विशाखापट्टनम हादसा: जानिए उस गैस के बारे में जिसने ली 8 लोगों की जान, हवा में मिलते ही बन जाता है जहर
चेन्नई। विशाखापट्टनम में एक पॉलीमर बनाने वाली कंपनी में गैस रिसाव हुआ है। गैस के संपर्क में आने से 7 लोगों की मौत हो गई है जबकि 20 की हालत गंभीर बताई जा रही है। करीब 150 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गैस रिसाव का असर 2 किलोमीटर के क्षेत्र में हुआ है। नौसेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं। साथ ही आसपास के गांवों को भी खाली करवाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक आरएस वेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर इंडस्ट्री प्लांट में गैस उस वक्त लीक हुई, जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। घटना करीब सुबह 3 बजे की है, जब लोगों को गैस रिसाव की वजह से सांस लेने में दिक्कत हुई और करीब हजार से अधिक लोग बीमार पड़ गए। किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि प्लांट से रिसने वाली गैस का नाम स्टीरीन है, जो गैस के संपर्क में आने वालों के दिमाग और रीढ़ पर असर करती है। विस्तार से जानिए इस गैस के बारे में और क्या होता है इसका असर

सबसे पहले जानिए क्या है स्टीरीन गैस
स्टीरीन गैस एथेनिलबेनजीन, विनाइललबेंजिन और फेनइलथीन के नाम से भी जाना जाता है। रासायनिक तौर यह यह एक कार्बनिक यौगिक है। यह एक रंगहीन तैलीय तरल है। यह कार्बनिक यौगिक पीला दिखाई देता है और हवा के संपर्क में आने पर आसानी से वाष्पित हो जाता है। इसमें एक मीठी गंध होती है। स्टीरीन पॉलीस्टाइरीन और कई कॉपोलिमर्स का अग्रदूत है। स्टीरीन गैस का नाम स्टॉरैक्स बालसम के नाम पर रखा गया है जो अल्टिंगियासी पौधे परिवार के लिक्विडम्बर पेड़ों की राल है। स्टीरीन प्राकृतिक रूप से कुछ पौधों और खाद्य पदार्थों (दालचीनी, कॉफी बीन्स, और मूंगफली) में कम मात्रा में होता है। यह कोयला टार में भी पाया जाता है।

स्टीरीन गैस का उपयोग
स्टीरीन का उपयोग मुख्य रूप से पॉलीस्टाइन प्लास्टिक, पॉलियस्टर और रेजिन के उत्पादन में किया जाता है। यह कॉपोलिमर और रेजिन के उत्पादन में सामग्रियों के संश्लेषण में एक मिडिएटर की भूमिका निभाता है।
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हवा के संपर्क में आकर जहरीला हो जाता है स्टीरीन गैस, फेफड़ों पर पड़ता है असर
डॉक्टरों ने बताया कि बाहरी वातावरण में आने के बाद स्टीरीन ऑक्सीजन के साथ आसानी से मिक्स हो जाती है। नतीजतन हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके संपर्क में आने के बाद लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं। ज्यादा समय के लिए शरीर में गैस रहे तो लीवर पर भी प्रभाव पड़ता है। स्टीरीन हवा के साथ मिलकर जहरीली गैस में बदल जाती है, यह दिमाग और स्पाइन पर असर करती है।

नर्वस सिस्टम पर असर डालती है ये गैस
बताया जा रहा है कि स्टीरिन गैस मानव के नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकती है। साथ ही पैंक्रियाटिक कैंसर को जन्म दे सकती है। एक अन्य अध्ययन बताता है कि स्टीरिन का असर आंखों के साथ सुनने पर भी पड़ सकता है।

कैंसर भी हो सकता है इस गैस से
खास बात यह है कि इस गैस के प्रभाव में आने वाले लोग आने वाले दिनों में कैंसर रोग पीड़ित हो सकते हैं। साथ ही यह इंसानों से ज्यादा जनवरों के लिए ज्यादा खतरनाक है। कुछ शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि प्लास्टिक उद्योग में काम करने वाली महिलाओं पर इसका असर नकारात्मक होता है। इससे गर्भपात की आशंका बनी रहती है। कई महामारी विज्ञान के अध्ययनों से पता चलता है कि स्टाइरीन ल्यूकेमिया और लिम्फोमा का जोखिम भी बढ़ सकता है।

क्या कहना है एक्सपर्ट्स का
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस गैस के संपर्क में आये लोगों का तुरंत इलाज करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है। इससे बचने के लिए लोगों को फिलहाल गीले मास्क पहनने के लिए दिए जा रहे हैं। एक्सपर्ट्स यह भी मान रहे हैं कि आपको अभी बाहर निकलने से बचना चाहिए और घर के दरवाजे-खिड़कियों को अच्छी तरह बंद कर लेना चाहिए।