Ukraine VIDEO: हजारों भाग रहे जान बचाकर, पंजाबी लड़कों ने ट्रेन में लगाया लंगर, बांटा खाना
कीव/नई दिल्ली। यूक्रेन संकट के बीच वहां से जान बचाकर निकल रहे हजारों विदेशियों में बड़ी तादाद भारतीयों की है। जिनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिन्हें भूखे-प्यासे और पैदल चलना पड़ रहा है। चूंकि, भारत सरकार ने भारतीयों को वहां से निकालने के लिए यह व्यवस्था की है वे किसी तरह यूक्रेन से सटे पोलैंड, हंगरी या रोमानिया देश पहुंचें और फिर उन्हें हवाई जहाज से भारत लाया जाएगा। ऐसे में वे अपना साजो-सामान छोड़कर, बैग लेकर या खाली हाथ ही भाग रहे हैं।
यूक्रेन से जान-बचाकर भाग रहे हजारों लोग
यूक्रेन से भागते लोगों के लिए, भारत के पंजाब राज्य के रहने वाले कुछ लड़के 'देवदूत' बन गए। एक ट्रेन जो कि यूक्रेन से पोलैंड जा रही थी, पूरी भरी हुई थी, उसमें बहुत से लोग भूखे-प्यासे ही सवार हो गए। ऐसे लोगों के लिए पंजाब के हरदीप सिंह और उसके साथियों ने खाना ऑफर किया।
ट्रेन में गुरु का लंगर
हां जी, एक वीडियो सामने आया है, जिसे 'ट्रेन में गुरु का लंगर' शीर्षक से शेयर किया जा रहा है। यह वीडियो उस ट्रेन का है, जिसमें यूक्रेन से पोलैंड को भाग रहे लोग सवार हैं। उसमें भारतीयों के अलावा अन्य विदेशी भी शामिल हैं। ऐसे में हरदीप सिंह नाम के युवक और उसके साथियों द्वारा यूक्रेन की सीमा पर यात्रा कर रहे भूखे छात्रों को खाना खिलाया गया। वे ट्रेन में ही खाना बांटते दिखे।
पंजाबियों का सराहनीय प्रयास
युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकलते लोगों के लिए, वे सराहनीय प्रयास करते नजर आए। रुला देने वाली स्थिति के बीच यह वीडियो लोगों को वाकई अच्छा लग रहा है, क्योंकि ऐसे समय में सोशल मीडिया वहां के दिल दहला देने वाले दृश्यों से भरा हुआ है।
दुनिया में बहुत से दिलेर इंसान हैं..
यूक्रेन से बाहर आने वाले लोगों के लिहाज से और, मानवता के लिहाज से भी ट्रेन में खाना बांटते भारतीय लड़कों का प्रयास एक आशा को पुनर्जीवित करता है, कि दुनिया में बहुत से दिलेर इंसान हैं।
भाग्यशाली हैं वो लोग जो इस ट्रेन में चढ़े
इस वीडियो को रविंदर सिंह (खालसा एआईडी के संस्थापक-सीईओ) द्वारा ट्विटर पर साझा किया गया। उन्होंने लिखा कि, जिन लोगों को इस ट्रेन में चढ़ने का सौभाग्य मिला, वे कम से कम खाना तो खा पा रहे हैं। बता दें कि, ट्रेन यूक्रेन के पूर्व से पश्चिम की ओर (पोलिश सीमा तक) की यात्रा कर रही है।
जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आए
बकौल रविंदर, ''दिलचस्प बात यह है कि ऐसा पहली बार यूक्रेन में ही नहीं है जब सिख युवकों का लंगर लगा हो, उनकी सामुदायिक रसोई की अवधारणा, हमेशा यह रही है कि वे बिना किसी का जाति मजहब देखे, हर किसी को भोजन साझा करें। तो अभी वे यूक्रेन में भी- वैश्विक संकट के दौरान जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आए हैं।
1 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके
यूक्रेन से निकलने वाले लोगों की संख्या हजारों में है। अभी खबर आई है कि, 1 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। यूक्रेन के शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उनके देश में लगभग 80,000 अंतर्राष्ट्रीय छात्र अध्ययन करते हैं, जिसमें सबसे अधिक संख्या भारत से आती है, इसके बाद मोरक्को, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और नाइजीरिया आते हैं।
आपातकालीन आपूर्ति का अनुरोध
रूसी आक्रमण और इसके परिणामस्वरूप यूक्रेन में पनपी गंभीर स्थिति ने इन छात्रों को अपनी सुरक्षा के लिए जूझने पर मजबूर कर दिया है।
यूक्रेन में गुजरात के सैकड़ों छात्र फंसे
पिछले दो दिनों में, बहुत से छात्रों और उनके परिवारों ने सोशल मीडिया पर, यूक्रेन में अपने आश्रयों के स्थानों को साझा करते हुए, आपातकालीन आपूर्ति का अनुरोध किया है और अपनी-अपनी राष्ट्रीय सरकारों से उन्हें युद्धग्रस्त देश से बाहर निकालने के लिए कहा है।
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इस वीडियो ने दी राहत
खबर यह भी है कि, रोमानिया के लिए निकली एक बस में सवार भारतीयों से यूक्रेन में लूट हुई है। चिंतित करने वाली तमाम घटनाओं के बीच पंजाबियों के खाना बांटने का वीडियो हमें वाकई फक्र महसूस कराता है।