हर-हर शंभू...वाली फ़रमानी नाज़ बोलीं- भजन गा दिया तो हिंदू नहीं हो गई
फ़रमानी नाज़ “हर-हर शंभू" भजन को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं. बीबीसी से उन्होंने ग़रीबी के चंगुल से निकल गीत-संगीत की दुनिया में क़दम रखने की कहानी सुनाई.
''हम 'नात' या 'भजन' जो भी गाते हैं तो उससे ऐसा नहीं है कि 'नात' अगर कोई हिंदू सुन ले तो वो मुसलमान हो जाएगा या "भजन" कोई मुसलमान सुन ले तो वो हिंदू हो जाता है. ऐसा नहीं है कि मैंने भजन गा दिया तो मैं हिंदू हो गई.''ये कहना है उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले की रहने वाली फ़रमानी नाज़ का, जो पेशे से गायिका हैं.
हाल ही में वो "हर-हर शंभू" भजन गाने को लेकर चर्चा में हैं. ऐसी ख़बरें हैं कि उनके ख़िलाफ़ फ़तवा भी जारी किया गया. हालांकि, वो ख़ुद फ़तवे की बात से इनकार करती हैं."फ़तवा तो बिल्कुल भी नहीं है और न ही किसी मौलाना या उलेमाओं ने भी कुछ ऐसा कहा कि इस पर फ़तवा जारी करो. जिस गाँव में मैं रहती हूँ वो पूरा गाँव ही मुसलमानों का है और अगर कोई फ़रमानी नाज़ के बारे में पूछता है तो वो बड़े गर्व से कहते हैं कि हां फ़रमानी हमारे गाँव से है. जबकि वो जानते हैं कि मैं गीत के साथ भजन भी गाती हूँ.''
फ़रमानी नाज़ के बारे में सोशल मीडिया पर एक अकाउंट ये भी दावा किया गया था कि वो हिंदू धर्म अपनाने वाली हैं.
इस बारे में वो कहती हैं, "मैंने देखा कि किसी ने मेरे नाम की फ़ेक आईडी बना कर ये ट्वीट किया है कि मैं हिंदू धर्म अपना रही हूँ और मेरे पूर्वज भी हिंदू थे, ऐसा कुछ भी नहीं है. ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत होनी चाहिए और क़ानून ऐसे लोगों के लिए सख़्त होने चाहिए.''
वह आगे कहती हैं, "मैं क्यों बदलूँगी धर्म, सभी धर्म अच्छे हैं. मैं एक कलाकार हूँ, सभी को अपने भजन और गीत सुनाती हूँ इसलिए मुझे सुनने वाले सभी धर्म के हैं, ऐसा नहीं है कि वे इसलिए मुझे सुनते हैं कि मैं मुसलमान हूँ और भजन गाती हूँ. उन्हें मेरी आवाज़ अच्छी लगती है इसलिए सुनते हैं. हम ग़रीब लोग हैं, गाँव से उठ कर यहाँ तक आते हैं.''
- आज़ादी जैसे शब्द मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं पर..
- नफ़रत के दौर में हम अपने बच्चों को प्यार का सबक़ कैसे सिखायें
https://www.youtube.com/watch?v=LyxnPxi4WQg
शादी और आर्थिक तंगी
वो बताती हैं कि उनकी शादी 2018 में हुई, मगर शादी के दो-तीन महीने बाद ही पति का किसी और महिला से संबंध हो गया. उस शादी से उनका एक बेटा हुआ जो अभी 3 साल का है.
फ़रमानी आगे रुँधी आवाज़ में बताती हैं, "जब वो पैदा हुआ तो उसके नाक-मुंह का रास्ता एक ही था, वो जो खाता था वो नाक की नली में वापस आ जाता था. जब बेटा पैदा हुआ तो मुझे ताने मारे कि ये कैसा बच्चा पैदा किया है, जिसे इतनी बीमारी है."
"उसके बाद वो मुझे बेटे के इलाज के लिए मेरे घर से पैसे लाने को कहने लगे. पैसों को लेकर वो मुझे ज़्यादा परेशान करने लगे जिसकी वजह से मैं डिप्रेशन में चली गई. 2019 की जून में मैं वहाँ से अपने घर आ गई, मैंने इंतज़ार किया कि शायद वो आए लेकिन वो नहीं आए."
फ़रमानी का आरोप है कि उनके शौहर ने बिना तलाक़ के दूसरी शादी कर ली.
