महाराष्ट्र में सोशल मीडिया का जलवा, हरियाणा में नदारद
नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी दिनों होने वाले चुनावों की कैंपेन के चरित्र में एक बड़ा फर्क नजर आ रहा है। जहां हरियाणा में सोशल मीडिया की भूमिका बहुत कम है, वहीं महाराष्ट्र में इसका असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
हालांकि हरियाणा का शहर गुड़गांव देश का प्रमुख आईटी शहर है, पर गुड़गांव से लेकर प्रदेश के किसी भी भाग में कोई नेता सोशल मीडिया पर बहुत भरोसा नहीं कर रहा। कई तो फेसबुक पर भी नहीं है, ट्विटर की तो बात छोड़िए अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए। इससे साफ है कि हरियाणा में सोशल मीडिया कोई खास असर नहीं दिखा रहा।
उधर, महाराष्ट्र में सभी पार्टियां जन-जन तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब है कि पिछले 15 साल तक कांग्रेस के साथ मिलकर राकांपा ने सरकार चलाई है और महाराष्ट्र के विकास में उसका अहम योगदान रहा है।
राकांपा मानती है कि सोशल मीडिया युवाओं तक पहुंचने का सबसे बेहतर तरीका है। महाराष्ट्र में 55 फीसद युवा हैं और आज लगभग हर युवा के पास सोशल मीडिया पर उनके खाते हैं। उनके पास तक अपनी बात पहुंचाने के लिए हमारे पास एक कुशल कैंपेन टीम है जो इस काम को अंजाम दे रही है।
कांग्रेस, भाजपा समेत सभी दलों के उम्मीदवार फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से जनता के बीच पहुंच रहो हैं।
कई पार्टियां टीवी विज्ञापनों का सहारा ले रही हैं जिसमें सरकार की नकारात्मक छवि को सामने लाती हैं। विज्ञापनों में यह दिखाया जा रहा है कि महाराष्ट्र सामाजिक और आर्थिक रूप से अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ता जा रहा है और जो पार्टियां शासन कर रही थी, उन्होंने प्रदेश को आगे ले जाने के लिए कुछ नहीं किया।
हरियाणा मामलों के जानकार केवल तिवारी कहते हैं कि महाराष्ट्र के विपरीत हरियाणा के मतदाताओं को तो वे ही नेता पसंद आते हैं,जो उनके पास पहुंचते हैं। उन्हें सोशल मीडिया से कोई खास लेना-देना नहीं है।