सत्यपाल मलिक और वरुण गांधी पर कार्रवाई को लेकर क्या सोच रही है BJP ? जानिए
नई दिल्ली, 5 जनवरी: बीजेपी से जुड़े कई ऐसे नेता और वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग हैं, जिन्होंने पार्टी की मुश्किलें खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लोकतांत्रिक परंपरा के अनुसार अपनी ही सरकार और पार्टी की नीतियों की आलोचनाएं करना स्वस्थ लोकतंत्र का प्रमाण है। लेकिन, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पार्टी सांसद वरुण गांधी ने जिस अंदाज में और जिस मौके पर अपनी ही सरकार की भद पिटवाई है, भारतीय राजनीति में आमतौर पर ऐसा कम ही देखा जाता है। क्योंकि, पार्टी या सरकार में रहकर विरोधी दल वाला रवैया अपनाने के बाद उसे सिर्फ बाहर का ही रास्ता नापना पड़ता है। लेकिन, मलिक और वरुण की तीखी टिप्पणियों और आलोचनाओं के बावजूद भी भाजपा और भाजपा सरकार उन्हें बर्दाश्त कर रही है तो आखिर क्यों ?
पीएम मोदी पर टिप्पणी की वजह से विवाद में आए सत्यपाल मलिक
मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक दो दिन पहले बहुत बड़े विवाद की वजह बन गए थे। मीडिया में और बीजेपी के विरोधी दलों ने उनका कुछ वीडियो जारी किया था, जिसमें कथित तौर पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत ही सनसनीखेज आरोप लगा रहे थे। कांग्रेस ने तो उस वीडियो के आधार पर पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था। राज्यसभा में विरोधी दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अपने ट्विटर हैंडल से वह विवादित वीडियो शेयर कर पीएम मोदी से जवाब मांग लिया था। मलिक की ओर से गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी के बीच के ताल्लुकातों पर भी कथित टिप्पणी के दावे किए जा रहे थे। लेकिन, बाद में सत्यपाल मलिक ने अपने सुर नरम कर लिए। उन्होंने फॉरन सफाई भी दी थी और कहा था कि गृहमंत्री शाह मोदी जी का बहुत ही ज्यादा सम्मान करते हैं।
उत्तर प्रदेश चुनाव तक कार्रवाई नहीं!
लेकिन, सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार बीजेपी कई बार विवादित बयान देकर केंद्र सरकार को मुश्किल में डालने वाले राज्यपाल मलिक को अबतक क्यों झेल रही है। वे अकेले नहीं हैं। यूपी में पीलीभीत सीट से पार्टी सांसद वरुण गांधी भी वह नाम हैं, जो आजकल भाजपा में रहकर पार्टी के लिए रोज ही कोई न कोई नई परेशानियां खड़ी कर रहे हैं। लेकिन, द प्रिंट की एक खबर के मुताबिक बीजेपी ने 'कम से कम' उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक मलिक को 'झेलते रहने' का फैसला किया है। मंगलवार को एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि 'अगर हम उन्हें हटाएंगे तो वह और खबरों में आएंगे।'
मलिक और वरुण की बातों को नजरअंदाज करेगी पार्टी!
सत्यपाल मलिक का कार्यकाल अब नौ महीने का ही रह गया है। सत्ताधारी दल के एक पदाधिकारी ने कहा है, 'अभी तक यही योजना है कि उनकी ओर ध्यान ही नहीं दिया जाए, जो कि वह अपने विरोधी तेवरों से दिलाना चाहते हैं। वरुण गांधी (पीलीभीत से भाजपा सांसद) के साथ भी यही बात है। वह रोजाना कुछ न कुछ अपने सोशल मीडिया पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए डालते रहते हैं, लेकिन कोशिश है कि उन्हें भी नजरअंदाज किया जाए।' पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी के बेटे ने पिछले कुछ महीनों से विशेष तौर पर यूपी सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जताई है। वह ऐसे पचासों ट्वीट कर चुके हैं। लेकिन, पार्टी की ओर से उनके खिलाफ कभी भी कुछ नहीं कहा गया है।
बेवजह महत्त्व नहीं देने की रणनीति
भाजपा नेताओं के मुताबिक पार्टी मलिक के आरोपों का जवाब देकर उन्हें बेवजह का महत्त्व नहीं देना चाहती है। पार्टी में कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें लगता है कि उनके खिलाफ अभी की जाने वाली कार्रवाई सिर्फ विधानसभा चुनावों से ध्यान भटकाएगा, जिसे पार्टी हर कीमत पर टालना चाहती है। खासकर किसान आंदोलन को लेकर मलिक ने सत्ताधारी बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ टिप्पणियां करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा है। लेकिन, पहली बार वह पीएम मोदी को लेकर कथित विवादित टिप्पणियों की वजह से चर्चा में आए हैं, जिसपर बाद में उन्होंने अपना सुर जरूर नरम कर लिया है। लेकिन, इसके बावजूद बीजेपी का कोई नेता खुलकर उनके खिलाफ बोलने से बच रहा है।