West Bengal elections:क्या है BJP की परिवर्तन यात्रा रोकने की TMC सरकार की खास तरकीब ?
West Bengal assembly elections 2021:फरवरी और मार्च में एक महीने के अंदर भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में पांच परिवर्तन रथ यात्रा (Parivartan Rath Yatra) निकालने की योजना बना चुकी है। इनमें से कुछ परिवर्तन यात्राओं को तो खुद गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President of BJP JP Nadda) हरी झंडी दिखाएंगे। लेकिन, प्रदेश के सभी जोन और राज्य की सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली इन रथ यात्राओं को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने अभी तक 'ना तो मंजूरी दी है और ना ही इजाजत देने से इनकार' ही किया है। राज्य सरकार बीजेपी (BJP) के अधिकारियों से सिर्फ इतना कह रही है कि वह अपने कार्यक्रमों की अनुमति लेने के लिए स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें। बीजेपी को ममता सरकार के इस रवैए में 2019 के लोकसभा चुनावों के समय उसके बर्ताव की बू आ रही है, जिसमें पार्टी की तीन यात्राएं इसी वजह से आखिरकार नहीं ही निकल पाई थी।
समय पर कैसे निकलेगी परिवर्तन रथ यात्रा, उलझन में भाजपा
पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक महीने के लिए निकलने वाली भाजपा (BJP)की पांच परिवर्तन यात्राओं में तीन को अमित शाह और जेपी नड्डा लॉन्च करने वाले हैं और बाकी यात्राओं को पार्टी के दूसरे नेता हरी झंडी दिखाएंगे। इनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath)के नाम की भी चर्चा है, जिनको लेकर प्रदेश नेताओं को यकीन है कि वह पार्टी और कार्यकर्ताओं में इसके जरिए नया जोश भर सकते हैं। पार्टी ने अपने राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन को इन कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन, पार्टी की परेशानी ये है कि समय नजदीक आता जा चुका है, लेकिन उन्हें यात्राओं के लिए ना तो इजाजत दी जा रही है और ना ही मना ही किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने नहीं दी इजाजत, स्थानीय प्रशासन के पास जाने को कहा
दरअसल, प्रदेश भाजपा ने 1 फरवरी को राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय (chief secretary Alapan Bandyopadhyay) को राज्यभर में रथ यात्राएं निकालने की इजाजत देने के लिए आवेदन दिया था। इसमें यात्रा की शुरुआत और उसके खत्म होने की जगह की पहचान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व वाली जगहों के रूप में की गई थी, जिसमें नदिया जिले में नबाद्वीप और बीरभूम जिले में शक्तिपीठ तारापीठ के अलावा कूच बेहार, काकद्वीप और झारग्राम का नाम भी शामिल है। लेकिन, बुधवार को राज्य सरकार ने पार्टी नेता और प्रदेश में चुनाव मामलों के प्रभारी प्रताप बनर्जी (Pratap Banerjee) को जवाब दिया है, 'इसके लिए आप स्थानीय स्तर पर उचित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं, जिनपर कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है।'
यात्रा में अड़ंगा लगाने की कोशिश-बीजेपी
बीजेपी के एक अधिकारी के मुताबिक, 'इसका मतलब बीजेपी को उन सभी थानों और स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करना होगा, जहां से यात्रा गुजरेगी। हमने अपने मामलों में देखा है कि पुलिस सिर्फ 10 किलोमीटर की ही मंजूरी देती है और फिर हमें दूसरे अधिकारियों से संपर्क करना होता है। यह सिर्फ हमारे रास्ते में अड़ंगा डालने की कोशिश है। राज्य सचिवालय एकमुश्त अनुमति दे सकता था और इसे आसान बना सकता था।' प्रताप बनर्जी (Pratap Banerjee) ने ईटी से बातचीत में कहा है कि अब पार्टी स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने और मंजूरी लेने का इंतजाम कर रही है। उनका कहना है कि,'यह एक लंबी प्रक्रिया होगी, लेकिन हमें विश्वास है कि हम यात्रा निकालेंगे और लोग हमारे साथ हैं.....यह मास कनेक्ट (mass connect) का कार्यक्रम होगा।'
2019 वाली तरकीब आजमा रही है ममता सरकार ?
बीजेपी की ओर से चीफ सेकरेटरी की ओर से बताई गई औपचारिकताएं पूरी करने की बात तो कही जा रही है, लेकिन उसके मन से 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले वाली आशंका भी बढ़ती जा रही है। तब भी ममता बनर्जी सरकार ने पार्टी को तीन यात्राओं के लिए स्थानीय अधिकारियों से ही इजाजत लेने को कहा था। तब यह मामला अदालत तक पहुंच गया और फिर वह यात्रा निकाल ही नहीं सकी। TMC सरकार की इस तरकीब की झलक एक वरिष्ठ तृणमूल नेता की बातों से महसूस होती है। उन्होंने कहा है कि सरकार यात्रा को 'ना ही इनकार किया है और ना ही इसे मंजूरी दी है', जो कि सुरक्षित पहल है। उनकी दलील है कि, 'यात्रा के चलते सांप्रदायिक झड़पें और हिंसा हो सकती है। हमारी सीमित मंजूरी के बावजूद नबन्ना मार्च और उत्तरी बंगाल में बीजेपी की रैली के दौरान हिंसा भड़कते हुए हम देख चुके हैं। ऐसा सिर्फ उन हालातों को टालने के लिए किया जा रहा है। '
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