कौन हैं असम के बदरुद्दीन अजमल जिनकी पार्टी AIDUF है असम में BJP से भी आगे!
सेना प्रमुख जनरल रावत की मानें तो असम में जितनी तेजी से ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईडीयूएफ) बढ़ रही है, उतनी तेजी से बीजेपी भी आगे नहीं बढ़ रही है। इस पर एआईडीयूएफ के मुखिया बदरुद्दीन अजमल ने भी सेना प्रमुख को जवाब दिया है। अजमल ने कहा है कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ रही है।
नई दिल्ली। बुधवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के एक बयान के बाद असम से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में भूचाल आ गया है। सेना प्रमुख जनरल रावत की मानें तो असम में जितनी तेजी से ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईडीयूएफ) बढ़ रही है, उतनी तेजी से बीजेपी भी आगे नहीं बढ़ रही है। इस पर एआईडीयूएफ के मुखिया बदरुद्दीन अजमल ने भी सेना प्रमुख को जवाब दिया है। अजमल ने कहा है कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ रही है लेकिन आर्मी चीफ को इस बात से इतनी परेशानी क्यों हो रही है। उन्होंने सेना प्रमुख के इस बयान को भी राजनीति से प्रेरित बताया। आखिर कौन हैं बदरुद्दीन अजमल और असम की राजनीति में उनकी पार्टी की क्या स्थिति है, आइए आपको बताते हैं।
पेशे से इत्र के बिजनेसमैन और धुबरी से सांसद
पेशे से इत्र व्यवसायी बदरुद्दीन अजमल असम की धुबरी सीट से लोकसभा सांसद हैं और उन्होंने असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एयूडीएफ) और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) की स्थापना की थी। असम की राजनीति के अलावा राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी स्थिति अब धीरे-धीरे मजबूत होती जा रही है। एआईडीयूएफ 18 विधायकों और तीन सांसदों के साथ असम की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी है। अजमल को जॉर्डन रॉयल इस्लामिक स्ट्रैटेजिक स्टडीज सेंटर की ओर से दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में शामिल किया गया था।
असम में अजमल का प्रभाव
अगर हैदराबाद समेत दक्षिण की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के बीच बड़ा वोट बैंक माने जाते हैं तो नॉर्थ ईस्ट खासकर असम में अजमल का बोलबाला है। कई लोग उन्हें असम में कांग्रेस और बीजेपी जैसी पार्टियों के लिए भी बड़ा खतरा बता चुके हैं। कई विशेषज्ञों की मानें तो अजमल आने वाले कुछ वर्षों में असम की राजनीति को एक नए रास्ते पर लेकर जा सकते हैं और वह यहां के सबसे ताकतवर नेता बन सकते हैं।
35 प्रतिशत मुसलमानों के बीच अजमल का बोलबाला
राजनीति के अलावा बदरुद्दीन हाजी अब्दुल माजिद मेमोरियल पब्लिक ट्रस्ट जो होजाई में है, उसके ट्रस्टी हैं। इस ट्रस्ट को असम के होजाई में हाजी अब्दुल माजिद मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए जाना जाता है।बदरुद्दीन का जन्म मुंबई में हुआ और उन्होंने उत्तर प्रदेश के देवबंद से अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह असम आए तो उन्हें इस बात का अहसास हो चुका था कि असम में मुसलमान को एक नेतृत्व की जरूरत है। असम में इस समय 35 प्रतिशत मुसलमान हैं और आज अजमल वहां के मुसलमानों में अपनी अच्छी पैठ रखते हैं।
जब सीएम ने पूछा कौन है बदरुद्दीन
साल 2006 में बदरुद्दीन ने असम विधानसभा का चुनाव लड़ा और उन्हें एक नहीं दो सीटों दक्षिण सालमरा और जामुनामुख से जीत हासिल हुई। भारी मतों से जीत हासिल कर बदरुद्दीन ने राजनीति विश्लेषकों को भी हैरान कर दिया था क्योंकि जब वह चुनावी मैदान में उतरे थे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने भी उन पर तंज कसा था। उन्होंने पूछा था कि यह बदरुद्दीन अजमल है कौन। इस जी के साथ ही उन्हें एयूडीएफ का नेता चुना गया जिसने उस समय हुए चुनावों में 10 सीटें जीती थीं। पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में थी और इतनी बड़ी जीत किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकती थी।
बनी असम की सबसे बड़ी पार्टी
इसके बाद साल 2011 में जब चुनाव हुए तो एआईडीयूएफ ने 18 सीटें जीतीं और असम में सबसे बड़ी राजनीति पार्टी बनकर उभरी। लेकिन साल 2012 में असम के एक मुसलमान संगठन सादाउ असोम गारिया और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अजमल पर आरोप लगाया कि उनकी आक्रामक टिप्पणियों की वजह से असम में हिंसा फैली है।
लोकसभा चुनावों में जीतीं 3 सीटें
विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल करने वाले अजमल ने साल 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। असम में लोकसभा की 14 सीटें हैं और इन सीटों में से तीन सीटों पर अजमल की पार्टी एआईडीयूएफ ने जीत दर्ज की थी। इन चुनावों के बाद असम और देश की राजनीति में उनका कद तेजी से बढ़ा। आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी बदरुद्दीन की एक अलग पहचान है।