नए विधानसभा अध्यक्ष के एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उद्धव ठाकरे खेमा, 11 जुलाई को सुनवाई
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्ली, 04 जुलाई : महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में नवनियुक्त अध्यक्ष की कार्रवाई को चुनैती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 जुलाई को तय की है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूह के व्हिप को शिवसेना के व्हिप के रूप में मान्यता देने की महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष की कार्रवाई को चुनौती दी है। इस मामले में उद्धव ठाकरे के खेमे ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। ठाकरे समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नवनियुक्त अध्यक्ष के पास व्हिप को मान्यता देने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
असल शिवसेना की लड़ाई और भी दिलचस्प
बता दें कि महाराष्ट्र में जिस तरह से सत्ता का उलटफेर हुआ और एकनाथ शिंदे पार्टी के बागी विधायकों विधायकों के साथ मिलकर भाजपा के सहयोग से सरकार का गठन किया उसके बाद अब असल शिवसेना की लड़ाई और भी दिलचस्प हो गई है। उद्धव ठाकरे ने पार्टी के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। लेकिन अब इस लड़ाई में विधानसभा के नवनिर्वाचित स्पीकर राहुल नार्वेकर की भी भूमिका काफी अहम हो गई है।
स्पीकर ही करेंगे फैसला
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुंगांतिवार का कहना है कि विधानसभा से जुडे मामलों में स्पीकर की भूमिका काफी अहम होती है। अगर शिवसेना के 55 में से 39 विधायक एकनाथ शिंदे के खेमे में चले गए हैं तो तस्वीर बिल्कुल साफ है कि बहुत किसके पास है। विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी का कहना है कि अब जह हमने स्पीकर को चुन लिया है तो ठाकरे की शिवसेनाा और शिंदे की शिवसेना में से कौन सा असली है उसका फैसला स्पीकर ही करेंगे। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जरूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद स्पीकर का फैसला ही अंतिम होगा जो हर किसी पर लागू होगा।
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