भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के बाद ही पुलवामा में हुआ आतंकी हमला
जम्मू कश्मीर में पहले केंद्र सरकार ने रमजान के माह में सुरक्षाबलों को कोई भी ऑपरेशन लॉन्च न करने का निर्देश दिया और फिर बुधवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी। लेकिन केंद्र सरकार वाले सीजफायर के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले नहीं रुक रहे हैं।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में पहले केंद्र सरकार ने रमजान के माह में सुरक्षाबलों को कोई भी ऑपरेशन लॉन्च न करने का निर्देश दिया और फिर बुधवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी। लेकिन न तो केंद्र सरकार वाले सीजफायर के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले रुक रहे हैं और न ही भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद हमले बंद हुए हैं। बुधवार को दोनों देश जैसे ही सीजफायर पर राजी हुए, पुलवामा में एक आतंकी हमला हो गया। भारत और पाकिस्तान दोनों ने फैसला किया था कि साल 2003 में जो युद्धविराम समझौता हुआ था उसे फिर से बेहतर माहौल के लिए लागू किया जाना चाहिए।
डीजीएमओ ने की थी फोन पर बात
भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) की हॉटलाइन पर बात हुई थी। इसके बाद दोनों देश एलओसी पर सीजफायर लागू करने के लिए राजी हुए। लेकिन इसका कोई फायदा नजर नहीं आया क्योंकि कुछ ही देर बाद पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों की एक पार्टी पर आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला किया। इंटेलीजेंस ऑफिसर्स की मानें तो घाटी में सीजफायर के बाद भी आतंकी घटनाओं में कोई कमी आने की संभावना नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सीजफायर वॉयलेशन या गोलीबारी पाकिस्तान का वह जरिया है जिससे वह आतंकियों को कवर अप देता है। घुसपैठ में भले कमी आ सकती है मगर घाटी में हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयाबा के इतने लोकल आतंकी पहले ये मौजूद हैं कि वे सुरक्षाबलों को चैन की सांस लेने ही नहीं देंगे।
1100 बार तोड़ा गया युद्धविराम
पाकिस्तान की ओर से एलओसी और बॉर्डर पर अब तक 1100 बार युद्धविराम तोड़ा जा चुका है। साल 1949 में भारत और पाकिस्तान की ओर से कराची समझौता हुआ और दोनों देशों में सीजफायर पर नजर रखने के लिए यूनाइटेड नेशंस के प्रतिनिधियों को नियुक्त किया गया। इसके बाद कारगिल युद्ध के चार वर्ष बाद यानी साल 2003 में दोनों देशों ने फिर से युद्धविराम समझौते पर साइन किए जिसे साल 2008 तक माना गया। साल 2011 में बड़े पैमाने पर युद्धविराम को तोड़ने की शुरुआत पाकिस्तान की तरफ से हो गई।
क्या होता है युद्धविराम या सीजफायर
युद्धविराम किसी भी युद्ध को अस्थायी तौर पर रोकने को जरिया होता है। इसके तहत हुए समझौते में दो पक्ष सीमा पर आक्रामक कार्रवाई न करने का वादा देता हैं। युद्धविराम को आप दो देशों के बीच हुई एक औपचारिक संधि मान सकते हैं। साथ ही इस समझौते के तहत दो देशों के सेनाओं के बीच भी एक अनौपचारिक समझौता होता है। युद्धविराम बॉर्डर पर लड़ाई को खत्म करने के समझौते से कहीं ज्यादा होता है। एक सफल युद्धविराम कभी-कभी शांति समझौते में तब्दील हो जाता है।वर्ष 1989 से 2003 तक सीमा पर हुए घमासान ने 65,000 से ज्यादा लोग की जान ले ली थी।