'मुझे डर है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा', राम मंदिर पर सुनवाई के बीच केंद्रीय मंत्री का बयान
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बीच मोदी सरकार में मंत्री और बिहार की नवादा सीट से लोकसभा सांसद गिरिराज सिंह ने राम मंदिर को लेकर एक विवादित बयान दिया है।
नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर होने वाली सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट अगले साल जनवरी में राम जन्मभूमि विवाद मामले की नियमित सुनवाई की तारीख तय करेगा। इस मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करेगी, इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बीच मोदी सरकार में मंत्री और बिहार की नवादा सीट से लोकसभा सांसद गिरिराज सिंह ने राम मंदिर को लेकर एक विवादित बयान दिया है।
'अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है'
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई से ठीक पहले पत्रकारों ने जब गिरीराज सिंह से राम मंदिर के मुद्दे को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, 'अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि अगर हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा।' केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और भाजपा के कई नेता इशारों-इशारों में इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की बात कह चुके हैं। राम मंदिर को लेकर गिरिराज सिंह इससे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं।
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'हिंदुओं की नफरत बढ़ी तो...'
हाल ही में गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम में चेतावनी भरे लहजे में बयान देते हुए कहा था, 'मुसलमान भगवान राम के वंशज हैं नाकि मुगलों के वंशज, लिहाजा उन्हें राम मंदिर निर्माण का समर्थन करना चाहिए। अगर मुसलमान राम मंदिर निर्माण का समर्थन नहीं करते हैं तो उन्हें बेहतर पता है कि हिंदू उनसे नफरत करेंगे। अगर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं की नफरत बढ़ती रही तो मुसलमान इसके परिणाम की कल्पना कर सकते हैं। हमारे देश में हर कानून को लागू करने के लिए लोगों की सहभागिता की जरूरत होती है। राम मंदिर मुद्दा और बढ़ती आबादी के मुद्दे को कानून बनाकर सुलझाया जा सकता है।'
'सुनवाई जनवरी में ही हो, जरूरी नहीं'
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने महज तीन मिनट की सुनवाई में अयोध्या मामले को जनवरी तक के लिए टाल दिया। अयोध्या विवाद मामले की तत्काल सुनवाई को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरी नहीं है कि मामले की सुनवाई जनवरी में ही हो, इसकी सुनवाई जनवरी, फरवरी या फिर मार्च में भी हो सकती है। अयोध्या मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करेगी, इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महंत धर्मदास ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ऐसा किया गया है तो ये गलत है।
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