मां बकरी पालकर चलाती थीं घर, शिक्षक ने दी फीस, विशाल ने UPSC क्लीयर कर सच किया सपना
नई दिल्ली, 31 मई। कहते हैं ना कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है। इस कहावत को मुजफ्फरनगर के विशाल ने चरितार्थ करके दिखा दिया है। यूपीएससी ने 2021 का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है और विशाल ने इस परीक्षा में तमाम मुश्किलों के बावजूद सफलता हासिल की है। बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले विशाल ने यूपीएससी में 484वीं रैंक हासिल की है। जिस तरह के मुश्किल हालात में विशाल ने यह सफलता हासिल की है वह किसी के लिए प्रेरणादायक हो सकता है।
संघर्ष से हासिल किया ये मुकाम
विशाल अपनी इस सफलता का सबसे बड़ा श्रेय अपने शिक्षक गौरी शंकर प्रसाद को देते हैं। विशाल ने बताया कि मेरे शिक्षक ने ही मुझे मुश्किल हालात में भी यूपीएससी की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने मेरी पढ़ाई की फीस दी थी। जब भी मुझे पढ़ाई के दौरान पैसों की दिक्कत आती थी तो गौरी शंकर जी मुझे अपने घर बुला लेते थे। यही नहीं जब मेरी नौकरी लग गई तो गौरी शंकर जी ने मुझसे नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कहा। उन्होंने मेरे संघर्ष के दिनों में हर मोड़ पर मेरी मदद की।
मां ने बकरी पालकर चलाया घर
विशाल मुजफ्फरपुर के मीनापुर स्थिति मकसूदपुर गांव के रहने वाले हैं और 2008 में विशाल के पिता का निधन हो गया था। पिता मजदूरी करके किसी तरह से घर का लालन-पालन करते थे। लेकिन पिता के निधन के बाद मां रीना देवी ने किसी तरह से घर को चलाया। विशाल की मां रीना देवी बकरी और भैंस पालकर घर को चलाती थीं। विशाल कहते हैं कि मेरी मां ने कभी भी मुझे अपने पिता की कमी महसूस नहीं होने दिया।
आईआईटी कानपुर में मिला दाखिला
अपने पिता को याद करते हुए विशाल ने कहा कि वो हमेशा मुझसे कहते थे कि एक दिन मैं पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनूंगा। आज जब विशाल ने अपने पिता के सपने को पूरा करके दिखाया है तो उनके परिवार, रिश्तेदार, दोस्तों और आस-पास के लोगों में खुशी की लहर है। विशाल ने 2011 में 10वीं की परीक्षा में टॉप किया था। 2013 में विशाल ने आईआईटी कानपुर में दाखिला लिया और 2017 में यहां से पास होने के बाद रिलायंस में नौकरी करने लगे।
नौकरी छोड़ की तैयारी
विशाल ने बताया कि जब वह नौकरी कर रहे थे तो मेरे शिक्षक गौरी शंकर ने मुझसे कहा कि नौकरी छोड़ दो और यूपीएससी की तैयारी करो। नौकरी छोड़ने के बाद मेरे शिक्षक ने मुझे आर्थिक मदद दी। अपनी कड़ी मेहनत के दम पर विशाल ने आखिरकार यह सफलता हासिल की। इस सफलता के बाद विशाल के घर वाले काफी खुश हैं। वहीं गौरी शंकर का कहना है कि विशाल पढ़ने में शुरुआत से ही होशियार था और उसकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज उसे यह सफलता मिली है।