सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली HC का फैसला पलटा, 24 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की इजाजत
नई दिल्ली, 21 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गर्भपात पर दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को पलट दिया। साथ ही अविवाहित महिला को गर्भपात की इजाजत दी, जिसके गर्भ में 24 सप्ताह का भ्रूण है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब महिला की जान जोखिम में डाले बिना भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकेगा। इसके लिए कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली को एक बोर्ड के गठन का आदेश भी दिया है।
दरअसल 25 वर्षीय महिला पहले दिल्ली हाईकोर्ट गई थी। वहां पर कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा था कि अविवाहित महिला स्पष्ट रूप से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी नियम, 2003 के तहत इस तरह की श्रेणी में नहीं आती है। इस आदेश के बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। वहां पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिला को गर्भपात करवाने की इजाजत दे दी।
मामले में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला की अंतरिम राहत को अस्वीकार कर दिया था और उनकी ओर से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स के प्रावधानों पर अनुचित दृष्टिकोण अपनाया गया। पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि वो एक अविवाहित महिला है।
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'साथी शब्द का हुआ है जिक्र'
कोर्ट ने कहा कि 2021 के संशोधन के बाद मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट धारा 3 के स्पष्टीकरण में पति के बजाए साथी शब्द का उपयोग करता है। ऐसे में अविवाहित महिला को इसमें कवर किया जा सकता है। इसके अलावा एम्स दिल्ली के डायरेक्टर को एक मेडिकल कमेटी गठित करने का आदेश दिया गया, जो ये पता लगाएगी कि क्या बिना महिला की जान जोखिम में डाले गर्भपात हो सकता है। बोर्ड को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी।