सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने शराब से की भगवान विष्णु और राम की तुलना, हंगामा बढ़ने पर जताया खेद
मामला बढ़ता देख सदन की कार्यवाही को भी स्थगित करना पड़ा। कुछ देर बाद सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो एक बार फिर से सत्ता पक्ष की ओर से नरेश अग्रवाल के बयान पर विवाद हुआ।
नई दिल्ली। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल की एक टिप्पणी को लेकर जोरदार हंगामा देखने मिला। पूरा मामला उस समय सामने आया जब संसद में गोरक्षा और मोब लिंचिंग मुद्दे पर राज्यसभा में सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने हिंदू देवी-देवताओं को लेकर ऐसी टिप्पणी की जिसको लेकर विरोध शुरू हो गया। बवाल बढ़ने पर नरेश अग्रवाल ने टिप्पणी पर खेद जताया, साथ ही उनकी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।
सपा सांसद ने बयान पर मांगी माफी
इससे पहले सपा सांसद नरेश अग्रवाल की टिप्पणी पर मामला बढ़ता देख सदन की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा। कुछ देर बाद सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो एक बार फिर से सत्ता पक्ष की ओर से नरेश अग्रवाल के बयान पर विवाद हुआ। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और अनंत कुमार ने नरेश अग्रवाल की टिप्पणी को लेकर सदन से माफी मांगने की मांग की। साथ ही उनके कमेंट को सदन की कार्यवाही से हटाने की भी मांग की। हंगामा बढ़ने के बाद नरेश अग्रवाल की टिप्पणी की सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया।
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नरेश अग्रवाल के माफी मांगने के सवाल पर सपा सांसद रामगोपाल यादव ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि सदन में केंद्रीय मंत्री की ओर से एक पर्चा पढ़ा गया था जिसमें हिंदू देवी को लेकर टिप्पणी थी। उस समय उन्होंने माफी नहीं मांगी थी तो ऐसे में नरेश अग्रवाल भी माफी नहीं मांगेंगे। रामगोपाल यादव की दलील पर भी बीजेपी सांसद शांत नहीं हुए, आखिर में नरेश अग्रवाल को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी पड़ी।
नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर उनके बयान से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं तो इसके लिए वो खेद प्रकट करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि मैंने जो भी कहा है वो एक जेल की दीवार पर लिखा था। सपा सांसद के माफी मांगने के बाद मामला शांत हुआ और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ सकी। बता दें कि विवाद तब शुरू हुआ था जब समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने सरकार पर निशाना साधते हुए राम जन्मभूमि का जिक्र किया और कहा कि कुछ लोग हिंदू धर्म के ठेकेदार हो गए हैं। इसी दौरान रामजन्मभूमि आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने एक जेल में लिखी लाइन को सदन में पढ़ा। जिस पर विवाद हुआ, हालांकि उनके खेद प्रकट करने के बाद मामला शांत हो गया।