शंकराचार्य का नया राग: नि:संतान हिंदू पतियों को मिले दूसरी शादी का हक
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। साईं बाबा की पूजा का विरोध करने और उन्हें भगवान ना मानने की बात कह विवादों में आए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अब एक नये विवाद को जन्म दे दिया है। शंकराचार्य द्वारा छत्तीसगढ़ के कवर्धा में बुलाई गई धर्म संसद में जहां एक तरफ साईं को ईश्वर मानने से इंकार कर दिया गया वहीं दूसरी तरफ एक और प्रस्ताव पास हुआ जिससे बवाल मच गया है। शंकराचार्य के सुझाव पर संतों ने मांग उठाई कि हिंदू विवाह कानून में बदलाव किया जाए।
पढ़ें:
शंकराचार्य
ने
फिर
उगला
जहर:
साईं
बाबा
को
कहा
'वेश्या
पुत्र',
भक्तों
को
'संक्रामक
बीमारी'
हालांकि
धर्मसंसद
में
पास
हुए
इस
तरह
के
प्रस्ताव
पर
कई
धर्मगुरुओं
ने
आपत्ति
जाहिर
की
है।
कुछ
संतों
ने
इसे
देश
की
महिलाओं
का
अपमान
बताया
है
तो
कइयों
का
कहना
है
कि
एक
तरफ
तो
शंकराचार्य
साईं
बाबा
को
इसलिए
संत
मानने
से
इंकार
कर
रहे
हैं
क्योंकि
वो
मुसलमान
थे
तो
दूसरी
तरफ
इस्लाम
में
मिली
एक
से
ज्यादा
शादियों
की
छूट
को
ही
हिंदू
धर्म
में
अपनाने
की
बात
कह
रहे
हैं।
सवाल उठ रहे हैं कि क्या शंकराचार्य का ये प्रस्ताव व्यावहारिक है? क्या शंकराचार्य का ये प्रस्ताव हिंदू परिवारों को मंजूर होगा? क्या महिलाएं शंकराचार्य के इस प्रस्ताव से सहमत होंगी? क्या पहली पत्नी के रहते और उसे तलाक दिए बिना दूसरा विवाह जायज होगा? संतान के लिए गोद लेने की परंपरा को बढ़ावा देना क्या हिंदू परंपरा के विरूद्ध है?