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7 घंटे तक टनल के भीतर फंसे रहे मजदूरों ने बताई आपबीती, कैसे चिटकी दीवार ने जगाई उम्मीद

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली में जिस तरह से रविवार को ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई उसमे कई लोगों की जान चली गई और कई लोग इस हादसे में अभी भी लापता हैं। इस दौरान यहां टनल में काम करने वाले मजदूर हादसे के बाद इसमे फंस गए। आईटीबीपी के जवानों ने टनल में काम कर रहे 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला है। बाहर निकलने के बाद सुनील द्विवेदी ने अपना अनुभव साझा किया।

अचानक चीखना शुरू कर दिया लोगों ने

अचानक चीखना शुरू कर दिया लोगों ने

सुनील ने बताया कि हम टनल के भीतर काम कर रहे थे, तभी लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया, हमसे बाहर निकलने के लिए कह रहे थे। हम चकित थे, सोच रहे थे कि आखिर क्या हो गया है। अचानक से टनल के भीतर पानी भरने लगा और हम लोग इसके भीतर फंस गए, बाहर नहीं आ सके। हम टनल के 300 मीटर भीतर थे, हम लोहे की रॉड पर अटके थे, हमारा सिर पानी के ऊपर था। हम इस तरह से एक घंटे तक अंदर फंसे रहे थे।

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दर्जनों लोग अभी भी लापता

दर्जनों लोग अभी भी लापता

बता दें कि रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट गया, जिससे बड़ा हादसा सामने आया। इस हादसे में तकरीबन 10 लोगों की जान चली गई है और 125 लोग अभी भी लापता हैं। इस हादसे में एनटीपीसी हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट, तपोवन विष्णुगण और रिषि गंगा प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है, यहां काम कर रहे कई मजदूर टनल के भीतर फंस गए।

परिवार से मिलने की उम्मीद टूट चुकी थी

परिवार से मिलने की उम्मीद टूट चुकी थी

सुनील ने बताया कि एक समय पर हमे लगा कि हम कभी भी अपने परिवार से नहीं मिल पाएंगे। लेकिन कुछ देर बाद पानी निकलना शुरू हो गया और पानी का स्तर नीचे जाने लगा। हम बड़े पत्थरों से होते हुए बाहर निकले, अंदर सांस लेना मुश्किल था, तभी हम लोगों ने देखा अंदर दीवार में क्रैक हुआ था, जहां से हम सांस लेने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद हमे उम्मीद थी कि हम बच सकते हैं, हमे पता था कि हमे जीना है, एक दूसरे वर्कर के पास फोन था और इसमे नेटवर्क आ रहा था। उसने एनटीपीसी में हमारे सुपरवाइजर को फोन किया। कुछ देर बाद आईटीबीपी के जवान अंदर आए और हमे बचाया।

7 घंटे तक फंसे रहे सुरंग में

7 घंटे तक फंसे रहे सुरंग में

टनल के भीतर काम कर रहे जो मजदूर फंसे थे उन्हें जोशीमठ स्थित आईटीबीपी फैसिलिटी पर ले जाया गया और वहां उनका इलाज कराया गया। एनडीआरएफ ने कहा कि लो विजिबिलिटी की वजह से राहत और बचाव का कार्य रफ्तार से नहीं हो पा रहा है। लेकिन जो लोग इस हादसे में बचाए गए हैं उन्होंने सुरक्षाकर्मियों का शुक्रिया अदा किया है। एक अन्य मजदूर बसंत का कहना है कि यह मुश्किल समय तकरीबन 7 घंटे तक चला, सुबह 10 बजे से पानी सुरंग के अंदर भरा और हम उसमे फंस गए। हमे नहीं पता था कि क्या करें, हम जिंदा रहेंगे भी या नहीं। हम किसी तरह से लोहे की रॉड पकड़कर शाम 5 बजे तक लटके रहे। तकरीबन 5 बजे आईटीबीपी के जवान अंदर आए और हमे बचाया, वो हमे अस्पताल ले गए और हमारा अच्छी तरह से देखभाल किया।

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English summary
Uttarakhand glacier burst: Here is how labors survived in the tunnel.
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