लद्दाख में तनाव, बैन और बायकॉट के बावजूद भारत-चीन व्यापार में रिकॉर्ड उछाल-रिपोर्ट
नई दिल्ली, 14 जनवरी: लद्दाख में करीब दो वर्षों से चीन के साथ कई मोर्चों पर भारत का गतिरोध बना हुआ है। पूर्वी लद्दाख में ड्रैगन ने कोविड की पहली लहर के दौरान जिस तरह की कुछ गुस्ताखियां की थीं, उससे दोनों देशों के संबंध बहुत ही नाजुक मोड़ पर आ गए थे। भारत की ओर से ना केवल कई सारे चाइनीज ऐप बंद कर दिए गए, बल्कि कई चीजों का बायकॉट भी शुरू हो गया। लेकिन, पिछले साल दोनों देशों के बीच जो व्यापार हुआ है, उसने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। इसकी वजह कोविड की दूसरी लहर के दौरान जरूरी वस्तुओं के आयात-निर्यात को बताया जा रहा है। हालांकि, इससे चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में भी भारी इजाफा हुआ है।
2021 में चीन के साथ व्यापार में रिकॉर्ड उछाल
2021 में भारत और चीन के बीच व्यापार 125 अरब अमेरिकी डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को भी पार कर गया है; और 100 अरब डॉलर की यह सीमा को भी लांघ गया है। यह वो वर्ष था,जब पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच लंबे वक्त से गतिरोध की स्थिति के चलते आपसी संबंधों में काफी गिरावट देखी जा रही थी। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत का व्यापार घाटा भी बढ़कर 69 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक पर पहुंच गया है।
भारत-चीन का व्यापार- 125.66 अरब अमेरिकी डॉलर
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने जेनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि 2021 में भारत और चीन के बीच कुल व्यापार 125.66 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा है, जो कि 2020 के मुकाबले 43.3 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल जनवरी से लेकर दिसंबर तक चीन से भारत को किया गया निर्यात 46.2 फीसदी बढ़कर 97.52 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। जबकि, इसी अवधि में भारत से चीन को किए गए निर्यात में भी 34.2 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 28.14 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
भारत का व्यापार घाटा- 69.38 अरब अमेरिकी डॉलर
2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 69.38 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटा पर भारत एक दशक से भी ज्यादा समय से चिंता जता रहा है और बीजिंग से कह रहा है कि वह अपने बाजारों को भारतीय आईटी और दवा उत्पादों के लिए खोल दे। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस साल भारत का चीन से ज्यादातर निर्यात इसलिए बढ़ा, क्योंकि कोविड की भयानक दूसरी लहर की वजह से मेडिकल उत्पादों और दवा उद्योंगों की आवश्यकताओं के लिए उसका कच्चे माल का आयात तेजी से बढ़ा।
मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ गतिरोध
लेकिन, पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच के गतिरोध की वजह से द्विपक्षीय व्यापार का 100 अरब डॉलर के स्तर को पार करने की घटना पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई। भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा पर गतिरोध तब शुरू हुआ, जब 2020 में 5 मई को पैंगोंग लेक के इलाके में दोनों के बीच हिंसक झड़पें हुईं और जिसके बाद दोनों ओर से इलाके में हजारों जवानों के साथ भारी हथियारों की तैनाती कर दी गई।
अभी भी दोनों ओर सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा
हालांकि, मिलिट्री और राजनयिक बातचीत की वजह से दोनों सेनाएं अगस्त में गोगरा इलाके और फरवरी में पैंगोंग लेक के उत्तरी और दक्षिण किनारों से पूरी तरह से पीछे हट गईं। दोनों ओर से इस साल 12 जनवरी को भी बाकी इलाकों से गतिरोध दूर करने के लिए कोर कमांडर स्तर की 14वीं दौर की बात हुई है और इसपर सहमति बनी है कि अगले दौर की बातचीत भी जल्द की जाएगी। इस समय पूर्वी लद्दाख के पहाड़ों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की दोनों ओर दोनों देशों की करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। (जहाजों की तस्वीरें-प्रतीकात्मक)