क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मो फ़राह: चार दशक तक झूठ के सहारे क्यों जी ज़िंदगी?

ब्रिटेन के जाने-माने ओलंपिक स्टार, मो फ़राह ने कहा है कि कि उनका असली नाम हुसैन अबदी कहिन है और उन्हें ग़ैर कानूनी तरह से ब्रिटेन लाया गया था. क्या है मो फ़राह की असली कहानी?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
मो फ़राह ने लंदन और रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था
Getty Images
मो फ़राह ने लंदन और रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था

सर मो फ़राह ने कहा कि वो इस बात से राहत महसूस कर रहे हैं कि गृह मंत्रालय उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करेगा. फ़राह ने कहा है कि ब्रिटेन में वे ग़ैर-कानूनी तरीके से आए थे.

ओलंपिक स्टार फ़राह ने सोमवार को बताया कि उनका असली नाम हुसैन अबदी कहिन है लेकिन उन्हें मोहम्मद फ़राह के नाम से ब्रिटिश नागरिकता मिली है. मोहम्मद फ़राह नाम उन्हें उन लोगों ने दिया था जो उन्हें ग़ैर क़ानूनी तरीक़े ने ब्रिटेन लेकर आए थे.

ये जानकारी बीबीसी और रेड बुल स्टूडियो की एक डॉक्यूमेंट्री में सामने आई है. डॉक्यूमेंट्री में मो फ़राह ने कहा है कि उनके माता-पिता कभी ब्रिटेन नहीं आए हैं.

मो फ़राह के पिता अब्दी की सोमालीलैंड में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान गोलीबारी में मौत हो गई है. उस समय मो की उम्र चार वर्ष थी.

उनके दो भाई अब भी सोमालीलैंड में एक फ़ार्म पर रहते हैं.

फ़राह के इस झूठ को कबूलने के बाद भी ब्रितानी गृह मंत्रालय ने बीबीसी को बताया है कि इस मामले की कोई जांच नहीं करेंगे.

बीबीसी रेडियो फ़ोर को दिए एक इंटरव्यू में मोहम्मद फ़राह ने कहा, "मुझे इससे राहत मिली है. ये मेरा देश है. अगर एलेन [पीई टीचर] और मेरे समर्थक नहीं होते, जिन्होंने बचपन से मेरा साथ दिया, तो मैं ये करने की कभी हिम्मत नहीं जुटा पाता."

"कई लोगों का मेरी ज़िदगी पर अहसान है, ख़ासतौर पर मेरी पत्नी का, जिसने पूरे करियर में मेरा साथ दिया है. और जिसने मुझे सबसे सामने आकर बात करने की हिम्मत दी, कहा कि ये करना सही है."

सर मो ने पहली बार ब्रिटेन आने की अपनी कहानी साझा की
BBC
सर मो ने पहली बार ब्रिटेन आने की अपनी कहानी साझा की

फ़राह ने अपनी कहानी साझा की

"मैं इस बारे में अपने परिवार से बात करने में भी हिचकता था. सार्वजनिक रूप से तो मैं बात ही नहीं कर पाता. यहां तक पहुंचने में बहुत समय लगा है, लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने ये डॉक्यूमेंट्री बनाई और लोगों को बताया कि बचपन में मेरे साथ क्या हुआ था."

मो फ़राह ने अपनी ब्रिटेन आने की सच्चाई, अपने बचपन की दास्तां और 2012 में ओलंपिक मेडल जीतने की कहानी साझा की है.

मेट्रोपोलिटन पुलिस का कहना है कि अफ़सर जांच कर रह हैं कि सर मो के साथ क्या हुआ था. एक बयान में पुलिस ने कहा कि "इस वक्त" उनके पास कोई रिपोर्ट नहीं है.

उन्होंने कहा कि उनका मानना है आधुनिक गुलामी के शिकार कई बच्चे लंदन की गलियों में मौजूद हैं.

सर मो की पत्नी तानिया ने कहा कि सच्चाई जानने के बाद वो "कई तरह की भावनाओं" से ग़ुज़र रही हैं.

उन्होंने कहा, "सबसे पहले मुझे उनके लिए दुख हुआ और बुरा लगा. मैं एक नौ साल के मो के बारे में सोचने लगी और बेसहारा महसूस करने लगी. लेकिन साथ ही मुझे उन लोगों पर गुस्सा आने लगा जिन्होंने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया, और जिनके कारण उन्हें इससे ग़ुज़रना पड़ा."

सविता पूनिया की मुस्तैदी भी काम ना आई, महिला हॉकी में भारत का सपना टूटा

एलेन वॉटकिंसन
BBC
एलेन वॉटकिंसन

ये एक लाज की तरह - पत्नी

उन्होंने कहा, "मो ने अब आख़िरकार खुद को इजाज़त दी है, उस दर्द को महसूस करने की, इस डॉक्यूमेंट्री ने उन्हें इसका सामना करने की हिम्मत दी है. ये सही है, ये इलाज की तरह है."

कानूनन सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को देश से निकाल सकती है जिसे नागरिकता ग़लत तरीके से मिली हो. लेकिन गृह मंत्रालय ने बीबीसी को बताया है कि वो इस केस में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि ये माना जाता है कि नागरिकता पाने के लिए अपनाए गए गलत तरीकों में बच्चों की भागीदारी नहीं होती.

बच्चों की तस्करी से जुड़े मुद्दे पर बोलते हुए मो फ़राह ने कहा, "कोई भी बच्चा इन हालात से ग़ुज़रना नहीं चाहता. जब मेरे बारे में किसी और से फ़ैसला किया था तब मेरी उम्र बहुत कम थी. मुझे इस देश के लिए जो करने का मौका मिला, उसके लिए मैं शुक्रग़ुज़ार हूं. मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में गर्व महसूस होता है."

"जो मेरे कंट्रोल में था, किया. जब मैं छोटा था, तब मेरा कोई कंट्रोल नहीं था."

सर मो के मुताबिक उन्होंने अपने पीई टीचर पर विश्वास किया जिन्होंने उन्हें दूसरे परिवार में पालने में मदद की. उनकी बदौलत ही वो ब्रिटेन की नागरिकता पा सके और उनका पासरोपर्ट बना ताकि वो खेलों में हिस्सा ले सकें.

बेबाकी से बात सामने रखने के लिए सर मो की काफ़ी तारीफ़ की जा रही है.

बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं जिन तकलीफ़ो से ग़ुज़रा हूं उनके बारे में बताते हुए मुझे खुशी हो रही है, क्योंकि मैं आज जो हूं, इन्हीं के कारण हूं."

सर मो ने कहा कि अपनी कहानी बताने के पीछे उनका मकसद है कि लोगों को मानव तस्करी और ग़ुलामी के कारण होने वाली दिक्कतों के बारे में पता चल सके.

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता था कि इतने सारे लोग वही झेल रहे हैं, जिससे मैं ग़ुज़र चुका हूं. ये दिखाता है कि मैं कितना भाग्यशाली हूं."

"मेरा दौड़ना ही वो वजह थी जिसके कारण मैं बच गया, और मैं दूसरों से अलग हूं."

बीबीसी ने उस महिला से बात करने की कोशिश की जो सर मो को यहां लेकर आई थीं, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

सर मो के मुताबिक, "डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली टीम ने उस महिला से बात करने की कोशिश की लेकिन वो कुछ कहना नहीं चाहती थीं, मुझे इतनी ही जानकारी है. मैं उनके संपर्क में नहीं हूं, रहना चाहता भी नहीं हूं."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
story of Olympic Gold Medalist Mo Farah
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X