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रिलायंस जियो को फिर लगा झटका, IUC वैधता के समर्थन में खड़ी हुई BSNL

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बेंगलुरू। इंटरकनेक्ट यूटिलिटी चार्ज की वैधता अगर वर्ष 2022 तक बढ़ता है, तो जियो रिलायंस के लिए ट्राई द्वारा लिया यह फैसला बहुत भारी पड़ सकता है। इस संबंध में भारती एयरटेल ने ट्राई से संपर्क किया है और उससे अन्य मोबाइल सेवाप्रदाताओं के नेटवर्क से आने वाली इनकर्मिंग कॉल्स पर शुल्क 2022 तक जारी रखने की मांग की है।

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रिलायंस की परेशानी को बढ़ाते हुए अब सार्वजनिक क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनल ने भी एयर का पक्ष लेते हुए वर्ष 2022 तक आईयूसी चार्ज की वैधता को बढ़ाने के फैसले का समर्थन किया है। अगर ट्राई यह फैसला करती है तो रिलायंस जियो के मालिक मुकेश अंबानी के लिए यह बड़ा सेटबैक होगा।

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गौरतलब है आईयूसी चार्ज के चलते रिलायंस जियो को पहले ही अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने पड़ रहे हैं। रिलांयस जियो ने अपने ग्राहकों पर पड़ रहे अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए उसके बाद कई योजनाएं लेकर आई ताकि उसके ग्राहक उससे जुड़े रहें, लेकिन अगर 2022 तक आईयूसी की वैधता जारी रखने का फैसला ट्राई द्वारा लिया गया तो रिलायंस को अपने ग्राहकों को संभालना मुश्किल हो सकता है।

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मौजदूा समय में रिलायंस जियो की ग्राहकों की संख्या 34 करोड़ के आसपास है। अभी हाल में जियो ने करीब 5 करोड़ वोडाफोन-आइडिया यूजर्स को अपनी ओर खींचने में सफलता पाई है, लेकिन आईयूसी के जाल में फंसे रिलायंस जियो को अब डर सता रहा है कि अगर आईयूसी चार्ज की वैधता जल्द समाप्त नहीं की गई, तो उसके ग्राहक उससे छिटक जाएंगे। संभवतः प्रतिद्वंदी कंपनियां एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया इसका पिछले 3 वर्षो से इंतजार कर रहीं थी।

हालांकि ट्राई के पूर्व चेयरमेन जे एस सरमा ने वर्ष 2011 में आईयूसी चार्ज को शून्य करने के प्रस्ताव पर तत्कालीन शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों में शामिल रहीं एयरेटल, वोडाफोन और आइडिया को दिया था, जिस पर तीनों शीर्ष कंपनियों को 1 अप्रैल 2014 तक निर्णय लेना था, लेकिन तीनों कंपनियों ने आईयूसी चार्जेज से मिलने वाले मलाईदार पैसों के मोह में उस पर फैसला नहीं लिया। इससे रिलायंस जियो वर्तमान में 12500 करोड़ रुपए दूसरे नेटवर्क को बतौर आईयूसी चार्ज देने पड़ रहे हैं।

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उल्लेखनीय है ट्राई आईयूसी को शून्य करने के फैसले को जनवरी, 2020 को लागू करने वाली थी, लेकिन एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के विरोध के चलते यह फैसला टाल दिया गया। रिलायंस जियो ने आधिकारिक रूप से आईयूसी की वैधता को समाप्‍त नहीं करने के फैसले का विरोध किया। रिलायंस जियो के मुताबिक ट्राई का उक्त फैसला न केवल प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए घातक है बल्कि यह टेलीकॉम ग्राहकों के भी खिलाफ है।

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रिलायंस जियो के मुताबिक आईयूसी की वैधता का जारी रखने का फैसला एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाने वाला है और कुशल और नई टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करने वाले ऑपरेटर को दंडित करने वाला है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्‍ताओं के हितों को पहुंच रहा है।

एयरटेल द्वारा वर्ष 2022 तक आईयूसी की वैधता को जारी रखने की हालिया अपील उन ग्राहकों के लिए आघात हो सकता है, जो जियो में कन्वर्ट हो गए हैं। यही कारण है कि अगर ट्राई ने 2022 तक आईयूसी की वैधता जारी रखने का फैसला करती है तो रिलायंस जियो को अपने मौजूदा ग्राहकों से हाथ धोना पड़ सकता है।

