पांच राज्यों के चुनाव से पहले बीजेपी को झटका, NDA से अलग हुआ पुराना सहयोगी दल
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नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ मोदी कैबिनेट में NDA सरकार में शामिल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्री मंडल से इस्तीफा दे दिया है। कुशवाहा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उम्मीदों पर खड़े नहीं उतर सके। पीएम मोदी ने बिहार को विशेष पैकेज नहीं दिया। हमें आश्वासन मिले लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। बिहार में जातीय मतगणना की बात कही गई थी लेकिन जातीय मतगणना की रिपोर्ट नहीं आई।
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लोकसभा चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा फैसला
आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से काफी समय से नाराज चल रहे थे। केंद्रीय कैबिनेट और एनडीए से अलग होने के ऐलान के साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार को लगा था कि इस सरकार के आने पर अच्छे दिन आएंगे, लेकिन स्थिति नहीं बदली। ओबीसी और पिछड़ी जातियों के हक मारे गए, नौकरियों में भी इसका असर पड़ा। बिहार अभी भी वहीं है जहां यह पहले था। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है। बिहार के लिए कुछ भी नहीं किया गया था।
हमारी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश हुई: कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुझे बहुत बुरा अनुभव हुआ। मैंने एनडीए में बिहार के लोगों के न्याय के लिए अपनी बात रखी, लेकिन इसके बाद भी बीजेपी का कहना था की सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के साथ न्याय किया है, जबकि प्रदेश की सरकार फेल रही है। उनका एजेंडा मुझे और मेरी पार्टी को खत्म करना है। बिहार के उपचुनाव में हमें सीटें लड़ने को नहीं दी गईं, हमारी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश हुई। मेरा अपमान किया गया, नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से मुझे नीच कहकर संबधित किया।
उपेंद्र कुशवाहा ने साधा आरएसएस पर निशाना
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सब कुछ समझने के बाद मुझे लगता है कि आरएसएस के एजेंडे को लागू करने के लिए मुझे कैबिनेट में एक मिनट के लिए भी नहीं रुकना चाहिए। इसलिए मैंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही मैंने फैसला किया है कि आरएलएसपी एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि एनडीए में राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के होने का मतलब बीजेपी और एलजेपी से गठबंधन था। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू से हमारा कोई गठबंधन नहीं है। वह पिछले साल गठबंधन में शामिल हुए हैं जबकि हम 2014 से ही एनडीए का हिस्सा थे।
NDA की बैठक में शामिल होने से किया था इनकार
इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले एनडीए के घटक दलों की बैठक में उनके शामिल होने की अटकलें लग रही थी, हालांकि उन्होंने खुद इन अटकलों को खारिज कर दिया। कुशवाहा ने कहा कि सोमवार को होने वाले एनडीए के सहयोगी दलों की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। गौरतलब है कि कुशवाहा को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एनडीए की बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्योता दिया था, लेकिन कुशवाहा ने इस बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।
सीट फॉर्मूले से नाराज चल रहे थे कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा के केंद्रीय कैबिनेट और एनडीए से अलग होने की चर्चा काफी समय से थी। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उस वक्त हुई, जब दिल्ली में अमित शाह ने ऐलान किया कि बिहार में भाजपा और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इस ऐलान के ठीक बाद उपेंद्र कुशवाहा और तेजस्वी यादव के मुलाकात की तस्वीरें सामने आई। इसके बाद लगातार सियासी खबरें छन-छनकर निकलने लगीं। पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने जब शरद यादव से मुलाकात की तो लोजपा नेता चिराग पासवान ने कहा था कि विपक्षी दलों के नेताओं इस तरह की मुलाकातें ठीक नहीं है। आखिरकार कुशवाहा ने केंद्रीय कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एनडीए से भी अलग होने का ऐलान कर दिया। अब माना जा रहा है कि कुशवाहा विपक्षी खेमे में जा सकते हैं।
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