नहीं रहे भाजपा के 'ट्रबल शूटर' अनंत कुमार, कभी नहीं देखा हार का मुंह-पढ़ें पूरा प्रोफाइल
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नई दिल्ली। भारतीयजनता पार्टी के वरिष्ट नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का सोमवार सुबह करीब 1 बजकर 59 मिनट पर देहांत हो गया। भाजपा के कद्दावर और लोकप्रिय नेताओं में शामिल अनंत सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। कैंसर से पीड़ित अनंत का पहले लदंन और फिर न्यूयार्क में इलाज चला, जिसके बाद 20 अक्टूबर को उन्बें वापस बेंगलुरु के निजी अस्पताल में भर्ती कराया है, जहां उनका इलाज चल रहा था। शुक्रवार को उनकी पत्नी ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कहा था कि अब अनंत ठीक हैं, लेकिन फिर अचनाक उनकी तबीयत बिगड़ी और उनका देहांत हो गया। जानकारी के मुताबिक तबीयत बिगड़ने की वजह से अनंत पिछले कुछ वक्त से कृत्रिम सांस लेनेवाले यंत्र के सहारे थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
अनंत कुमार के निधन पर पार्टी में शोक की लहर दौड़ पड़ी। पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें हमेशा अच्छे कामों के लिए याद किया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे कर्नाटक और देश के लिए बड़ी क्षति बताया। अनंत कुमार की शख्सियत ही ऐसी थी कि वो जिससे मिलते थे उन्हें अपने व्यक्तित्व से प्रभावित कर लेते थे। कर्नाटक की राजनीति में उनका अहम योगदान था और वह बेंगलुरु दक्षिण से 1996 से ही लगातार 6 बार सांसद रहे थे।आइए जानें अनंत कुमार के बारे में कुछ खास बातें....
युवा अवस्था में ही राजनीति में बनाई बड़ी जगह
22 जुलाई 1959 को अनंत का जन्म बेंगलुरु में हुआ। शुरुआत से ही उनका रुझान राजनीति की ओर था। छात्रजीवन से ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश कर लिया वो शुरुआत में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े और फिर छात्र राजनीति के जरिए भाजपा का हिस्सा बने। उनके लिए कर्नाटक और खासकर बेंगलुरु इतना प्रिय था कि उन्होंने जब पहली बार 1996 में बेंगलुरु साउथ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा तो भारी मतों से जीत हासिल की। उनके बार उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें इस सीट से लगातार 6 बार जीत हासिल हुई।
कभी हार का मुंह नहीं देखा
आपातकाल के दौरान जेल जा चुके अंनत कुमार अपने छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे। 1985 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव बने। भारतीय जनता युवा मोर्चा में काम करने के बाद भाजपा ने 1996 में अनंत कुमार को बेंगलुरु दक्षिण से टिकट दिया था, जहां से वह आज तक लगातार जीतते हुए आए। उनका रिकॉर्ड रहा कि उन्होंने कभी भी हार का मुंह नहीं देखा।
भाजपा के ट्रबल शूटर
अनंत
जितना
बेंगलुरु
से
प्यार
करते
थे,
उतना
ही
बेंगलुरु
के
लोग
उन्हें
पसंद
करते
थे।
अनंत
भारतीय
जनता
पार्टी
के
उन
गिन-चुने
नेताओं
में
शामिल
थे,
जिनकी
वजह
से
पार्टी
दक्षिण
भारत
में
अपनी
पहचान
बना
पाई।
उनके
व्यक्तित्व
की
वजह
से
उन्हें
1998
में
वाजपेयी
सरकार
में
मंत्रीपद
की
जिम्मेदारी
दी
गई।
भाजपा
के
भीतर
उन्हें
हमेशा
ट्रबल
शूटर
भी
माना
जाता
था।
न
केवल
पार्टी
के
भीतर
नेताओं
और
कार्यकर्ताओं
के
बीच
वो
तालमेल
बिठाकर
चलते
थे
बल्कि
विरोधियों
को
जवाब
देने
में
उनका
कोई
तोड़
नहीं
थी।
उन्हें
शहरी
विकास
मंत्रालय
और
खेल
मंत्रालय
की
जिम्मेदारी
भी
दी
गई।
साल
2004
में
भाजपा
ने
अनंत
कुमार
को
पार्टी
का
महासचिव
बनाया
जहां
उन्हें
मध्य
प्रदेश,
बिहार
और
छत्तीसगढ़
के
साथ-साथ
दूसरे
राज्यों
की
ज़िम्मेदारी
दी
गई।
मोदी सरकार में मिली खास विभाग की जिम्मेदारी
अनंत कुमार की शख्सियत ऐसी थी कि पार्टी में उन्होंने अपनी खास साख बना रखी थी। वो पीएम मोदी के खास माने जाते थे। मोदी सरकार में रसायन और उर्वरक मंत्रालय का काम देखते थे । उन्हें संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी। सभी पार्टियों के नेताओं से अनंत के अच्छे रिश्ते थे। यही वजह है कि फ्लोर मैनेजमेंट के लिए उन्हें संसदीय कार्यमंत्री बनाया गया था। सदन में विरोधियों के सवालों के जवाब देने में उनका कोई तोड़ नहीं था। यूरिया की सौ फीसदी नीम कोटिंग का लक्ष्य मोदी सरकार ने अनंत कुमार के रसायन और उर्वरक मंत्री रहते ही हासिल किया।
परिवार में बेहद मिलनसार
अनंत
कुमार
के
परिवार
में
उनकी
पत्नी
तेजस्विनी,
बेटी
ऐश्वर्या
और
बेटा
विजेता
हैं।
राजनीति
के
साथ-साथ
वो
परिवार
में
भी
बेहद
मिलनसार
थे।
अपने
व्यस्त
राजनीतिक
जीवन
से
कुछ
पल
निकालकर
वो
अपने
परिवार
के
साथ
अवश्य
बिताते
थे।