गोरखपुर कांड में सुप्रीम कोर्ट का खुद से संज्ञान लेने से इनकार
गोरखपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेने से किया इनकार, याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने का दिया निर्देश
गोरखपुर। ऑक्सीजन की कमी से जिस तरह से गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में तमाम बच्चों की मौत हुई है उसपर सुप्रीम कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए खहा कि अपनी शिकायत को पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में लेकर जाएं। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले को देख रहे हैं।
कांग्रेस ने की थी दखल की अपील
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल के मामले में दखल देने की अपील की थी, जिसमें कई बच्चों की मौत हो गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि योगी सरकार ऑपरेशन कवरअप चला रही है ताकि खबरों की सच्चाई को छिपा दिया जाए। जानकारी के मुताबिक बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में अबतक कुल 70 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले में खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गोरखपुर एसपी के हवाले मिली रिपोर्ट में इस बात को माना है कि 21 बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होने की वजह से हुई है।
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1000 में से 62 बच्चे मर जाते हैं
गौरतलब है कि गोरखपुर में शिशु मृत्युदर का आंकड़ा काफी चौकाने वाला है। रिपोर्ट के अनुसार गोरखपुर में प्रति 1000 बच्चों में 62 बच्चों की मौत हो जाती है। वहीं अगर पूरे उत्तर प्रदेश के आंकड़े पर नजर डालें तो प्रति हजार शिशुओं में 48 शिशुओं की मौत हो जाती है। अगर पूरे देश के आंकड़े पर नजर डालें तो प्रति हजार शिशु में 40 शिशुओं की मौत हो जाती है। इन बच्चों की एक वर्ष की आयु से पहले ही मौत हो जाती है।
शीर्ष 20 देशों की लिस्ट में गोरखपुर
अगर
अमेरिका
की
सुरक्षा
एजेंसी
सीआईए
की
रिपोर्ट
की
मानें
तो
गोरखपुर
में
शिशु
मृत्यु
दर
दुनिया
के
20
शीर्ष
देशो
में
है।
गोरखपुर
में
कुल
आबादी
19.18
है,
ऐसे
में
गोरखपुर
जांबिया
और
दक्षिणी
सूडान
जैसे
देशों
की
कतार
में
हैं,
जांबिया
में
शिशु
मृत्यु
दर
62.90
जबकि
दक्षिणी
सूडान
में
64.60
है।
सीआईए
की
लिस्ट
के
अनुसार
अफगानिस्तान
में
सबसे
ज्यादा
शिशु
मृत्यु
दर
112
है,
वहीं
माली
में
100,
सोमालिया
में
96
सेंट्रल
अफ्रीकन
रिपब्लिक
में
88
और
जुईनिया
में
87
है।
इस
लिहाजा
से
गोरखपुर
के
शिशु
मृत्यु
दर
काफी
चौंकाने
वाले
हैं।