महात्मा गांधी की मौत की जांच दोबारा नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 148वें जन्मदिन से ठीक पहले उनकी मौत पर सवाल खड़े हुए थे। ये सवाल अभिनव भारत, मुंबई के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फड़णीस ने उठाए थे
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नई दिल्ली। महात्मा गांधी की मौत की जांच मामले में दायर की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपनमा फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने पंकज फडणीस नाम के एक शख्स की जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस मामले की दोबारा जांच की मांग की गई थी। जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वरा राव ने इस मामले की पिछली सुनवाई में कहा था कि गांधी जी की हत्या के मामले को दोबारा खोलने का आदेश देने में न्यायालय की कोई रुचि नहीं है, क्योंकि हत्या में शामिल व्यक्ति की पहले ही पहचान हो चुकी है और उसे दोषी भी ठहराया जा चुका है।
पंकज फड़णीस ने उठाए थे सवाल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 148वें जन्मदिन से ठीक पहले उनकी मौत पर सवाल खड़े हुए थे। ये सवाल अभिनव भारत, मुंबई के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फड़णीस ने उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गांधी की मौत को इतिहास का सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस को दोबारा से खोलने की मांग की गई है। इस याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका की खुफिया एंजेसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजित सर्विसेज ने महात्मा गांधी को बचाने की कोशिश की थी? फड़निस का कहना है कि अमेरिकी दूतावास से 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद वॉशिंगटन टेलीग्राम भेजे गए थे जिसमें से एक अभी भी गोपनीय है।
'70 सालों बाद भी ये रिपोर्ट गोपनीय है'
मई में अमेरिका की यात्रा के दौरान फड़निस ने इन टेलीग्राम्स को रिकॉर्ड में रखा था जो उन्होंने मैरीलैंड के नेशनल अर्काइव्स एडं रिसर्च एडमिनिस्ट्रेशन से आधिकारिक रूप से प्राप्त किया था। फड़णीस ने कहा कि 20 जनवरी, 1948 को अमेरिकी दूतावास से रात 8 बजे भेदे गए 'प्रतिबंधित टेलीग्राम' के अनुसार, जब महात्मा गांधी को गोली लगी, उस वक्त डिस्ट्रीब्यूटिंग ऑफिसर हरबर्ट टॉम रीनर उनसे केवल 5 फीट की दूरी पर थे। भारतीय गार्ड्स की सहायता से उन्होंने हत्यारों को पकड़ भी लिया था। फड़णीस ने याचिका के समर्थन में लिखे सबमिशन में कहा, 'इसके बाद रीनर ने शाम को दूतावास पहुंचते ही रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि 70 सालों बाद भी ये रिपोर्ट गोपनीय है।
'तीन बुलेट थियोरी' पर भी सवाल खड़े किए गए थे
फड़णीस ने कोर्ट को बताया कि ये टेलीग्राम उसी शाम रीनवर की डीब्रिफिंग के बाद भेजा गया था जिसे 'गोपनीय' चिह्नित किया गया था। फड़णीस इस मुद्दे पर 1996 से शोध कर रहे हैं। याचिका में 'तीन बुलेट थियोरी' पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसके अनुसार महात्मा गांधी को तीन नहीं चार गोलियां लगीं थीं और हत्या के अगले दिन कई अखबारों में उन्हं चार गोलियां लगने का जिक्र है। उन्होंने दावा किया है कि 1996 में महात्मा गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित जस्टिस जेएल कापुर कमिशन हत्या के पीछे की साजिश पता लगाने में नाकाम रही थी।
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