जैन मुनि तरुण सागर के 'कड़वे प्रवचन' हुए शांत, जानिए उनकी पूरी कहानी
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नई दिल्ली। जैन समुदाय के तेज तर्रार धर्म गुरु और भारत के दिगंबर मुनि तरुण सागर का शनिवार सुबह सवा तीन बजे निधन हो गया। मुनि बनने के बाद निर्वस्त्र रहने वाले तरुण सागर को पीलिया ने जबरदस्त जकड़ लिया था और कई दिनों से वे बीमार चल रहे थे, जिसके बाद उन्होंने खान पीना भी छोड़ दिया था। सिर्फ 51 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाले तरुण सागर जैन समुदाय से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उनके प्रवचनों, किताबों और लेखों ने देश के हर वर्ग को प्रभावित किया। उनकी मौत पर उनके चाहने वालों से लेकर हर कोई स्तब्ध है। तरुण सागर पहले ऐसे जैन साधु थे, जिन्होंने अपने धर्म के अलावा भी कई धर्म के लोगों को बहुत प्रभावित किया। एक नजर डालते हैं उस मुनि पर जिसने अपना पूरा जीवन परिवार लेकर समाज पर दिए प्रवचनों पर गुजार दिया।
20 की उम्र में बने दिगंबर मुनि
मध्य प्रदेश के दामोह में प्रताप चंद्र और शांति बाई के घर में 26 जून 1967 को पवन कुमार जैन का जन्म हुआ, जिन्होंने बाद में अपना नाम बदलकर तरुण सागर रखा। तरुण सागर सिर्फ 13 साल की उम्र में ही क्षल्लुक (जूनियर दिगंबर जैन धर्म गुरु जो शरीर पर सिर्फ दो वस्त्र धारण करता है) बन गए। उसके बाद आचार्य पुष्पदांत सागर ने 20 जुलाई 1988 में राजस्थान के बागिदोरा में तरुण सागर को दिगंबर मुनि के रूप में घोषित कर दिया। मात्र 20 साल की उम्र में तरुण सागर जैन धर्म के दिगंबर मुनि बन गए।
उनके कड़वे प्रवचनों ने किया आकर्षित
ना
सिर्फ
टीवी
के
जरिए
बल्कि
सैकड़ों
किताबों
और
लेखों
के
माध्यम
से
तरुण
सागर
ने
जो
'कड़े
प्रवचन'
दिए,
उनसे
उन्हें
बहुत
प्रसिद्धि
मिली।
वे
पहले
जैन
धर्म
गुरु
थे,
जिन्होंने
समाज
के
हर
वर्ग
अपनी
ओर
आकर्षित
किया।
2000
में
जब
उन्होंने
दिल्ली
के
लाल
किले
से
भाषण
दिया,
तब
ज्यादातर
लोगों
ने
उन्हे
जाना।
उसके
बाद,
हरियाणा
(2000),
राजस्थान
(2001),
मध्य
प्रदेश
(2002),
गुजरात
(2003),
महाराष्ट्र
(2004)
में
पैदल
घूमने
के
बाद
वे
2006
में
कर्नाटक
पहुंचे।
उस
समय
में
वे
अपने
प्रवचनों
के
माध्यम
से
हिंसा,
भ्रष्टाचार
और
रूढ़िवाद
की
आलोचना
कर
एक
"प्रगतिशील
जैन
साधु"
के
रूप
में
उभरे।
विवादों से था नाता
ना सिर्फ अपने प्रवचनों की वजहों से बल्कि, कई बार राजनीति बयानबाजी के कारण भी तरुण सागर चर्चा का विषय बने। उन्होंने हाल ही में तीन तलाक पर बयान देते हुए कहा था कि जो लोग मुस्लिम महिलाओं के कल्याण का दावा कर रहे हैं, वह महज दिखावा है, ऐसे नेताओं या दलों को महिलाओं के हक से कोई लेना-देना नहीं है, वह बस अपनी राजनीति कर रहे हैं। लव जिहाद पर तरुण सागर ने एक बार कहा था कि यह मुसलमानों की साजिश है, जो झूठे प्यार के नाम पर हिंदू लड़कियों को फंसाते हैं। इसके अलावा, मुस्लिम आबादी देश के लिए खतरा, आरक्षण देशहित में नहीं जैसे कई विवादित बयान दे चुके हैं।
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