सऊदी अरब में फंसे 10,000 भारतीय, फिर जनरल सिंह बने उम्मीद की किरण
नई दिल्ली। पहले यमन फिर सूडान और अब सऊदी अरब, विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह एक बार फिर से एक बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार हैं जिसमें दांव पर लगी है 10,000 भारतीयों की जिंदगी। इस समय सऊदी अरब में 10,000 भारतीय फंसे हुए हैं और इनकी हालत इतनी खराब है कि खाने तक के लाले हैं। इन भारतीयों ने ट्विटर का सहारा लिया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की अपील की। अब विदेश मंत्री ने विदेश राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह को इन भारतीयों की मदद के लिए जेद्दा रवाना किया है।
भारत ने तैयार की लिस्ट
भारत की ओर से उन सभी भारतीयों की लिस्ट तैयार की गई है जो जेद्दा में लेबर कैंप्सों में रह रहे हैं और इन्हें अब वहां से निकालने की तैयारी हो रही है। जनरल सिंह जेद्दा में इन भारतीयों को निकालने की प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। रायटर्स की खबर के मुताबिक भारत सरकार ने जेद्दा में बसे भारतीयों की मदद से इन 10,000 भारतीयों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया है।
दिलाई जाएगी तनख्वाह
माना जा रहा है कि इसी हफ्ते इन भारतीयों को वापस लाया जाएगा। इसके अलावा सऊदी अरब सरकार से भी बातचीत की जा रही है ताकि इन लोगों की बची हुई तनख्वाह इन्हें दिलवाई जा सके। ये 10,000 भारतीय वे हैं जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है और उन्हें छह माह से तनख्वाह भी नहीं दी गई है। इनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि ये भारत वापस लौट सकें।
फिर जनरल सिंह के कंधों पर जिम्मेदारी
ऐसे में एक बार फिर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह इन भारतीयों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। अगर आपको याद हो तो अप्रैल 2015 में भारत ने यमन में बसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन राहत की शुरुआत की थी। इसकी अगुवाई जनरल वीके सिंह ने ही की थी।
यमन का श्रेय जनरल सिंह को
जनरल सिंह की देखरेख में ऑपरेशन राहत एक अप्रैल 2015 को शुरू हुआ और 11 अप्रैल 2015 को खत्म हुआ। इस दौरान कुल 5600 लोगों को सुरक्षित निकाला गया जिसमें से 4640 भारतीय थे तो 960 नागरिक दूसरे देशों के थे।
उस समय जहां भारत ने दुनिया को हैरान कर दिया था तो वहीं जनरल सिंह ने भी काफी वाहवाही बटोरी थी। अब फिर से सबकी नजरें सऊदी अरब में फंसे 10,000 लोगों और जनरल सिंह पर लग गई हैं।
पिछले
हफ्ते
सूडान
कुछ दिनों पहले साउथ सूडान में सिविल वॉर की शुरुआत हुई और वहां पर करीब 700 भारतीयों को सुरक्षित निकालने का जिम्मा विदेश मंत्रालय पर आ गया। मंत्रालय की ओर से 'ऑपरेशन संकटमोचक' की शुरुआत हुई और इसकी जिम्मेदारी भी वीके सिंह को मिली थी।
भारत की ओर से दो ग्लोबमास्टर सर-17 एयरक्राफ्ट्स को साउथ सूडान की राजधानी जूबा भेजा गया। जनरल सिंह ने पूरे इवैक्यूएशन प्रॉसेस पर नजर रखी और भारतीयों को सुरक्षित जूबा से एयरलिफ्ट किया गया।