अपराधियों को पकड़ने के लिए नहीं हो सकता आधार डाटा का इस्तेमाल- UIDAI
नई दिल्ली: आधार की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है इसी बीच इसी बीच यूआईडीएआई ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) को अपराध जांच के लिए आधार बॉयोमीट्रिक डेटा साझा करने से इनकार कर दिया। यूआईडीएआई ने इसके लिए काफी तर्क भी दिए। बता दें, हाल ही में एनसीआरबी चीफ ने आधार बॉयोमीट्रिक डेटा को साझा करने की बात कही थी।
यूआईडीएआई ने एनसीआरबी के साथ डाटा साझा करने से इनकार कर दिया। साथ ही इनके पीछे तर्क भी दिए। आधार कानून के सेक्शन 29 के अनुसार यूआईडीएआई द्वारा लिया गया डाटा केवल आधार धारकों की पहचान प्रमाणित करने और आधार के लिए ही किया जा सकता। इसका इस्तेमाल किसी दूसरे काम के लिए नहीं किया जा सकता है।
19वें ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ डायरेक्टर्स ऑफ फिंगरप्रिंट ब्यूरो में बोलते हुए एनसीआरबी चीफ इश कुमार ने कहा था कि देश भर में करीब 50 लाख केस हर साल रजिस्टर होते हैं। इनमें करीब 80-85 प्रतिशत लोग पहली बार अपराध करते हैं, जिनका पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। इसके अलावा हर साल करीब 40,000 शव बरामद होते हैं, जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाती है। आधार डेटा के जरिए इन शवों की शिनाख्त की जा सकती है और उन्हें उनके परिजनों को सौंपा जा सकता है।
वहीं, इस मामले में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर का कहना था कि एनसीआरबी डायरेक्टर के प्रस्ताव पर मंत्रालय में चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, 'हम इस सुझाव को मानने की कोशिश करेंगे। यह कदम अपराध रोकने में अहम हो सकता है।'
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