सरकार के आंकड़ों पर IMA ने उठाए सवाल, कहा- 162 नहीं, 734 डॉक्टरों की हुई कोरोना से मौत
केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में कोरोना वायरस के कारण देश में कुल 162 डॉक्टरों की मौत के आंकड़ों पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में कोरोना वायरस के कारण देश में कुल 162 डॉक्टरों की मौत के आंकड़ों पर आश्चर्य जताते हुए बुधवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मौतों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा होने का दावा किया। आईएमए ने सरकार के संपूर्ण आंकड़ों का गहन अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करने और सभी मृत डॉक्टरों को सम्मानित करने की अपील की है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री (एमओएस) अश्विनी कुमार चौबे ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन को सूचित किया था कि देश में अब तक 162 डॉक्टर, 107 नर्स और 44 आशा कार्यकर्ता कोविड-19 वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं।
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आईएमए के अध्यक्ष जे ए जयलाल ने चौबे को लिखे पत्र में कहा कि केंद्र सरकार के आंकड़े चिकित्सा निकाय द्वारा जारी आंकड़ों के विपरीत हैं, जिसके अनुसार बीमारी के कारण 734 डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें से 431 सामान्य चिकित्सक थे।
पत्र में आगे कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण मृत 25 डॉक्टरों की उम्र 35 वर्ष से भी कम थी। पत्र में कहा गया है कि, उन्होंने (डॉक्टरों) ऐसे खरतनाक माहौल में भी राष्ट्र की सेवा करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र को चुनते हैं। लेकिन भारत सरकार इस तथ्य को स्वीकार करने और उन्हें उचित महत्व और मान्यता देने में विफल रही।"
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आंकडो़ं की पुष्टि करने में सरकार की उदासीनता और कोविड-19 शहीदों के परिवारों के लिए मुआवजा देने में देरी की भी निंदा की। आईएमए ने पत्र में लिखा,"हम भारत में COVID वक्र को समतल करने में हमारे डॉक्टरों द्वारा कड़ी मेहनत और योगदान का उचित समर्थन करने के लिए इस समय आपको लिख रहे हैं। हम आपसे जल्द से जल्द समय पर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को तेज करने की अपील करते हैं।" "हम अपील करते हैं कि सरकार द्वारा मृत डॉक्टरों के संपूर्ण डेटा का गहन अध्ययन करने के लिए एक उच्च-शक्ति समिति का गठन किया जाना चाहिए और जिन लोगों ने दम तोड़ दिया था, उन्हें सम्मानित किया जाना चाहिये।"