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गौरतलब है रिलायंस जियो गत 10 अक्टूबर से ट्राई के नियमानुसार मजबूरी में अपने उपभोक्‍ताओं से अन्‍य नेटवर्क पर किए जाने वाले वॉयस कॉल के लिए 6 पैसे प्रति मिनट अतिरिक्त शुल्‍क लेने की घोषणा की थी। हालांकि रिलायंस जियो हर 10 रुपए आईयूसी के रिचार्ज पर 1 जीबी अतिरिक्त डेटा देने की घोषणा के बाद 21 अक्टूबर को आईयूसी से राहत देते हुए तीन प्लान पेश किए।

रिलायंस जियो ने यह प्लान 222 रुपए, 333 रुपए और 444 रुपए के हैं, जिसमें यूजर्स को दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए 1000 मिनट फ्री देने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही घोषित सभी प्लान के साथ 2 जीबी डेटा दिया जा रहा है। यह सब जियो इसलिए कर रही है ताकि उसके उपभोक्ता उसके साथ बने रहें।

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माना जाता है कि प्रतिस्पर्धी बाजार में उपभोक्ता किसी भी कंपनी के साथ बंधकर रहना पसंद नहीं करता है। रिलायंस जियो को इसी बात का डर है और इसलिए वह हरसंभव कोशिश कर रही है कि उसके यूजर उसको छोड़कर न जाए। ऐसा नहीं है कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के लिए कोई अलग नियम है, वो भी अपने ग्राहकों से ट्राई के नियमानुसार आईयूसी चार्ज वसूल रही हैं। चूंकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के यूजर्स पुरानी टेलीकॉम कंपनियां है और उसके यूजर्स की संख्या ग्रामीणों में ज्यादा है, इसलिए उन्हें आईयूसी चार्ज से अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा है।

इसके पीछे कारण यह है कि आईयूसी चार्ज के नाम पर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी अभी तक मार्केट में बनी हुई है। टूजी बेस्ड ग्रामीण टेलीकॉम यूजरों से हिडेन कास्ट के नामपर आईयूसी वसूल रहीं कंपनियां मालामाल है। अगर ट्राई ने आईयूसी चार्जेज को शून्य कर दिया तो एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों का भट्टा बैठ जाएगा।

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दरअसल, रिलायंस जियो पूरी तरह से 4जी नेटवर्क पर बेस्ड है और जब उसके यूजर्स एयरटेल अथवा वोडाफोन-आइडिया नंबर पर कॉल करते हैं, तो उन कंपनियों को ट्राई के नियमानुसार जियो को 6 पैसे प्रति मिनट के दर से पैसे चुकाने पड़ते हैं, जिसकी वसूली वो अब ग्राहको से कर रही है।

रिलायंस को डर सता रहा है कि अगर ट्राई का यह नियम आगे भी जारी रहता है तो रिलायंस जियो के यूजर उसे छोड़कर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया से दोबारा जुड़ने को मजूबर हो जाएंगे। इससे रिलायंस जियो के नेटवर्क को खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है। दिलचस्प बात यह है कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों को रिलायंस जियो की तुलना में आईयूसी की वैधता से कम नुकसान इसलिए भी है, क्योंकि उसके ज्यादातर यूजर्स टूजी बेस्ड हैं, जिससे उसकी लगातार मलाईदार कमाई हो रही है।

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रिलायंस जियो अभी अकेली टेलीकॉम कंपनी है, जो आईयूसी की वैधता का विरोध कर रही है, क्योंकि इसके समर्थन में अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल भी आ गई है और उसने आईयूसी की वैधता का समर्थन करते हुए उसे आगे भी जारी रखने की मुहिम को आगे बढ़ाया है जबकि रिलायंस जियो ने ट्राई से आईयूसी शुल्क को हटाने की मांग की है। जियो ने आईयूसी की वैधता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की सोच के खिलाफ बताया है।

इसके अलावा रिलायंस जियो को दोनो शीर्षस्थ कंपनियों द्वारा फैलाए जा रहे अफवाहों से जूझना पड़ रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि जियो कंपनी 6 पैसे प्रति मिनट की दर से चार्ज वसूल रही है। कंपनी ने अफवाहों को पूरी तरह से गलत बताया है। इसके लिए कंपनी ने कई ट्वीट भी किए हैं। फैलाए जा रहे अफवाहों में कहा जा रहा था कि जब भी Jio यूजर्स किसी अन्य ऑपरेटर के नंबर पर कॉल करेंगे तो उन्हें 6 पैसे प्रति मिनट की दर से चार्ज देना होगा।

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चारो तरफ से घिरी रिलायंस जियो को अब ट्राई के फैसले का इंतजार है और अगर ट्राई आईयूसी की वैधता को 2022 तक जारी रखती है, तो जियो को अपने ग्राहकों को अपने साथ जोड़े रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा। हालांकि रिलायंस जियो ने ग्राहकों को साथ जोड़े रखने के लिए कई नए-नए प्लान जारी किए है और कई इमोशनल वीडियो भी जारी किए है, लेकिन प्रतिस्पर्धी मार्केट में रिलायंस जियो को आईयूसी चार्ज के साथ ग्राहकों अगले दो वर्ष तक जोड़े रखना टेढ़ी खीर ही साबित होगा।

