Pilot Laxmi Joshi: मुश्किल वक्त में सैकड़ों को बचाया, पिता ने लोन लेकर दिलाई थी ट्रेनिंग
नई दिल्ली, 19 जनवरी: अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मुश्किल आपको कामयाबी तक पहुंचने से नहीं रोक सकती है। इस बात को सच कर दिखाया है एयर इंडिया की महिला पायलट लक्ष्मी जोशी ने। उन्होंने कई मुश्किलों को पार कर पायलट की ट्रेनिंग ली। इसके बाद जब कोरोना के मुश्किल हालात में भारत सरकार ने 'वंदे भारत मिशन' शुरू किया, तो वो विदेश गईं और वहां फंसे सैकड़ों लोगों को एयरलिफ्ट किया।
लोन लेकर ली ट्रेनिंग
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में लक्ष्मी जोशी ने कहा कि जब वो 8 साल की थीं, तो उन्होंने हवाई जहाज में पहली बार सफर किया। इसके बाद उन्होंने पायलट बनने की ठानी। उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए सारे एग्जाम पास किए, लेकिन घर में आर्थिक दिक्कत थी। जिस वजह से उनके पिता को ट्रेनिंग पूरी करवाने के लिए लोन लेना पड़ा। दो साल उन्होंने पूरी लगन के साथ ट्रेनिंग हासिल की और पायलट का लाइसेंस पाने में कामयाब रहीं।
पिता ने हर जगह दिया साथ
उन्होंने कहा कि उस लाइसेंस के मिलते ही उनके सपनों को पंख मिल गए थे, वो काफी उत्साहित थीं। इसके तुरंत बाद उन्हें एयर इंडिया में नौकरी मिल गई। इस पूरी सफलता में उनके पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया। जब भी उनके पिता से कोई पूछता कि आखिर लक्ष्मी कैसे घर बसाएगी, तो उनके पिता कहते की उनकी बेटी उड़ने के लिए बनी है।
शंघाई के लिए पहली उड़ान
लक्ष्मी जोशी एक बेहतरीन पायलट तो हैं ही, उनमें देश सेवा का भी जज्बा था। कोरोना महामारी के दौरान लाखों भारतीय विदेशों में फंसे थे, जिनको लाने के लिए भारत सरकार ने 'वंदे भारत मिशन' लॉन्च किया था। उस वक्त लोग घरों से निकलने में डरते थे, लेकिन लक्ष्मी स्वेच्छा से भारतीयों को बचाने के लिए इस मिशन में शामिल हुईं। इसी मिशन के तहत उन्होंने पहली उड़ान चीन के शंघाई से भरी थी।
जब यात्रियों ने दिया स्टैंडिंग ओवेशन
लक्ष्मी के मुताबिक उनके माता-पिता बहुत ज्यादा परेशान थे। इस मिशन में उनकी पहली उड़ान शंघाई के लिए थी, जो कोरोना के हिसाब से सबसे खतरनाक जगहों में से एक था। इसके बावजूद वो वहां फंसे भारतीयों को देश वापस लाने में कामयाब रहीं। लक्ष्मी के मुताबिक जब उन्होंने सबको सुरक्षित लैंड करवाया, तो यात्रियों ने चालक दल के लिए स्टैंडिंग ओवेशन दिया। उसी दौरान उनके पास एक छोटी लड़की आई और उनसे कहा- मैं भी आप जैसा बनना चाहती हूं। लक्ष्मी ने उसे मोटिवेट किया। अभी भी वो लगातर उड़ानभर यात्रियों को मंजिल तक पहुंचा रही हैं।
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