'तारक मेहता...' की 'बबीता जी' को 'सुप्रीम' राहत, सभी FIR पर लगाई रोक
मुंबई, जून 18: टेलीविजन का सबसे लोकप्रिय शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में 'बबीता जी' का किरदार निभाने वाली मुनमुन दत्ता को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हैं। हाल ही उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें 'बबीता जी' ने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था। हालांकि वीडियो के जारी होने के दो घंटे बाद उन्होंने उसको डिलीट कर दिया था, लेकिन जाति विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान और कई जगह एफआईआर कराई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत
अब अभिनेत्री मुनमुन दत्ता को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने राज्यों में अभिनेत्री के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि आपने जो कहा, वह एक पूरे समुदाय को अपमान में ला सकता है। आप कहते हैं कि आप एक महिला हैं, लेकिन हमें बताएं कि क्या महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में कोई बेहतर अधिकार है या उनके पास समान अधिकार भी हैं?
दो घंटे के भीतर वीडियो किया डिलीट
वहीं एक्ट्रेस के वकील पुणेत बाली ने तर्क दिया कि वीडियो में पिछले महीने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया था, दत्ता ने जानबूझकर जातिसूचक शब्द का उपयोग नहीं किया था और उस शब्द का प्रयोग पश्चिम बंगाल में नशे की लत लेने वालों के लिए किया जाता है। इसके अलावा दत्ता ने वकील ने कबूला कि उन्होंने गलती की, लेकिन वीडियो को पोस्ट करने के दो घंटे के भीतर अपने ट्विटर पोस्ट को हटा दिया। इसके अलावा उन्होंने सभी मामलों को को मुंबई में ट्रासफर करने का भी कोर्ट से आग्रह किया।
'बबीता जी' के खिलाफ 5 FIR
एक्ट्रेस के वकील की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और शिकायतकों को नोटिस जारी किया कि दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में दर्ज प्राथमिकी क्लब की जानी चाहिए। इससे पहले वकली बाली ने बेंच से दलील दी कि याचिकाकर्ता एक महिला है और उसके खिलाफ पांच एफआईआर कराई गई हैं। कोर्ट ने दलित अधिकार कार्यकर्ता और वकील को भी एक नोटिस जारी किया, जिसने 13 मई को हरियाणा के हिसार में एक्ट्रेस के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज कराई थी। यह एफआईआर निर्धारित जातियों और जनजातियों (अत्याचार की रोकथाम) अधिनियम के तहत समुदाय को अपमानित करने के लिए दायर की गई थी।