भारत में बच्चों के लिए कितना खतरनाक है कोरोना वायरस, नई रिसर्च में हुआ खुलासा
कोरोना वायरस भारत के हजारों बच्चों के लिए गंभीर और घातक हो सकता है। एक नए अध्ययन में यह सामने आया है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस भारत के हजारों बच्चों के लिए गंभीर और घातक हो सकता है। एक नए अध्ययन में यह सामने आया है। हालांकि अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस से बच्चों को कोई ज्यादा खतरा नहीं है, लेकिन हाल की रिपोर्ट में कुछ अलग तथ्य उभर कर आए हैं। देश में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर चैप्टर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) के 2,000 से अधिक मामलों की पहचान की गई है।
ये सिंड्रोम बच्चों के लिए इतना खतरनाक है कि शुरूआती दौर में इसका पता न चलने पर इससे बच्चे की मौत हो सकती है। शोध के अनुसार, COVID-19 बच्चों में मल्टीसिस्ट इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) नामक एक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। ज्यादातर बच्चे जो COVID-19 से प्रभावित हैं, उन्हें केवल हल्के लक्षणों का अनुभव होता है, लेकिन जिन बच्चों में MIS-C की स्थिति विकसित होती हैं, वे हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाओं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों सहित शरीर के विभिन्न अंगों में गंभीर सूजन महसूस करते हैं।
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MIS-C
क्या
है?
बच्चों
में
मल्टीसिस्टम
इंफ्लेमेटरी
सिंड्रोम
(MIS-C)
एक
गंभीर
स्थिति
है
जिसे
कोरोना
वायरस
का
ही
बदला
हुआ
रूप
बताया
जा
रहा
है।
ज्यादातर
बच्चे
जो
COVID-19
वायरस
से
संक्रमित
हो
जाते
हैं,
उन्हें
केवल
एक
हल्की
बीमारी
होती
है,
लेकिन
एमआईएस
एक
ऐसी
स्थिति
है
जिसमें
एक
मरीज
के
हृदय,
फेफड़े
और
मस्तिष्क
जैसे
कई
अंगों
में
बुखार
और
सूजन
विकसित
होती
है।
डॉक्टरों
का
कहना
है
कि
60
प्रतिशत
से
अधिक
मामलों
में,
एमआईएस
दिल
को
प्रभावित
करता
है।
क्या
होते
हैं
इसके
लक्षण
MIS-C
वाले
लोगों
में
आंखों
की
लालिमा,
चकत्ते,
निम्न
रक्तचाप,
उच्च
श्रेणी
के
बुखार
और
पेट
में
दर्द
या
सांस
लेने
में
दिक्कत
जैसे
लक्षण
दिखाते
हैं।
दिल्ली
के
सर
गंगा
राम
अस्पताल
के
इंडियन
एकेडमी
ऑफ
पेडियाट्रिक्स
इंटेंसिव
केयर
चैप्टर
और
बाल
रोग
विशेषज्ञ
के
चेयरपर्सन
और
गहनतावादी
डॉ.
धीरेन
गुप्ता
ने
बताया,
"बच्चों
में
कोविड-19
के
तीव्र
संक्रमण
से
दो
प्रकार
के
परिवर्तन
होते
हैं-
या
तो
बच्चा
के
निमोनिया
हो
सकता
है
या
फिर
वह
MIS-C
से
ग्रसित
हो
सकता
है।
शुरुआती
समय
में
पहचानकर
इसे
काबू
में
किया
जा
सकता
है।
उन्होंने
बताया
कि
सर
गंगा
राम
हॉस्पिटल
में
अभी
तक
ऐसे
140
केस
देखे
जा
रहे
हैं,
जिनमें
से
3
की
मौत
हो
चुकी
है।
इनमें
दो
मरीज
की
उम्र
8
साल
से
भी
कम
है
जबकि
1
अन्य
मरीज
की
उम्र
12
साल
से
कम
है।
हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती 41 बच्चों में से 20 (49 फीसदी) एमआईएस-सी से पीड़ित हैं। यह अध्ययन अप्रैल 2020 से 31 जुलाई 2020 के बीच एक अस्पताल में भर्ती हुए 0-12 साल की उम्र के 41 कोरोना से पीड़ित बच्चों पर किया गया।