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चंद्रयान -2 की कमान संभालने वाली कौन हैं ये दो महिलाएं

यह अभियान इसलिए भी ख़ास बन गया है क्योंकि यह पहला ऐसा अंतरग्रहीय मिशन होगा जिसकी कमान दो महिलाओं के हाथ में है. रितू करिधल इसकी मिशन डायरेक्टर और एम. वनीता प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने चंद्रयान 2 की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था, ''हम महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं करते.

By BBC News हिन्दी
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रितू करिधल (बाएं) और एम. वनीता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर चांद पर अपना उपग्रह भेजने जा रहा है. इस उपग्रह को 15 जुलाई को सुबह 2:51 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाएगा.

इससे पहले अक्तूबर 2008 में इसरो ने चंद्रयान-1 उपग्रह को चांद पर भेजा था. यह अभियान इसलिए भी ख़ास बन गया है क्योंकि यह पहला ऐसा अंतरग्रहीय मिशन होगा जिसकी कमान दो महिलाओं के हाथ में है. रितू करिधल इसकी मिशन डायरेक्टर और एम. वनीता प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं.

इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने चंद्रयान 2 की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था, ''हम महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं करते. इसरो में क़रीब 30 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं.''

यह पहली बार नहीं है जब इसरो में महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में मुख्य भूमिका निभाई हो. इससे पहले मंगल मिशन में भी आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही थी.

इस बार चंद्रयान 2 मिशन की कमान संभालने वालीं रितु करिधल और एम. वनीता कौन हैं, ये जानते हैं.

चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल

रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया कहलाने वालीं रितू

चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितू करिधल को 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है. वह मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी हैं. करिधल के पास एरोस्पेस में इंजीनियरिंग डिग्री है. वह लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं.

साल 2007 में उन्हें पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

करिधल की बचपन से ही विज्ञान में ख़ास दिलचस्पी थी. मार्स ऑर्बिटर मिशन के बाद बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, ''मैं चांद का आकार घटने और बढ़ने को लेकर हैरान होती थी और अंतरिक्ष के अंधेरे के पार की दुनिया के बारे में जानना चाहती थी.''

फ़िज़िक्स और मैथ्स रितू करिधल के पसंदीदा विषय रहे हैं. वो नासा और इसरो प्रोजेक्ट्स के बारे में अख़बार की कटिंग रखा करती थीं. स्पेस साइंस से जुड़ी हर छोटी बात को समझने की कोशिश करती थीं.

विज्ञान और अंतरिक्ष को लेकर उनका यही जुनून उन्हें इसरो तक ले गया. वो बताती हैं, ''पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री पूरी करने के बाद मैंने इसरो में नौकरी के अप्लाई किया था और इस तरह मैं स्पेस साइंटिस्ट बन पाई.''

वह क़रीब 20-21 सालों में इसरो में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुकी हैं. इनमें मार्स ऑर्बिटर मिशन बहुत महत्वपूर्ण रहा है.

इसरो में मंगल अभियान की खुशी मनाता महिला स्टाफ
AFP
इसरो में मंगल अभियान की खुशी मनाता महिला स्टाफ

मंगल की महिलाएं

रितू करिधल कहती हैं कि परिवार के सहयोग के बिना कोई भी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता है.

उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और बेटी. वो कहती हैं कि मां बनने के बाद वो घर रहकर भी ऑफिस का काम करती थीं और तब उनके पति बच्चों को संभालने में उनकी पूरी मदद करते थे. जब आपके परिवार के सदस्य आपका जुनून और मेहनत देखते हैं तो वो भी उसमें आपके साथ जुड़ जाते हैं.

उन्होंने बताया, ''जब मेरा बेटा 11 साल का और बेटी 5 साल की थी. तब हम समय बचाने के लिए मल्टीटास्किंग करते थे. ऑफ़िस में बुरी तरह थक जाने के बावजूद जब मैं घर जाकर अपने बच्चों को देखती और उनके साथ समय बिताती थी तो मुझे बहुत अच्छा लगता था.''

वह कहती हैं कि अक्सर ये कहा जाता है कि पुरुष मंगल ग्रह से आते हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आती हैं. लेकिन मंगल अभियान कि सफलता के बाद कई लोग महिला वैज्ञानिकों को 'मंगल की महिलाएं' कहने लगे हैं. उन्होंने कहा, ''मैं पृथ्वी पर रहने वाली महिला हूं, एक भारतीय महिला जिसे एक बेहतरीन मौक़ा मिला है.''

स्टार प्लस के एक कार्यक्रम 'टेड टॉक' में रितु करिधल ने कहा था, ''मुझे लगता है जो आत्मविश्वास मुझे मेरे माता-पिता ने 20 साल पहले दिया था वो आज लोग अपनी बच्चियों में दिखा रहे हैं. लेकिन हमें देश के गांवों, कस्बों में ये भावना लानी है कि लड़कियां चाहे बड़े शहर की हों या कस्बों की पर अगर मां-बाप का सहयोग हो तो वो बहुत आगे बढ़ सकती हैं."

एम वनीता, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चंद्रयान 2
Getty Images
एम वनीता, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चंद्रयान 2

प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम. वनिता

एम. वनिता चंद्रयान 2 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही हैं. वनीता के पास डिज़ाइन इंजीनियर का प्रशिक्षण है और एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया से 2006 में बेस्ट वुमन साइंटिस्ट का अवॉर्ड मिल चुका है. वो बहुत सालों से सेटेलाइट पर काम करती आई हैं.

विज्ञान मामलों के जानकार पल्लव बागला बताते हैं कि प्रोजेक्ट डायरेक्टर पर किसी अभियान पूरी ज़िम्मेदारी होती है. एक मिशन का एक ही प्रोजेक्ट डायरेक्टर होता है. जबकि किसी मिशन पर एक से ज़्यादा मिशन डायरेक्टर हो सकते हैं जैसे ऑर्बिट डायरेक्टर, सेटेलाइट या रॉकेट डायरेक्टर. रितू करिधल कौन सी मिशन डायरेक्टर हैं अभी ये साफ़ नहीं है.

एम. वनीता को इसमें प्रोजेक्ट के सभी पहलुओं को देखना होगा जिससे अभियान सफल हो सके. प्रोजेक्ट का हर काम उनकी निगरानी में होगा. उनसे ऊपर एक प्रोग्राम डायरेक्टर होता है.

इसरो
EPA
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क्या है चंद्रयान 2 अभियान

चंद्रयान-2 बेहद ख़ास उपग्रह है क्योंकि इसमें एक ऑर्बिटर है, एक 'विक्रम' नाम का लैंडर है और एक 'प्रज्ञान' नाम का रोवर है. पहली बार भारत चांद की सतह पर 'सॉफ़्ट लैंडिंग' करेगा जो सबसे मुश्किल काम होता है.

इसकी कुल लागत 600 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है. 3.8 टन वज़नी चंद्रयान-2 को यानी जीएसएलवी मार्क-तीन के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.

भारत अपने उपग्रह की छाप चांद पर छोड़ेगा यह बहुत ही अहम मिशन है. इसरो का मानना है कि मिशन कामयाब होगा.

इससे पहले चंद्रयान-1 का मिशन दो साल का था लेकिन उसमें ख़राबी आने के बाद यह मिशन एक साल में ही समाप्त हो गया. उस लिहाज़ से अगर देखा जाए तो इसरो कहता है कि उसने चंद्रयान-1 से सबक़ लेते हुए चंद्रयान-2 मिशन में सारी कमियों को दूर कर दिया है.

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English summary
Who are the two lady commanders of Chandrayaan-2?
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