चावल की कीमतों में लगी आग, 30% तक बढ़ गए दाम, इन वजहों से और भी महंगे होने के आसार
कोलकाता, 1 अगस्त: गेहूं के बाद चावल के दाम भी बढ़ गए हैं। लेकिन, चावल की कीमतों में बढ़ोतरी गेहूं के मुकाबले बहुत ही ज्यादा है और आने वाले दिनों में इसका गरीबों की थाली तक पहुंचना भी मुश्किल हो सकता है। इसकी मुख्य तौर पर दो बड़ी वजहे हैं। एक तो पश्चिम एशिया और एक पड़ोसी मुल्क ने इसके आयात करने करने के लिए हाय-तौबा मचा रखी है और दूसरी ओर धान उत्पादक राज्यों में इसके बीजों की बुआई के लायक बारिश ही नहीं हो रही है। किसान परेशान हैं, उनके बीच खराब हो रहे हैं, दूसरी तरफ कीमतें बढ़ रही हैं और वह आम आदमी की थाली से दूर होती जा रही है।
चावल के दामों में भी लग चुकी है आग
अंतरराष्ट्रीय मांग के बीच गेहूं की बढ़ती कीमतों के बाद अब चावल के दामों में भी आग लग चुकी है। जून से लेकर अभी तक सभी किस्मों के चावल की कीमतों में 30% तक बढ़ोतरी हो गई है। चावल भारतीय घरों का मुख्य अनाज है और पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता पर इसकी बढ़ी हुई कीमतों का असर पड़ना स्वाभाविक है। लेकिन, परेशानी की बात तो ये है कि आने वाले दिनों में चावल की कीमतों में और भी ज्यादा बढ़ोतरी होने के आसार पैदा हो रहे हैं। क्योंकि, इसबार कम बारिश की वजह से इसकी खेती में अभी तक कमी देखी जा रही है।
धान उत्पादक राज्यों में बारिश की बेरुखी
चावल की कीमतों के बढ़ने का एक मुख्य कारण तो ये है कि धान उत्पादक ज्यादातर राज्यों में इस बार मानसून ने अबतक पूरी तरह से किसानों का साथ नहीं दिया है। इसके चलते पिछले साल की तुलना में इस बार अभी तक धान की बीजों की बुआई में काफी कमी देखी जा रही है। धान खरीफ सीजन का सबसे प्रमुख अनाज है। लेकिन,ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 29 जुलाई तक पिछले साल की तुलना में 13.3% क्षेत्र में धान की बुआई नहीं हो पाई थी। क्योंकि, प्रमुख धान उत्पादक प्रदेशों जैसे- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के किसान अभी भी पर्याप्त बारिश का इंतजार कर रहे हैं। ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी कम बुआई हुई है।
धान के उत्पादन में करीब 100 लाख टन की कमी का अनुमान
देश के धान उत्पादक जिन 6 उत्तरी और पूर्वी राज्यों का ऊपर जिक्र किया गया है, वहां बीते 29 जुलाई तक पिछले साल इसी समय के मुकाबले धान की खेती में 37 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है। धान की बुआई में यह कमी देश में होने वाली इसकी कुल खेती के क्षेत्र 397 लाख हेक्टेयर के 10वें हिस्से के करीब है। अगर धान के औसत उत्पादन के आधार पर हिसाब लगाएं तो प्रति हेक्टेयर 2.6 टन पैदावार के आधार पर देश में इस साल धान के उत्पादन में करीब 100 लाख टन की कमी हो सकती है।
बांग्लादेश ने चावल आयात शुरू कर दिया
एक तरफ खराब मानसून की वजह से किसानों के तैयार बीज खराब हो रहे हैं, दूसरी तरफ कुछ देशों से निर्यात की बढ़ती मांग ने इसकी कीमतों में और भी ज्यादा बढ़ोतरी की स्थिति पैदा कर दी है। चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव ने कहा, 'बांग्लादेश ने भारत से चावल का आयात करना शुरू कर दिया है, जिसने भारतीय घरों में चावल की पसंदीदा किस्मों जैसे कि सोना मसूरी को प्रभावित किया है, जिनकी कीमतों में 20% की वृद्धि हुई है।'
पश्चिम एशिया ने भी चावल की बढ़ाई मांग
कोलकाता स्थित तिरुपति एग्री ट्रेड के सीईओ सूरज अग्रवाल का कहना है, 'धान की सभी किस्मों की कीमतें 30% तक बढ़ गए हैं। धान की रत्ना वेरायटी, जो पहले 26 रुपये किलो का था, अब 33 रुपये किलो तक हो गया है। बासमती चावल के दाम भी लगभग 30% बढ़ गए हैं, 62 रुपये किलो से 80 रुपये, क्योंकि ईरान, इराक और सऊदी अरब से मांग बहुत ज्यादा है।' जबकि, बांग्लादेश का तो मुख्य अनाज ही चावल है और उसने भी इसके लिए भारत की ओर मुंह ताकना शुरू कर रखा है।
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खरीब सीजन में 1,120 लाख टन चावल उत्पादन का लक्ष्य
2022 के वित्त वर्ष में भारत में सर्दियों की फसल समेत चावल का उत्पादन 1,300 लाख टन रहा था और 210 लाख टन का निर्यात किया गया था। इस साल खरीफ सीजन के दौरान भारत 1,120 लाख टन चावल उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है। यह इसपर निर्भर है कि इंद्र देवता कितनी जल्दी बिहार,यूपी, पश्चिम बंगाल,झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अपनी कृपा बरसाते हैं।