Covid-19: तबलीगी जमात प्रमुख मौलाना साद की अपील- इलाज के बाद ठीक हो चुके मुस्लिम ब्लड प्लाज्मा करें दान
नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या फैलाने का आरोप झेल रहे तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद कंधालवी ने नया बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने इलाज के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके जमात के कार्यकर्ताओं और मुस्लिम समाज के अन्य लोगों से अपना ब्लड प्लाज्मा दान करने की अपील की है, मालूम हो कि इस ब्लड प्लाज्मा से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा सकेगा।
'इलाज के बाद ठीक हो चुके मुस्लिम ब्लड प्लाज्मा करें दान'
मंगलवार को जारी एक पत्र में मौलाना ने कहा कि वह और तबलीगी जमात के कुछ अन्य सदस्यों ने खुद को क्वांरटीन में रखा हुआ है, खुद को क्वारंटीन में रखे ज्यादातर सदस्यों में कोराना वायरस की जांच में कोई संक्रमण नहीं पाया गया है लेकिन जो संक्रमित पाए गए हैं, उनमें से ज्यादातर का इलाज चल रहा है और अब वे स्वस्थ हो चुके हैं, मेरी अपील है कि इस बीमारी से उबर चुके लोगों को उनके लिए ब्लड प्लाज्मा दान करना चाहिए जो अब भी इस वायरस के संक्रमण से जूझ रहे हैं और उनका इलाज चल रहा है।
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'मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह नहीं हो सकती है'
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान निजामुद्दीन इलाके में मार्च में एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने साद के खिलाफ मामला दर्ज है, आपको बता दें कि इससे पहले भी मौलाना साद का एक वीडियो वायरल हुआ था , जिसमें उन्हें विवादित बयान देते हुए सुना गया था, उस वीडियो में वह कोरोना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह नहीं हो सकती है, वो अपने ऑडियो में कहते सुनाई देते हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी, मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती।
'मुसलमानों को रोकने और बिखेरने की तरकीब '
वायरल ऑडियो में साद कह रहे थे कि अल्लाह पर यकीन न रखने वालों की चाल और स्कीमें मुसलमानों को बीमारी से बचाने के बहाने से मुसलमानों को रोकने के लिए आ गई हैं। उन्हें मुसलमानों को रोकने और बिखेरने की तरकीब नजर आ गई है ताकि इनके दिल में हमेशा के लिए ये बात बैठ जाए कि किसी के पास मत जाओ, किसी के पास मत बैठो नहीं तो बीमारी लग जाएगी।
'मुसलमानों को मुसलमानों से अलग करने के लिए ये बहाना अच्छा है'
आज अगर इस बीमारी की वजह से मुसलमानों के अकीदत बदल जाते हैं तो बीमारी तो खत्म हो जाएगी, लेकिन अकीदत खत्म नहीं होगी, ये बीमारी बदल जाएगी, लेकिन तुम्हारे माशरे के आदाब, तुम्हारे साथ बैठना, एक प्लेट में खाना, इसका असर मुद्दतों के आसारे कभी खत्म ना हो, ये तो मुसलमानों के दरमियां शक पैदा करने, इनके दरमियां मोहब्बत खत्म करने के लिए एक प्रोग्राम तैयार किया गया है, एक प्रोग्राम बनाया गया है कि मुसलमानों को मुसलमानों से अलग करने के लिए ये बहाना अच्छा है।
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