सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर: वकीलों की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में कल होगी सुनवाई
याचिका में कहा गया है, 'सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है, जिसका सार्वजनिक कर्तव्य है कि वह अपने कार्यों से कानून के शासन का पालन करे, लेकिन इसमें वह असफल हुई है
नई दिल्ली। सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट इस बात की सुनवाई करेगा कि निचली अदालत द्वारा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बरी करने के फैसले को सीबीआई को चुनौती देना चाहिए या नहीं। मुंबई के वकीलों के एक संगठन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अपील की है कि वह अमित शाह को बरी किए जाने के सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सीबीआई को एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का निर्देश दे।
याचिका में कहा गया है, 'सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है, जिसका सार्वजनिक कर्तव्य है कि वह अपने कार्यों से कानून के शासन का पालन करे, लेकिन इसमें वह असफल हुई है।' साथ ही कहा गया है कि लोअर कोर्ट ने इसी तरह से राजस्थान के दो पुलिस उपनिरीक्षकों हिमांशु सिंह और श्याम सिंह चरण और गुजरात पुलिस के सीनियर अधिकारी एनके अमीन को भी बरी किया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ताओं को जानकारी मिली है कि सीबीआई ने उन्हें बरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। आरोपियों को बरी करने को चुनिंदा आधार पर चुनौती देने का सीबीआई का कृत्य दुर्भावनापूर्ण होने के साथ ही मनमाना एवं अनुचित है। उल्लेखनीय है कि याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुजरात से मुंबई ट्रांसफर करते हुए आदेश दिया था कि इसे तेजी से पूरा किया जाए।
सीबीआई
ने
फरवरी
2010
में
इस
मामले
की
जांच
शुरू
की
थी
2005
में
सोहराबुद्दीन
शेख,
उसकी
पत्नी
कौसर
बी
और
सहयोगी
तुलसी
प्रजापति
की
कथित
फर्जी
मुठभेड़
में
हत्या
कर
दी
गई
थी।
सीबीआई
ने
फरवरी
2010
में
इस
मामले
की
जांच
शुरू
की
और
उसी
साल
जुलाई
में
अमित
शाह
सहित
23
अभियुक्तों
के
खिलाफ
आरोप-पत्र
दाखिल
किया
था।
अमित
शाह
उस
समय
गुजरात
में
गृह
राज्य
मंत्री
थे।
मामले
की
सुनवाई
के
दौरान
समय-समय
पर
ट्रायल
कोर्ट
ने
तीन
आईपीएस
अधिकारियों
समेत
कई
अभियुक्तों
को
मामले
से
बरी
कर
दिया।
जज
लोया
की
मौत
से
जुड़ा
है
मामला
सोहराबुद्दीन
शेख
फर्जी
एनकाउंटर
मामले
से
जुड़े
एक
केस
का
संबंध
जज
बीएच
लोया
की
संदिग्ध
मौत
से
भी
जुड़ा
है।
जज
लोया
की
1
दिसंबर
2014
को
रहस्यमय
हालत
में
दिल
का
दौरा
पड़ने
से
नागपुर
में
मृत्यु
हो
गई
थी।
जज
लोया
वहां
एक
साथी
की
बेटी
की
शादी
में
शामिल
होने
गए
थे।
उस
समय
जज
लोया
सोहराबुद्दीन
एनकाउंटर
मामले
की
सुनवाई
कर
रहे
थे।जज
लोया
की
मौत
की
निष्पक्ष
जांच
की
मांग
करते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
की
है।
12
जनवरी
को
सुप्रीम
कोर्ट
के
4
जजों
ने
एक
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
कर
सुप्रीम
कोर्ट
में
इस
मामले
की
सुनवाई
औओर
चीफ
जस्टिस
के
रवैये
को
लेकर
कई
गंभीर
मुद्दे
उठाए
थे,
जिसके
बाद
जस्टिस
अरूण
मिश्रा
ने
इस
केस
से
खुद
को
अलग
कर
लिया
था।
सुप्रीम
कोर्ट
के
4
जजों
ने
कहा
था
कि
चीफ
जस्टिस
ने
मनमाने
तरीके
से
यह
केस
जस्टिस
अरूण
मिश्रा
को
सौंप
दिया
था।
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