Gujarat election 2017: इन पांच नेताओं के सहारे कांग्रेस करना चाहती है सत्ता में वापसी
नई दिल्ली। गुजरात में दो दशकों से अधिक समय से सत्ता से दूर रही कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह की ढील नहीं देना चाहती है। चुनावों के चलते पिछले दो महीने में राहुल गांधी गुजरात के ताबड़तोड़ दौरे किए है। वहीं राहुल गांधी की बदली हुई रणनीति कांग्रेस के लिए इन चुनावों पर सकारात्मक असर कर रही है। वहीं गुजरात में जातिगत आंदोलन के नेता बनकर उभरे हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का साथ कांग्रेस की जीत के सूत्रधार हो सकते हैं। वहीं गुजरात कांग्रेस की जीत इन पांच नेताओं पर टिकी हुई हैं। राज्य में 182 सीटों के लिए नौ दिसंबर और 14 दिसंबर को मतदान होगा। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 92 सीटें जीतनी होंगी। भाजपा ने 150 सीटों का लक्ष्य रखा है तो वहीं कांग्रेस सत्ता में आने के लिए संघर्ष करेगी।
भरत सिंह सोलंकी (64), गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष
गुजरात के चार के मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मत्री माधव सिंह सोलंकी के बेटे हैं। माधव सिंह सोलंकी ने कांग्रेस को 1985 में राज्य की 149 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दिलायी थी। माना जाता है कि माधव सिंह सोलंकी ने ओबीसी, दलित, आदिवासी और मुसलमानों को एकजुट करके ये जीत हासिल की थी। इन चुनावों में भरत सोलंकी अपने पिता का फार्मूला आजमा रहे हैं। वे ओबीसी, दलित, आदिवासी और पाटीदार वोटों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। भरत सिंह सोलंकी तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। भरत सिंह सोलंकी केंद्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
शक्ति सिंह गोहिल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में जीत दिलाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ गुजरात कांग्रेस के नेता शक्ति सिंह गोहिल को माना जाता है। शक्ति सिंह गोहिल ने ही अहमद पटेल को अमित शाह के चक्रव्यूह से निकाला था। गुजरात में शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में एक हैं। वकालत और पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके शक्ति सिंह गोहिल की सजग और शातिर नजर ने कांग्रेस की खत्म हो चुकी उम्मीदों को जिंदा कर दिया। 57 साल के गोहिल, गुजरात सरकार में 2 बार मंत्री रह चुके हैं और गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे हैं। 1990 में पहली बार विधायक बनने वाले गोहिल महज 30 साल की उम्र में मंत्री बन गये थे। गोहिल गुजरात के एक प्रतिष्ठित राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और राजनीती उन्हें विरासत में मिली है। गोहिल फिलहाल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं।
अर्जुन मोधवाडिया
इंजीनियरिंग से राजनीति में आए अर्जुन मोधवाडिया ने अपना पहला चुनाव 2002 में पोरबंदर से लड़ा था और भाजपा के सीनियर लीडर बाबू बोखिरिया को हराया था। हालांकि वे 2012 के चुनावों में बोखिरिया से सामने हार गए। दोनों एक बार फिर से पोरबंदर सीट से आमने सामने हैं। अर्जुन गुजरात मैरीटाइम बोर्ड में पूर्व इंजीनियर थे। 2004 से 2007 तक वो गुजरात विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे। साल 2011 में उन्हें गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
सिद्धार्थ पटेल
2017 विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस प्रचार समिति के प्रमुख हैं। सिद्धार्थ पटेल गुजरात के पूर्व कांग्रेसी सीएम चिमनभाई पटेल के बेटे हैं। सिद्धार्थ पटेल कांग्रेस में पाटीदार समाज का सबसे बड़ा चेहरे हैं। कांग्रेस ने उन्हें दाभोई विधान सभा से टिकट दिया है, हालांकि वे 2012 में इस सी़ट से हार गए थे। साल 2008 में वो गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चुके हैं। गुजरात विश्वविद्याय से गोल्ड मेडल के साथ स्नातक पटेल ने यूनिवर्सिटी ऑफ डलास से एमबीए किया है।
परेश धनानी
पटेल नेता परेश धनानी को पार्टी में संकटमोचक माना जाता है। राहुल गांधी के रोड शो का जिम्मा इनकी के हवाले होता है। धनानी इन चुनावों में अमरेली से उम्मीदवार हैं। किसान परिवार से आने वाले परेश धनानी को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व केंद्रीय मंत्री मनुभाई कोटाडिया को दिया जाता है। साल 2012 में उन्होंने राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री दिलीप संघानी को हराया था।