छत्तीसगढ़: चुनाव के ठीक पहले रमन के सामने से हटे अजीत जोगी, क्या है इसकी असल वजह?
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर रणभेरी बज चुकी है, योद्धा तैयार हैं और प्रमुख राजनीतिक दलों की सियासत से प्रदेशभर का माहौल गर्माया हुआ है। हर तरफ से वार-पलटवार का दौर जारी है। इस सियासी संग्राम में युद्ध भाजपा-कांग्रेस के बीच नहीं कई दलों के बीच बंटा है, इसमें सबसे ज्यादा कई दल इस समय चौंका रहा है वो है पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जकांछ(जेसीसीजे)। चुनाव के ठीक पहले अजीत जोगी का चुनाव ना लड़ना कहीं ना कहीं उस राजनीतिक विचार को हवा देता है जिसमें माना जाता है कि जोगी, रमन सिंह के कहने पर ही चुनाव संचालित करते हैं। उनकी पार्टी में कौन सा कंडीडेट चुनाव लड़ेगा ये पर्दे के पीछे रमन सिंह ही तय करते हैं। राजनीतिक टीकाकार सीट छोड़ने के पीछे मान रहे हैं कि इस कदम से रमन सिंह को राहत मिलेगी।
बसपा से गठबंधन कर सबको चौंका दिया
आईएएस से नेता बने जोगी एक समय छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सबसे बड़े नेता माने जाते थे, वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री भी रहे लेकिन अंतागढ़ टेप कांड के बाद उन्होंने 2016 में अपनी नई पार्टी बना ली। दो साल के अंतराल में उन्होंने अपनी पार्टी को इतना बड़ा कर लिया कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को कहना पड़ा जोगी तीसरी ताकत बनकर उभरे। हालांकि कांग्रेस हमेशा जोगी को नकारती रही लेकिन जोगी-मायावती के गठबंधन के बाद कांग्रेस के चेहरे पर जो मायूसी है उसे देखकर साफ जाहिर होता है कि कांग्रेसी खेमे में भी जोगी के प्रभाव का डर है।
भाजपा-कांग्रेस जोगी के दांव से परेशान
जोगी जिस तरह से लगातार घोषणाएं कर सबको अचंभित कर रहे हैं। उनके जानने वाले कहते हैं कि जोगी का जैसे व्यक्तित्व है वे किसी के दिल में भी नहीं आ सकते क्योंकि उनकी फितरत है कि वे कब किसी अपने को ही रास्ते से हटा दें इसका भरोसा नहीं। यही कारण है कि कभी जोगी के बहुत खास रहे नेता आज उनसे कन्नी काटे फिर रहे हैं तो कई जोगी को न समझने के फेर में उनसे चिपके हुए है, जोगी की पार्टी किसकी कितना नुकसान पहुंचाएगी ये तो चुनाव के बाद पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि जोगी ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है और भाजपा के माथे पर पसीना ला दिया है।
जोगी परिवार की रणनीति भी समझ से बाहर
अजीत जोगी के परिवार में चार सदस्य हैं, वे खुद, बेटे अमित जोगी, पत्नी रेणू जोगी और बहू ऋचा जोगी। यदि उन्हें राजनीतिक परिवार के रूप में देखें तो जोगी जेसीसीजे के मुखिया हैं, अमित जोगी भी अपनी पार्टी को संभाल रहे हैं, उनकी पत्नी रेणू जोगी अभी भी कांग्रेस में हैं और इंतजार कर रहीं है किं उन्हें कोटा से टिकट मिलती है या नहीं। वहीं, उनकी बहू ऋचा जोगी को बसपा की प्राथमिक सदस्यता दिलवाई गई है। वे बहुजन समाजवादी पार्टी से अकलतरा सीट से उम्मीदवार होंगे। यदि पूरे परिवार पर एक नजर डालें तो जोगी ने उसे अबूझ पहेली बना डाला है जिसे अच्छे-अच्छे राजनीतिक भी नहीं समझ पा रहे हैं।
जोगी की टक्कर में सिर्फ रमन सिंह
प्रदेश की जनता सिर्फ दो नेताओं को ही जानता है एक डॉ रमन सिंह और दूसरे अजीत जोगी। जोगी का प्रभाव मैदानी इलाकों में बहुत है। इनके भाषण देने की कला और छत्तीसगढ़ी राग अलापना उन्हें यहां के युवाओं के बीच भी लोकप्रिय बनाए हुए है, जोगी का जो सबसे बड़ा माइनस प्वांट है वो खुद जोगी है क्योंकि सुर्खियों में रहने के कारण कई बार वो एसे स्टंट कर जाते हैं कि वे खुद ही फंसते नजर आते हैं। जनता जोगी को लेकर अभी भी कन्फ्यूजन की स्थिति में है कि वे कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं या फिर भाजपा के लिए। दूसरी बात जिस तरह से वे अपने बयान बदलते हैं उससे जनता के बीच उनके प्रति अविश्वास भी बढ़ता जा रहा है, आम जनता समझ नहीं पा रही है कि आखिर जोगी क्या हैं इसलिए उनके बारे में एक लाइन एकदम ठीक बैठती है कि जोगी न तो दिल में आते हैं न ही समझ में।
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