फारुख अब्दुल्ला और महबूबा को 10 साल के लिए कालापानी भेजे सरकार, ये खुले क्यों घूम रहे हैं- संजय राउत
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। अनुच्छेद 370 के बाद घाटी में हिंसा ना हो इस वजह से महबूबा मुफ्ती, उमर, फारुख अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद किया गया। अब वो रिहा हो चुके हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच महबूबा मुफ्ती ने एक विवादित बयान दिया था, जिस पर अब शिवसेना ने भी पलटवार किया है।
महबूबा मुफ्ती के विवादित बयान पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि चाहे फारुख अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती, अगर कोई भारत के संविधान को चुनौती देने के लिए चीन की मदद लेने की बात करता है, तो उसे गिरफ्तार कर 10 साल के लिए अंडमान यानी कालापानी भेज देना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर विवादित बयान के बाद भी महबूबा मुफ्ती कैसे आजाद घूम रही हैं।
इस दौरान राउत ने तेजस्वी यादव की भी तारीफ की। बिहार चुनाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं तेजस्वी को लंबे वक्त से फॉलो कर रहा हूं। बहुत लोगों का मानना था कि वो इस विधानसभा चुनाव में कमजोर कड़ी हैं, लेकिन वो मजबूत कड़ी बनकर कर सामने आया है। अब तक राज्यों में बड़े नेताओं के जो लड़के राजनीति में आए हैं उनमें सबसे सुपर तेजस्वी है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 पर देश विरोधी राजनीति जारी!
क्या
था
महबूबा
और
फारुख
का
बयान?
अनच्छेद
370
की
बहाली
के
लिए
वहां
की
क्षेत्रीय
पार्टियां
एक
हो
गई
हैं।
इस
बीच
महबूबा
मुफ्ती
ने
कहा
था
कि
मेरा
झंडा
ये
है
(टेबल
पर
रखे
हुए
जम्मू-कश्मीर
के
झंडे
की
ओर
इशारा
करते
हुए)।
जब
यह
झंडा
वापस
आएगा,
हम
वह
झंडा
(राष्ट्रीय
ध्वज)
भी
उठाएंगे।
जब
तक
हमें
हमारा
अपना
झंडा
वापस
नहीं
मिल
जाता,
हम
कोई
दूसरा
झंडा
नहीं
उठाएंगे.....इस
झंडे
ने
उस
झंडे
के
साथ
हमारे
संबंधों
को
जाली
बना
दिया
है।
वहीं
फारुख
अब्दुल्ला
ने
चीन
की
मदद
से
अनुच्छेद
370
बहाल
करवाने
की
बात
कही
थी।