हालांकि रिलायंस जियो के लिए एक दरवाजा अभी खुला हुआ है, जहां से उसको राहत मिल सकती है और वह है सरकार द्वारा गठित अंतर-मंत्रालयी समूह (Inter-ministrial group) जो टेलीकॉम कंपनियों के मनमाने वसूली पर निगरानी करती है। ऐसी संभावना है कि अंतर-मंत्रालयी समूह जल्द अपना रिपोर्ट पेश कर सकती है और आईयूसी को शून्य करने के फैसले को लागू करने के बारे में सरकार को ग्रीन सिग्नल दे सकती है।

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इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है कि सितंबर, वर्ष 2016 में रिलायंस जियो की लांचिंग के बाद भारत की तीनों शीर्ष टेलीकॉम कंपनियां टेलीकॉम यूजर्स से वॉयस कॉल और डेटा के लिए दुगनी-चौगुनी रकम वसूल रही थीं, लेकिन रिलायंस जियो ने सस्ते दर डेटा और वॉयस कॉल की सुविधा देकर तीनों कंपनियों का दीवाला निकाल दिया था। तीनों शीर्ष कंपनियों के शहरी ग्राहकों के साथ ग्रामीण टेलीकॉम ग्राहक छिटकर जियो की ओर रुख कर गए थे। यही कारण था कि लगातार घाटे के दवाबों के बीच आइडिया कंपनी को वोडाफोन कंपनी में खुद को मर्जर करना पड़ा।

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ऐसा लगता है कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियां रिलायंस जियो से अपना पुराना हिसाब चुकता करने में लगी है। यही कारण है कि दोनो शीर्ष कंपनियां आईयूसी की वैधता के पक्ष में खड़ी है। यह बात मजेदार है कि आईयूसी की वैधता से दोनों कंपनियों को भी अपने यूजर द्वारा जियो नेटवर्क पर कॉल करने के लिए शुल्क चुकाने पड़ते होंगे, लेकिन वो जियो के खिलाफ फिर खड़ी हैं। यह जरूर है कि जियो रिलायंस की तुलना में दोनो शीर्ष कंपनियों का कम नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि दोनों शीर्ष कंपनियों के पास टूजी यूजर्स की संख्या काफी है, जो कि ग्रामीण इलाकों में है, जहां दोनों कंपनियां हिडेन कास्ट के नामपर मलाई काट रही हैं।

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वैसे, रिलायंस जियो ने 4जी नेटवर्क को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने के लिए 4जी फीचर फोन लांच किए थे और सस्ते दरों पर बेंचकर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के बेस यूजर को टारगेट करने की कोशिश की थी, जिसका उसको फायदा भी हुआ और करीब 5 करोड़ वोडाफोन-आइडिया यूजर्स उसकी झोली में आ गिरे थे। इसी क्रम के तहत कंपनी ने अभी रिलायंस जियो 4जी फीचर फोन 699 रुपए में ग्राहकों को मुहैया करवा रही है। माना जा रहा है जब तक रिलायंस जियो के ग्रामीण इलाकों में बेस बढ़ेगा तब दोनों शीर्ष कंपनियां टूजी ग्राहकों से मोटा पैसा छापती रहेगी।

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ध्यान देने योग्य बात यह है कि आखिर दोनों शीर्ष टेलीकॉम कंपनियां आईयूसी की वैधता को खत्म नहीं करने के पीछे क्यों पड़ी है। यह इसलिए क्योंकि अभी भी भारत में 35 करोड़ टेलीकॉम यूजर्स 2जी बेस्ड नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। इनमे से ज्यादा यूजर्स ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। दोनों शीर्ष कंपनियों की मोटी कमाई का जरिया 2 जी यूजर्स ग्राहक हैं जबकि रिलायंस जियो केवल 4जी बेस्ड नेटवर्क है। इसलिए आईयूसी की वैधता से दोनों शीर्ष कंपनियों की तुलना में अधिक नुकसान हो रहा है।

यह भी पढ़ें- जियो लांचिंग के 3 वर्ष बाद पहली बार एयरटेल-वोडाफोन के बुने जाल में फंस गए मुकेश अंबानी

Comments
English summary
Reliance Jio getting a shocked again by PSU company BSNL who stands in support of IUC validity. Earlier Bharti airtel company approach to TRAI to validate IUC validity till 2022 while Reliance Jio continuously opposing it.
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