सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा से की ट्रिपल तलाक की तुलना
ट्रिपल तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इस मामले में सलमान खुर्शीद ने अपना पक्ष रखा।
नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि मुसलमानों में शादी को खत्म करने का ये सबसे बुरा और अवांछनीय रुप है। ट्रिपल तलाक पर सुनवाई के दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है। ट्रिपल तलाक पर सुनवाई कर रही पीठ का नेतृत्व देश के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर खुद कर रहे हैं। उन्होंने भी ट्रिपल तलाक की तुलना मौत की सजा से की है।
ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का दूसरा दिन
ट्रिपल तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इस्लाम में निकाह, तलाक पर अपना पक्ष रखा।
सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष
कोर्ट ने सलमान खुर्शीद से पूछा कि क्या इस्लाम में निकाह और तलाक को लेकर मौजूद व्यवस्था और व्यावहारिकता में अंतर को आप बताना चाहेंते? क्या आप चाहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय वहीं व्यवस्था लागू करे जो इस्लाम में है? इसके जवाब में सलमान खुर्शीद ने हां कहा। उन्होंने आगे कहा कि कोर्ट को इस मामले में कोई कानून नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी और देश में तीन तलाक नहीं दिया जाता है। केवल भारतीय मुसलमान ऐसा करते हैं।
ट्रिपल तलाक पाप है: सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट की इस मामले में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा निजी तौर पर मानना है कि ट्रिपल तलाक पाप है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ट्रिपल तलाक शरियत का हिस्सा नहीं है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का भी इस पर यही मानना है कि ट्रिपल तलाक पाप है लेकिन फिर भी ये वैध है।
पांच जजों की पीठ कर रही है सुनवाई
सलमान खुर्शीद ने कहा कि निकाहनामे में शर्तें होती हैं जिसकी वजह से तलाक देना मुश्किल होता है। जब उनसे कोर्ट ने पूछा कि आखिर अन्य देशों में ट्रिपल तलाक खत्म करने के लिए क्या किया होगा तो सलमान खुर्शीद ने कहा कि जैसे यहां मामला उठा है वहां भी उठा होगा जिसकी वजह से इसे खत्म किया गया होगा।
कोर्ट में सुनवाई का दूसरा दिन
ट्रिपल तलाक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ लिंग के आधार पर महिलाओं से भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
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