कल से देशभर के बैंक हड़ताल पर, जानिए आपके काम की बातें
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नई दिल्ली। अगर आपको बैंक से जुड़ा कोई जरूरी काम हो तो इसे आज ही निपटा लें क्योंकि कल यानी मंगलवार को 10 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं। ये कर्मचारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के बैनर तले हड़ताल पर जाएंगे। सरकार की ओर से एकीकरण के कदम समेत कुछ अन्य मांगों के मसले पर UFBU ने 22 अगस्त (मंगलवार) को हड़ताल करने का ऐलान किया है। संगठन की ओर से कहा गया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानीं गईं तो उनकी हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।
प्राइवेट बैंक कर सकते हैं काम
हालांकि इस बात की संभावना है कि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कामकाज सामान्य रहे। HDFC,AXIS बैंक, कोटक महिंद्रा, ICICI बैंक में कामकाज सामान्य रह सकता है। UFBU का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है। बता दें कि बैंकिंग कारोबार का 75 फीसदी हिस्सा 21 सार्वजनिक बैंकों के पास है।
हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं
UFBU में नौ अन्य यूनियन हैं जिसमें आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (आईबीईए) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) शामिल है। AIBOC के महासचिव डीटी फ्रैंको ने समाचार एजेंसी PTI से कहा कि मुख्य श्रम आयुक्त के साथ बैठक विफल रही। अब हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं है। सरकार और बैंकों के प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है।
जनविरोधी बैंकिंग सुधारों को लेकर है हड़ताल
फ्रैंको ने कहा कि यूनियनों द्वारा उठाए गए मांगों के समाधान करने के सभी प्रयासों से कोई फर्क नहीं पड़ा और इसलिए, UFBU ने 22 अगस्त को प्रस्तावित हड़ताल के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। बता दें कि हड़ताल पर जा रहे संगठनों कहा कहना है कि उनकी हड़ताल सरकार के जनविरोधी बैंकिंग सुधारों को लेकर है। संगठनों ने बैंकिंग शुल्कों में वृद्धि को भी अनुचित माना है। खराब ऋणों की वसूली के लिए कठोर उपाय तथा एफडीआरडीआइ बिल वापसी की मांग प्रमुख है। इस तरह छह मांगें सरकार के समक्ष रखी गई हैं।
ये भी हैं मांगे
मांग है कि बैंकिंग क्षेत्र में पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण और विलयीकरण ना किया जाए। संगठनों की कहना है कि बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक बैकिंग निवेश कंपनी के तहत लाने के लिए किया गया है। जिससे सरकारी बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम हो जाएगी। मांगहै कि एनपीए वसूली पर पार्लियामेंट कमेटी की संस्तुतियां लागू की जाएं और जानबूझकर ऋण ना अदा करने वालों को अपराधी घोषित किया जाए।