सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन कीमत पर कन्फूजन, राज्यों ने कहा- केंद्र सरकार को 150 और हमें 400 में, ये अनुचित है
सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन कीमत पर कन्फूजन, राज्यों ने कहा- केंद्र सरकार को 150 और हमें 400 में, ये अनुचित है
नई दिल्ली, 22 अप्रैल: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में अपने वैक्सीन कोविशील्ड वैक्सीन की कीमतों का ऐलान कर दिया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि राज्य सरकारों को कोविशील्ड वैक्सीन 400 रुपये प्रति डोज मिलेगी और प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन डोज 600 रुपये में मिलेंगे। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा कोविशील्ड वैक्सीन की कीमतों के ऐलान के बाद राज्य सरकारों में इसको लेकर कन्फूजन बढ़ गया है। वैक्सीन की कीमत राज्य सरकारों को 400 और निजी हॉस्पिटल को 600 में देने के फैसले के बाद राज्यों और निजी अस्पतालों के बीच वैक्सीन के समान वितरण पॉलिसी को लेकर संदेह बढ़ गया है। दूसरा कन्फूजन ये है कि सीरम इंस्टीट्यूट केंद्र सरकार को वैक्सीन 150 रुपये प्रति डोज बेचती है। अब ऐसे में राज्य सरकारों का कहना है कि केंद्र को 150 में, राज्य को 400 और प्राइवेट अस्पतालों को 600 में वैक्सीन की खुराक मिलेगी...,वैक्सीन के दामों में इतना अंतर कैसे है, ये तो अनुचित है।
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केंद्र सरकार ने दी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को कीमत तय करने की छूट
केंद्र सरकार ने अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को राज्य सरकार और प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की कीमत अपनी मर्जी से तय करने की छूट दी है। जिसके बाद ही सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड वैक्सीन के दामों की घोषणा की है। हालांकि कई राज्यों ने ये घोषणा पहले ही कर दी है कि उनके यहां लोगों को वैक्सीन फ्री में दी जाएगी।
सीरम इंस्टीट्यूट ने केंद्र सरकार से नहीं ली वैक्सीन की कीमत तय करने से पहले सलाह: सूत्र
इंडियन एक्स्प्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा वैक्सीन के दामों के बारे में केंद्र सरकार को कोई जानकारी नहीं थी। वैक्सीन वितरण प्रोग्राम से जुड़ के करीबी सूत्रों ने कहा है कि हमें इस बात संभावना नहीं थी कि सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन की कीमतें केंद्र सरकार की जानकारी के बिना घोषित करेगा।
वैक्सीन पॉलिसी मेकर से जुड़े एक अधिकारी ने कहा है कि केंद्र और राज्यों के लिए वैक्सीन की अलग-अलग कीमत तय करना बेवकूफूी है। मुझे नहीं पता कि क्या चल रहा है। वहीं एक अन्य वैक्सीन पॉलिसी मेकर ने कहा है कि सरकार से इसको लेकर सलाह नहीं किया गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वैक्सीन का 50 फीसदी उत्पादन खुले बाजारों में बेचने से कंपनी को मुनाफा होगा। जिससे उत्पादन को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
वैक्सीन के दामों पर उठा कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का मुद्दा
कोरोना वैक्सीन के दामों पर कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का मुद्दा उठ रहा है। राज्य सरकार ने इन दो सवालों को उठाया है। पहला, क्या एक निजी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट, राज्यों के बीच वैक्सीन खुराक के वितरण का फैसला करेगा? अगर हां तो किस आधार पर। क्या यह पहले आओ, पहले पाओ पर होगा या फिर आबादी के अनुपात को देखते हुए फैसला लिया जाएगा? दूसरा- राज्यों और निजी अस्पतालों के बीच वैक्सीन खुराक के वितरण के लिए क्या मापदंड होगा?
एक राज्य के मुख्य सचिव ने कहा है कि अगर इन सवालों को हल नहीं किया गया तो बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। एक राज्य के मुख्य सचिव ने कहा, ''कोविड-19 के मामलों में तेज उछाल को देश की जनता देख रही है। ऐसे में देश की संघीय संरचना के नेचर को देखते हुए वैक्सीन वितरण के लिए अलग-अलग दाम तय करना अनुचित है। वो भी ऐसे वक्त में जब देश में मेडिकल आपदा जैसी स्थिति है। अगर ऐसे ही वैक्सीन के दाम तय किए जाएंगे तो कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का क्या होगा।''
कांग्रेस ने भी उठाए वैक्सीन की कीमतों पर सवाल
कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की कीमत एक ही होनी चाहिए। कांग्रेस की मांग है कि केंद्र सरकार को एक दाम की नीति लागू करनी चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि नई वैक्सीन नीति की नोटबंदी जैसी ही है। इससे सिर्फ आम आदमियों की परेशानी बढ़ेगी।
वहीं कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा है कि केंद्र सरकार को 150 रुपये में मिलने वाली वैक्सीन राज्यों को 400 रुपये और प्राइवेट अस्पतालों को 600 रुपये में क्यों दी जा रही है। वैक्सीन के दामों में भारी अंतर की वजह से राज्य सरकारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। केंद्र का यह फैसला भेदभावपूर्ण है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि केंद्र को वही वैक्सीन 150 में और राज्य को 400 में देना कहां का और किस तरह का कोऑपरेटिव फेडरलिज्म है।