ी की तरह नुमाइश करते हैं और अपराधों को उपलब्धि की तरह पेश करते हैं.
उनकी पोस्ट को हज़ारों लोग देखते और पसंद करते हैं.
नौकरीशुदा रजिंदर सिंह ने बताया कि वह ऐसे लोगों को सोशल मीडिया पर क्यों फ़ॉलो करते हैं- ''मैं उनकी आपराधिक गतिविधियों का समर्थन नहीं करता, लेकिन मुझे यह देखने में मज़ा आता है कि ये लोग कितनी फ़िल्मी ज़िंदगी जीते हैं.''
वहीं विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली पूर्वा शर्मा इनके बारे में और जानने के लिए इन्हें फ़ॉलो करती हैं.
वो कहती हैं, ''उनकी फ़ेसबुक पोस्ट बड़ी मज़ेदार होती हैं. हम जानना चाहते हैं कि ये लोग अपनी ज़िंदगी कैसे जीते हैं.''
दोतरफ़ा दिलचस्पी
यह आकर्षण एकतरफ़ा नहीं है.
लखबीर मानते हैं कि उन्हें भी अटेंशन अच्छा लगता है, ''लोग मुझसे मिलते हैं, बताते हैं कि वो मेरे प्रशंसक हैं, मेरे साथ फ़ोटो ख़िंचाना चाहते हैं, मेरे ऑटोग्राफ़ मांगते हैं, अच्छा लगता है.''
ताक़त पसंद करने वाले लखबीर साधारण कपड़े पहनते हैं, चमकीली सुनहरी घड़ियों और गहनों से भी परहेज़ करते हैं. हालांकि 6 फ़ीट लंबे डील-डौल वाले लखबीर साधारण जींस और टी-शर्ट में भी लोगों से अलग नज़र आते हैं.
नेताओं की शह पर बढ़ रहे अपराध
लखबीर सिंह का मानना है कि अपराध बढ़ रहा है क्योंकि अपराधियों को पुलिस और नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है.
दो बच्चों के पिता लखबीर के मुताबिक़ ''मैं ख़ुद नेताओं के चंगुल में फंसा हुआ था जो मुझे अपने मतलब के लिए लोगों को डराने और चुनाव में मदद करने के लिए इस्तेमाल करते थे.''
साथ ही साथ लखबीर यह भी जोड़ देते हैं कि उन्होंने अब अपराध जगत को अलविदा कह दिया है. उन्होंने बताया कि जेल में रहने के दौरान क़िताबें पढ़ीं और सोशल मीडिया पर समय बिताया. दो बार उनकी जान लेने की कोशिश की गई जिसने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया.
''मुझे एहसास हुआ कि नेता मुझे अपने मतलब के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. मेरे परिवार को मेरी चिंता होती थी, लेकिन मैंने कभी उनके बारे में नहीं सोचा. धीरे-धीरे मेरी सोच बदली और मैंने इस दुनिया से बाहर निकलने का फ़ैसला किया. मैंने महसूस किया कि ये शोहरत महज़ दिखावा है.''
पंजाब पुलिस की मोस्ट वॉन्टेड सूची
समस्या से निपटने के लिए पंजाब पुलिस ने टास्क फ़ोर्स बनाई है. पुलिस के मुताबिक़ मई 2017 से संगठित अपराध में जुटे 180 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
पुलिस ने कैटेगरी 'ए' और कैटेगरी 'बी' नाम से दो सूची भी बनाई हैं. कैटेगरी ए में नौ मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों को रखा गया है जबकि कैटेगरी बी में नौ थोड़े कम गंभीर अपराध करने वाले गैंगस्टरों को शामिल किया गया है.
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ''हमने कैटेगरी ए के तीन गैंगस्टरों को मार दिया है और चार को गिरफ़्तार कर लिया है.''
पटियाला ज़ोन के आईजी ए एस राय के मुताबिक़ हालात अब क़ाबू में हैं.
उन्होंने बताया कि ''हमने इन गैंगस्टरों पर दबाव बना रखा है और हमें यक़ीन है कि बाक़ी लोगों को भी जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.''
पुलिस भी समस्या का हिस्सा
एक रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का आरोप है कि अपराधी नेताओं की शह पर फल-फूल रहे हैं.
पंजाब पुलिस के पूर्व एडीजी एस के शर्मा के मुताबिक़ ''ये छोटे-मोटे अपराधी थे, लेकिन नेताओं की शह पर इन्होंने ताक़त दिखानी शुरू की और गैंगस्टर बन गए. इसके बाद उन्होंने अपनी पहचान के साथ न्याय करने के लिए गंभीर अपराध करने शुरू किए.''
इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक विपिन पब्बी का मानना है कि पुलिस भी समस्या का एक हिस्सा है.
विपिन के मुताबिक़ ''मैं यह तो नहीं कहूंगा कि राजनीतिक पार्टियां उन्हें बढ़ावा देती हैं, लेकिन नेताओं के स्तर पर यह होता है. इसी तरह, कुछ पुलिस वाले भी उनका इस्तेमाल करते हैं और उनका साथ देते हैं. इसके अलावा पुलिस इस वजह से भी आंख बंद कर लेती है क्योंकि उन्हें पता है कि अपराधियों को नेताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है.''
इस रास्ते पर न जाएं युवा
लखबीर सिंह सरन की युवाओं को सलाह है कि वे इस रास्ते का चुनाव न करें, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि अतीत में किए गए ग़ुनाह उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे.
इतिहास को मिटाया नहीं जा सकता
''मैं बग़ैर हथियारों के या अकेले कहीं नहीं जा सकता क्योंकि मुझे दुश्मनों से या ऐसे किसी भी शख़्स से ख़तरा है जो मेरी जान लेना चाहता हो. मेरी पत्नी और परिवार डर के साए में जीते हैं. मेरी आने वाली दो-तीन पीढ़ियां तक सुरक्षित नहीं हैं. ये शोहरत बस नाम की है.''