कर्नाटक चुनाव में यह खुफिया समझौता बढ़ा सकता है कांग्रेस की मुश्किल
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नई दिल्ली। कर्नाटक चुनाव में अब बहुत की कम दिन बचे हैं, ऐसे में कांग्रेस और भाजपा अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक रही हैं। माना जा रहा था कि जनता दल (सेक्युलर) भाजपा की बी टीम है, लेकिन इन सबके बीच जेडीएस और भाजपा के बीच एक ऐसे खुफिया समझौते की बात सामने आई है जो कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकती है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि दोनों दलों के बीच एक खुफिया समझौता हुआ है जिसमे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके बेटे यथींद्र को हराने में बड़ी मदद मिलेगी।
सिद्धरमैया
और
उनके
बेटे
के
लिए
मुश्किल
आपको
बता
दें
कि
सिद्धारमैया
कर्नाटक
के
चामुंडेश्वरी
सीट
से
चुनाव
लड़ेंगे,
उन्होंने
वरुणा
की
सीट
खाली
छोड़
दी
है,
जिसपर
वह
2008
व
203
में
विजयी
हुए
थे।
उन्होंने
यह
सीट
अपने
बेटे
यथींद्र
के
लिए
खाली
की
है।
सिद्धारमैया
जनता
दल
के
जीटी
देवेगौड़ा
के
खिलाफ
मैदान
में
उतरेंगे,
जबकि
वरुणा
में
यथींद्र
विजयेंद्र
के
खिलाफ
चुनाव
लड़ेंगे
जोकि
भाजपा
के
मुख्यमंत्री
उम्मीदवार
बीएस
येदुरप्पा
के
बेटे
हैं।
हालांकि
विजयेंद्र
की
सीट
से
पार्टी
ने
उम्मीदवार
की
घोषणा
नहीं
की
है
लेकिन
पार्टी
भीतरी
नेताओं
का
कहना
हैा
कि
यह
महज
औपचारिकता
है।
सीएम
और
पूर्व
सीएम
के
बेटे
मैदान
में
जिस
तरह
से
सिद्धारमैया
और
येदुरप्पा
के
बीच
लगातार
सियासी
खींचतान
चलती
है
उसके
बाद
उनके
बेटे
भी
चुनावी
मैदान
में
एक
दूसरे
के
सामने
होंगे,
जोकि
कर्नाटक
चुनाव
में
काफी
चर्चा
का
विषय
है।
हालांकि
इन
तीनों
पार्टियों
के
कार्यकर्ताोओं
का
कहना
है
कि
माना
जा
रहा
है
कि
भाजपा
यहां
से
कमजोर
उम्मीदवार
को
मैदान
में
उतारेगी
ताकि
देवे
गौड़ा
को
यहां
से
आसानी
से
जीत
हासिल
हो
सके।
इसके
बदले
में
जेडीएस
भाजपा
को
वरुणा
की
जीत
में
मदद
करेगी।
वरिष्ठ
जेडीएस
नेता
का
कहना
है
कि
वह
किसी
भीतर
के
समझौते
के
बारे
में
नहीं
जानते
हैं,
पार्टी
ने
वरुणा
में
उम्मीदवार
के
नाम
का
अभी
ऐलान
नहीं
किया
है
भाजपा
का
इनकार
एक
वरिष्ठ
भाजपा
नेता
का
कहना
है
कि
पार्टी
दोनों
ही
सीटों
पर
मजबूत
उम्मीदवार
मैदान
में
उतारेगी।
राज्य
कांग्रेस
कमेटी
के
अध्यक्ष
दिनेश
गुंडू
राव
का
कहना
है
कि
यह
समझौता
बिल्कुल
भी
खुफिया
नहीं
है,
हमे
इस
बात
की
जानकारी
मिली
है
कि
दोनों
सीटों
पर
लेकर
बातचीत
हुई
है,
इस
तरह
के
समझौते
पूरे
राज्य
के
लिए
होते
हैं
नाकि
किसी
एक-दो
सीट
के
लिए।
पार्टी
प्रदेश
में
चुनाव
जीतने
का
लक्ष्य
रखती
है
चुनिंदा
सीट
पर
नहीं।
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