क्या है फिंगरप्रिंट सर्जरी, जिससे कुवैत खा रहा था चकमा? सिर्फ 25,000 रुपए लेकर कर रहे थे बड़ा कांड
हैदराबाद, 1 सितंबर: तेलंगाना पुलिस ने दो ऐसे शातिर लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 25-25 हजार रुपए लेकर लोगों की उंगलियों के निशान ही बदल दे रहे थे। पुलिस के हत्थे इनके साथ वे लोग भी चढ़े हैं, जो फिंगरप्रिंट सर्जरी करवा चुके हैं। दरअसल, यह खेल कुवैत के वीजा के लिए चल रहा था। क्योंकि, जिन लोगों को वहां से किसी अपराध में संलिप्त पाए जाने के बाद डिपोर्ट कर दिया गया था, वह नए निशान के साथ नया वीजा बनवाकर वापस कुवैत चले जा रहे थे। यह गिरोह सिर्फ तेलंगाना में ही सक्रिय नहीं था। बल्कि, केरल से लेकर राजस्थान तक में मानव तस्करों की मदद कर चुका था।
फिंगरप्रिंट सर्जरी के जरिए कबूतरबाजी!
अब तक तो हम यही समझते थे कि किसी संदिग्ध को पकड़ने के लिए या किसी अपराध की गुत्थी सुलझाने के लिए फिंगरप्रिंट पूरी तरह पुख्ता सबूत है। लेकिन, आप चौंक जाएंगे कि धोखाधड़ी करने वालों ने भी इसकी भी काट निकाल ली है और यह बहुत ही खतरनाक संकेत हैं। तेलंगाना पुलिस ने दो लोगों को पकड़ा है, जो मानव तस्करी के लिए इस तरह की फिंगरप्रिंट सर्जरी को अंजाम दे रहे थे। अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह फिंगरप्रिंट गिरोह रोजगार के लिए कुवैत जाने वालों की फिंगरप्रिंट सर्जरी को अंजाम देता था, ताकि उन्हें गैर-कानूनी तरीके से भारत से बाहर भेजा जा सके।
25,000 रुपए रखी थी फिंगरप्रिंट सर्जरी की फीस
तेलंगाना पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने अबतक कम से कम 11 ऐसी सर्जरी की हैं, जिससे लोगों का फिंगरप्रिंट का पैटर्न बदल दिया गया है। यह सर्जरी तेलंगाना के साथ ही राजस्थान और केरल में भी किए गए हैं। इस सर्जरी के लिए यह गिरोह प्रत्येक सर्जरी के लिए 25,000 रुपए की उगाही करता था। दरअसल, इस तरह की सर्जरी में जन्म से हाथों की उंगलियों में जो निशान हैं, उनका पैटर्न पूरी तरह से बदल दिया जाता है, जिससे सर्जरी करवाने वाले की पहचान ही बदल जाती है और अगर वह अपराधी है तो उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
मेडिकल किट और बाकी सबूत भी जब्त
इस मामले में पुलिस के हत्थे दो ऐसे लोग भी चढ़े हैं, जिन्होंने फिर से कुवैत में एंट्री के लिए ऐसी सर्जरी करवाई है। इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक इन्हें कुवैत से निर्वासित किया गया था, लेकिन वे इस सर्जरी की मदद से वहां फिर से घुसने की फिराक में थे। पुलिस ने इस सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाली मेडिकल किट और बाकी सबूत भी जब्त कर लिए हैं।
कौन हैं गिरोह में शामिल लोग ?
पुलिस को जब इस गिरोह के बारे में सूचना मिली तो सोमवार को उसने कुछ थानों की पुलिस की एक स्पेशल ऑपरेशन टीम गठित की और चारों लोगों को धर-दबोचा। जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है, उनकी पहचान गज्जलकोंडुगरी नागा मुनेश्वर रेड्डी, सागबाला वेंकट रमना, बोविला शिव शंकर रेड्डी और रेंडला राम कृष्ण रेड्डी के रूप में हुई है। ये कडपा से आए थे और हैदराबाद के एक होटल में ठहरे हुए थे। ये घाटकेसर में और लोगों की भी ऐसी ही सर्जरी करने की तैयारी कर रहे थे। इनमें 36 साल का मुनेश्वर रेड्डी कडपा के एक अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट और एक्स-रे तकनीशियन है, जबकि 39 साल का सागबाला तिरुपति के एक अस्पताल में ऐनिस्थीशिया तकनीशियन है। 25 साल का बोविला शिव शंकर रेड्डी और 38 साल का रेंडला राम कृष्ण रेड्डी कुवैत में कंस्ट्रक्शन वर्कर के तौर पर काम कर रहा था।
क्या है फिंगरप्रिंट सर्जरी ?
जिन लोगों को आपराधिक गतिविधियों के चलते कुवैत से निर्वासित किया गया था, उन्हें इस सर्जरी से अधिकारियों को चकमा देने में सहायता मिल रही थी। इस सर्जरी में दोनों मुख्य आरोपी टारगेट के फिंगरटिप की ऊपरी परत काट देते थे,टिशू का भी हिस्सा हटा देते थे और फिर से उसे स्टिच कर देते थे। एक या दो महीने में घाव भर जाता था और लगभग एक साल तक के लिए फिंगरप्रिंट पैटर्न थोड़ा सा बदल जाता था। फिर इसी दौरान यह सारा खेल रच देते थे।
फिंगरप्रिंट सर्जरी के बाद आधार कार्ड करवाते थे अपडेट
फिंगरप्रिंट सर्जरी के बाद लोग अपना आधार का फिंगरप्रिंट अपडेट करा लेते थे। इसके साथ ही उसमें पता भी बदल लेते थे और पुलिस के मुताबिक यह सब हो जाने के बाद वह कुवैत जाने के लिए नए वीजा के लिए आवेदन देते थे। अभी तक यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि इस तरह के फर्जीवाड़े की सहायता से कितने लोग कुवैत के अधिकारियों को चकमा देने में सफल हो चुके हैं। (तस्वीरें- सांकेतिक)