वे कहती हैं, "मेरा मायका भी ग़रीब था, मेरे माता-पिता की हालत ऐसी नहीं थी कि मेरा और मेरे बच्चे का ख़र्च उठा सकें. ऐसे में एक माँ क्या करें."
फ़रमानी नाज़ के परिवार में उनके भाई फ़रमान भी गायक हैं. फ़रमानी के साथ उनके भाई भी वीडियो में गाते हैं. फ़रमानी बताती हैं कि गाने की शुरुआत भाई के साथ ही हुई.
- क्यों लड़कों को ज़रूरी है चूल्हा-चौका करना?
- बच्चों की परवरिश: माता-पिता बच्चों के साथ ये काम बिल्कुल ना करें
कैसे बनीं गायिका?
फ़रमानी नाज़ बताती हैं कि उन्होंने गायकी की शुरुआत 2019 में की थी. तभी से वह भजन, फ़िल्मी गीत, नात गाती आ रही हैं.
वो कहती हैं,"आवाज़ मेरी बचपन से अच्छी थी. स्कूल के मास्टर जी मुझसे और भाई से देशभक्ति के गीत और नज़्म सुनते थे. उन्हें हमारी आवाज़ इतनी पसंद थी कि मास्टर जी हमारे मां-पापा से बोले कि बच्चों की आवाज़ अच्छी है, इन पर ध्यान दो. पर गांव में कोई ध्यान नहीं देता बस 8वीं पढ़ ली मैंने और हो गया."
"मायके आने के बाद से ही मैं अपने बेटे के इलाज को लेकर फ़िक्रमंद रहा करती थी. एक दिन राहुल कुमार नाम के एक यूट्यूबर ने मुझे गाते सुना और मेरा वीडियो बना कर उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर डाल दिया. वो वीडियो वायरल हो गया. वो गीत हीर रांझा फ़िल्म का मिलो ना तुम तो दिल घबराए...था."
फ़रमानी बताती हैं कि उस वीडियो को कुमार सानू ने भी सुना और उन्हें तोहफ़े में रियाज़ के लिए हारमोनियम भेजा.
फिर गाने का सिलसिला चल पड़ा, और उनकी टीम ने मिलकर स्टूडियो बनाया, और वो नज़्म, गीत, भजन गाने लगे.
फ़रमानी ने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है, लेकिन वो "इंडियन-आयडल" सीज़न-12 " में प्रतिभागी रह चुकी है.
वो बताती हैं, "इंडियन-आयडल" में मैं कई राउंड तक पहुँची. मुझे गोल्डन टिकट भी मिला. लेकिन तभी बेटे की तबियत बहुत ख़राब हो गयी और मुझे वापस लौटना पड़ा."
- मोहम्मद रफ़ी जिन्हें हिंदी फ़िल्म जगत का 'तानसेन' कहा गया
- जब मुकेश के गाने सरहद लांघ कर दूसरे मुल्कों में गूंजने लगे
फ़रमानी नाज़ के आज कई यूट्यूब चैनल है.
वो कहती हैं, "अब मैं यूट्यूब से कमाती हूँ. मेरे परिवार में मम्मी-पापा को मिला कर कुल 5 सदस्य है. उन सबकी ज़िम्मेदारी मुझपर ही है.
"अब जीवन पहले से बहुत अच्छा है, अच्छा ख़ा लेती हूँ,अच्छा पहन लेती हूँ."
- भूपिंदरः जब पहले गाने का बुलावा आया, मुंबई जाने के लिए पैसे नहीं थे
- 22 साल की मंजू ने ऐसा क्या कर दिया कि आदिवासी समाज उसे अपशकुन मान रहा है
फ़रमानी कहती हैं कि कला को धर्म से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा,""कला का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. ऐसा नहीं है कि मैंने भजन गा दिया तो मैं हिंदू हो गयी. मुझे सुनने वाले सभी धर्मों के हैं. घर पर रहती हूं तो वहाँ नमाज़, क़ुरान भी पढ़ती हूँ, रोज़ा भी रखती हूँ."
"मैं बस यही कहूँगी कि ऐसी बातें न हों. हम सब हिंदुस्तानी हैं. सभी को मिल-जुल कर रहना चाहिए. एकता बनाए रखनी चाहिए. ऐसे नज़्म या भजन गाने पर विवाद करना सही नहीं है."
फ़रमानी आख़िर में यह कहती हैं कि वो आगे भी फ़िल्मी गाने के साथ भजन और नज़्म गाती रहेंगी.
वे बताती हैं, "मुहर्रम और जन्माष्टमी के लिए हम क़व्वाली और भजन दोनों ही बना रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि लोगों को ये पसंद आएगा."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)