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SC की गठित कमेटी ने किसान यूनियनों से की वर्चुअल मुलाकात , 10 संगठनों ने लिया हिस्सा

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों(Farm laws) पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई समिति (Supreme Court appointed panel) ने आज किसान यूनियनों और संघों से वर्चुअल मुलाकात की। समिति ने किसानों के प्रतिनिधियों से कानूनों पर अपने विचार खुलकर देने का अनुरोध किया। चर्चा में आए यूनियनों ने अपनी स्पष्ट राय और सुझाव दिए। इस वर्चुअल मीटिंग में आठ राज्यों की दस यूनियनों ने हिस्सा लिया है। जिसमें उत्तर प्रदेश की किसान यूनियन भी शामिल है। हालांकि इस बैठक में आंदोलनरत किसान यूनियनों ने हिस्सा नहीं लिया है।

Supreme Court appointed committee on farm laws virtually met with farmers unions

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के दस किसान संगठनों ने समिति के सदस्यों के साथ चर्चा में भाग लिया।बता दें कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सड़कों पर करीब दो महीने से किसान डटे हुए हैं। इस मसले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा थी और चार सदस्यीय समिति का गठन किया था।

हालांकि किसान संगठनों ने कमेटी के सदस्यों से मुलाकात करने पर साफ तौर से यह कहते हुए इनकार कर दिया था। किसानों का कहना था कि, कमेटी के सदस्य पहले से ही कृषि कानूनों के समर्थन में है। इस विरोध के बाद कमेटी के एक सदस्य भूपेंद्र सिंह मान ने समिति से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद बुधवार को समिति का बचाव करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा था कि, चार सदस्यीय समिति को गठित करने का मकसद तीन कृषि कानूनों से प्रभावित पक्षों की शिकायत सुनना है और उसने समिति को फैसला करने संबंधी कोई अधिकार नहीं दिया है।

किसानों के साथ 11वें राउंड की बातचीत में सरकार कुछ झुकती हुई नजर आई। केंद्र ने बुधवार को किसान नेताओं को दो प्रपोजल दिए। केंद्र ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा कि डेढ़ साल तक कृषि कानून लागू नहीं किए जाएंगे और वो इस संबंध में एक हलफनामा कोर्ट में पेश करने को तैयार है। इसके अलावा MSP पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी जो राय देगी, उसके बाद MSP और कानूनों पर फैसला लिया जाएगा। हालांकि, किसान नेता कानूनों की वापसी पर ही अड़े हुए हैं।

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English summary
Supreme Court appointed committee on farm laws virtually met with farmers' unions
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