सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश-केंद्र और राज्य 15 दिन में घर पहुंचाए सभी प्रवासी मजदूर
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के मसले पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र से कहा कि, हम आपको प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि यह सब बेहद लंबे समय से चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी प्रवासियों के राज्यवार और जिलेवार रजिस्ट्रेशन की जरूरत है। इसके साथ ही सभी राज्य रिकॉर्ड पर बताएं कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे।
Recommended Video
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वे सभी प्रवासियों को ब्लॉक और जिला स्तर पर पंजीकृत करवाएं। कोर्ट ने कहा कि, राज्यों को उनके लिए रोजगार पैदा करना होगा। इसके आलावा राज्यों को आवाजाही के सरल बनाना चाहिए क्यों कि वे अन्य राज्यों में काम के लिए वापस जाना चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि, सभी राज्यों को प्रवासियों का ध्यान रखना होगा। वही इस मामले में दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, एक भी प्रवासी से रेल का किराया नहीं वसूला गया है। हमने रेलवे को 9 करोड़ रुपए एडवांस में दिए थे। दिल्ली से लगभघ 4 लाख मजदूर वापस घर गए हैं। जबकि अभी लगभग 10 हजार के आसपाल लोग पास घर जाने का इंतजार कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को दायर हलफनामे के आधार पर कहा कि रेलवे ने 3 जून तक 4,228 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। उन्होंने कहा कि लगभग एक करोड़ लोग अपनी मंजिल तक पहुंचे हैं। उत्तर प्रदेश में 1,695 ट्रेनें भेजी गईं। अधिकतर ट्रेनें यूपी और बिहार के लिए थीं। बसों के जरिए 41 लाख, ट्रेन के जरिए 57 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा गया। मेहता ने कहा कि 'मैंने केंद्र की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देता एक हलफनामा फाइल किया है। यह सिर्फ आपकी आत्मा की संतुष्टि के लिए है कि एक वेलफेयर स्टेट के रूप में हम जो कर सकते थे, हमने किया है।'
अदालत ने जब पूछा कि अभी कितने मजदूर फंसे हुए हैं तो उन्होंने कहा कि, हम राज्य सरकारों के संपर्क में हैं। केवल राज्य सरकारें इस अदालत को बता सकती है कि कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाया जाना है और कितनी ट्रेनों की आवश्यकता होगी। राज्यों ने एक चार्ट तैयार किया है, क्योंकि वे ऐसा करने की स्थिति में थे।
इस पर अदालत ने कहा कि यह सब बहुत वक्त से चल रहा है। हम 15 दिन का समय दे सकते हैं कि राज्य ट्रेनों की अपनी डिमांड पूरा सकें। चार्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके चार्ट के अनुसार महाराष्ट्र ने केवल एक ट्रेन के लिए कहा है। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र से हमने पहले ही 802 ट्रेनें चलाई हैं। अब केवल एक ट्रेन के लिए अनुरोध है। अदालत ने पूछा कि क्या हमें इसका मतलब यह निकालना चाहिए कि कोई व्यक्ति महाराष्ट्र नहीं जाएगा?
तुषार मेहता ने कहा कि, अगर कोई भी राज्य किसी भी संख्या में ट्रेनों के लिए अनुरोध करता है तो केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर मदद करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों को अपनी मांग रेलवे को सौंपने के लिए कहेंगे। सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि सरकार द्वारा चलाया जा रहा । रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जो एक बड़ी समस्या है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि इस प्रणाली के काम करने के तरीके में कोई समस्या है? तो इसका उपाय क्या है? तब एडवोकेट गोंसाल्वेस ने कहा कि आपके पास पुलिस स्टेशन या अन्य स्थानों पर स्पॉट हो सकते हैं, जहां प्रवासी जा सकते हैं और पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना इलाज की फीस तय हो, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब